जयराम विद्यापीठ में दुर्गा अष्टमी पर यज्ञ में डाली गई आहुतियां।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 9416191877
जयराम विद्यापीठ में नवरात्रों पर किया गया दुर्गा सप्तशती पाठ एवं अनुष्ठान।
कुरुक्षेत्र, 3 अक्तूबर : दुर्गा अष्टमी के दिन जयराम विद्यापीठ में जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरुप ब्रह्मचारी की प्रेरणा से विद्वान ब्राह्मणों तथा ब्रह्मचारियों द्वारा मां भगवती के माता महागौरी स्वरूप की विधिवत मंत्रोच्चारण के साथ पूजा अर्चना की गई और उसके उपरांत दुर्गा सप्तशती पाठ एवं अनुष्ठान के समापन पर दुर्गा अष्टमी के यज्ञ की आहुतियां डाली गई। इस मौके पर यजमान परिवारों के सदस्यों ने यज्ञ में आहुतियां डालने के साथ सर्वकल्याण की भावना से माता महागौरी की आरती की। इसी मौके पर यजमानों द्वारा अष्टमी अवसर पर विद्यापीठ की मुख्य यज्ञशाला में जाप कर रहे विद्वान ब्राह्मणों तथा ब्रह्मचारियों को दक्षिणा इत्यादि वितरित की। आचार्य प. राजेश प्रसाद लेखवार ने बताया कि विद्यापीठ में यज्ञ की पूर्णाहुति के साथ कन्याओं का पूजन किया गया। उन्होंने बताया कि परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरुप ब्रह्मचारी की प्रेरणा है कि श्रद्धालुओं को दुर्गा अष्टमी पर कन्या तथा नारी के सम्मान व रक्षा का प्रण लेना चाहिए। नवरात्रों को केवल व्रत अथवा उपवास का पर्व ही नहीं माना जाना चाहिए, बल्कि नवरात्रों को नारी शक्ति के और कन्याओं के सम्मान के पर्व के रूप में ही मनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस बात को भी याद रखना चाहिए कि नवरात्रों के दिनों में ही नहीं बल्कि हर दिन बच्चियों का सम्मान और रक्षा का प्रण होना चाहिए। आचार्य लेखवार ने नवरात्र पूजन की विधि के बारे में कहा कि परम्परा के अनुसार 2 वर्ष से लेकर 11 वर्ष तक की कन्या की पूजा का विधान किया गया है। शास्त्रों में भी बताया गया है कि 10 साल तक की उम्र तक की कन्याओं को ही कन्या पूजन में शामिल करना चाहिए। क्योंकि 2 साल की कन्या कुमारी, 3 साल की त्रिमूर्ति, 4 साल की कल्याणी, 5 साल की रोहिणी, 6 साल की कालिका, 7 साल की चंडिका, 8 की शांभवी, 9 साल की दुर्गा और 10 साल की कन्या को सुभद्रा माना जाता है। इस अवसर पर श्रवण गुप्ता, के के कौशिक, टेक सिंह लोहार माजरा, राजेश सिंगला, यशपाल राणा, सतबीर कौशिक इत्यादि भी मौजूद थे।
दुर्गा अष्टमी पर यज्ञ में आहुतियां डालते हुए यजमान व पूजन करते हुए ब्रह्मचारी।