गठिया से बचाव के लिए वजन को नियंत्रित रखना बहुत जरूरी : डॉ. आशीष अनेजा।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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कुरुक्षेत्र, 13 अक्टूबर। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय स्वास्थ्य केन्द्र के एडमिनिस्ट्रेटर, गैपियो सदस्य, आरएसएसडीआई मेंबर एवं मेडिकल ऑफिसर, डॉ. आशीष अनेजा के द्वारा अर्थराइटिस बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक किया गया। डॉ. अनेजा के अनुसार लोग बढ़ती उम्र में गठिया यानी अर्थराइटिस की समस्या से ग्रस्त हो जाते हैं। गठिया कोई अकेली बीमारी नहीं है बल्कि जोड़ों से संबंधित सौ से अधिक रोगों के लिए एक व्यापक शब्द है। विश्व गठिया दिवस एक वैश्विक जागरूकता दिवस है जो हर साल 12 अक्टूबर को आयोजित किया जाता है। उन्होंने बताया कि विश्व गठिया दिवस 2022 का विषय ‘इट्स इन योर हैंड्स, टेक एक्शन’ है, जिसका उद्देश्य गठिया और मस्कुलोस्केलेटल रोग के अस्तित्व और प्रभाव के बारे में दुनिया भर के सभी दर्शकों में जागरूकता बढ़ाने में मदद करना है। एलायंस ऑफ एसोसिएशन्स फॉर रुमेटोलॉजी के अनुसार, अनुमानित एक सौ मिलियन लोग ऐसे हैं जिनका निदान नहीं किया गया है और वे ऐसे लक्षणों से निपटने की कोशिश कर रहे हैं जिन्हें अक्सर अनदेखा किया जाता है और अक्सर गलत निदान किया जाता है। विश्व गठिया दिवस की शुरुआत 1996 में गठिया और संधिशोथ इंटरनेशनल द्वारा की गई थी। आमवाती और मस्कुलोस्केलेटल रोगों के दुर्बल प्रभाव, हालांकि, उनके प्रभाव को बड़े पैमाने पर और चुपचाप महसूस किया जाता है।
गठिया होने के कारण एवं लक्षण।
अर्थराइटिस होने पर हड्डियों और ज्वाइंट्स में सूजन, दर्द और स्टिफनेस आ जाती है, कई बार दर्द इतना बढ़ जाता है कि चलना-फिरना भी मुश्किल हो जाता है, इसकी वजह है खानपान में उन चीज़ों को शामिल नहीं करना, जो हड्डियों को मजबूती देते हैं। अर्थराइटिस, ऑस्टियोअर्थराइटिस, रूमेटाइड अर्थराइटिस जैसी बीमारियों से बचाते हैं।आर्थराइटिस, जोड़ों को प्रभावित करने वाली समस्या है। गठिया के लक्षण अलग-अलग लोगों में अलग प्रकार के हो सकते हैं। कुछ लोगों में यह समस्या धीरे-धीरे बढ़ती है जबकि कुछ को अचानक से ही दिक्कतें होनी शुरू हो जाती हैं। चिकित्सकों का कहना है कि गठिया में कुछ लक्षणों पर विशेष ध्यान देते रहने की आवश्यकता होती है, अगर आपमें कुछ समय से इस तरह की समस्याएं बनी हुई हैं तो इस बारे में किसी डॉक्टर से सलाह जरूर ले लेनी चाहिए।
सुबह उठने पर, डेस्क पर बैठे रहने के बाद उठने या लंबे समय तक कार में बैठने के बाद इस तरह के लक्षण अधिक महसूस हो सकते हैं। यदि जोड़ों को हिलाना या कुर्सी से उठना कठिन या दर्दकारक महसूस हो रहा है, तो यह गठिया का संभावित संकेत हो सकता है। गठिया के लक्षण धीरे-धीरे या अचानक विकसित हो सकते हैं और व्यक्ति की रोजमर्रा के कार्यों को करने की क्षमता को कम कर देते हैं। हालांकि कई लोगों में 40 से कम आयु में भी गठिया की दिक्कत देखी गई हैं। इस बीमारी का कोई उपचार नहीं है, लेकिन लाइफस्टाइल में बदलाव यह बीमारी कंट्रोल की जा सकती है। एक्सरसाइज व फिजिकल थेरेपी से भी कुछ हद तक राहत मिल सकती है। गठिया की समस्या को जड़ से ठीक नहीं किया जा सकता है। उपचार के माध्यमों से दर्द को नियंत्रित करने, जोड़ों की क्षति को कम करने के साथ दैनिक कार्य और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने का प्रयास किया जाता हैं।
क्या उपाय किए जा सकते हैं।
डॉ. अनेजा का कहना है कि आर्थराइटिस के जोखिमों को ध्यान में रखते हुए कम उम्र से ही सभी लोगों को इससे बचाव के उपाय करते रहने चाहिए। गठिया से बचाव के लिए वजन को नियंत्रित रखना सबसे आवश्यक माना जाता है। वजन कम करने से आपकी गतिशीलता बढ़ सकती है और जोड़ों से अतिरिक्त दबाव को कम किया जा सकता है। इसके अलावा नियमित व्यायाम जोड़ों को लचीला बनाए रखने में मदद करते हैं। नियमित सैर, तैराकी या साइकिलिंग के अभ्यास को घुटनों को स्वस्थ रखने और भविष्य में गठिया के जोखिमों को कम करने वाला माना जाता है। जोड़ों के चोट को गंभीरता से लें और विशेषज्ञ से इसका इलाज कराएं।