बिहार: वैश्विक आयोडीन अल्पता विकार नियंत्रण दिवस पर होंगे कई कार्यक्रम

वैश्विक आयोडीन अल्पता विकार नियंत्रण दिवस पर होंगे कई कार्यक्रम
-आयोडीन युक्त नमक के सेवन के प्रति आम लोगों को किया जायेगा जागरूक
-आयोडीन की कमी बनती है कई बीमारियों की वजह, नियमित खानपान में इसका शामिल होना जरूरी

अररिया।

मानव शरीर के सर्वांगीण विकास के लिये आयोडीन एक आवश्क तत्व है। दरअसल, शरीर की महत्वपूर्ण क्रियाएं आयोडीन पर निर्भर करता है। ये शरीर व मस्तिष्क के समुचित वृद्धि व संचालन के लिये आवश्यक है। छोटे बच्चे, नौजवान व गर्भवती महिलाओं के लिये आयोडीन का खासा महत्व है। इसकी कमी से हमारा शरीर कई तरह की बीमारियों की चपेट में आ जाता है। इसलिए 21 अक्टूबर को हर वर्ष वैश्विक आयोडीन अल्पता विकार नियंत्रण दिवस के रूप में मनाया जाता है। लिहाजा स्वास्थ्य विभाग द्वारा 21 से 27 अक्टूबर के बीच वैश्विक आयोडीन अल्पता बचाव सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है। इस दौरान जिले में सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर जागरूकता संबंधी कई गतिविधियां आयोजित किया जाना है। इस बाबत राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक संजय कुमार सिंह ने पत्र जारी कर दिशा-निर्देश दिए हैं।

नियमित खानपान में आयोडीन को शामिल करना जरूरी

सिविल सर्जन डॉ विधानचंद्र सिंह ने बताया कि 21 से 27 अक्टूबर तक आयोडीन अल्पता से होने वाली बीमारियों से बचाव के संबंध में जन-जागरूकता को लेकर कई कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे। उन्होंने बताया कि आयोडीन की कमी से कई बीमारियां हो सकती है। जैसे घेंघा, मानसिक विकृति, गूंगापन, भेंगापन, ठीक से खड़े व चलने में कठिनाई तथा शारीरिक विकास में रूकावट जैसी समस्याएं ज्यादा होने की आशंका रहती है। इतना ही नहीं गर्भवती महिलाओं के शरीर में आयोडीन की कमी होने से गर्भपात का खतरा होता है। इसलिये अपने नियमित खानपान में आयोडीन को शामिल करना जरूरी है।

कार्यक्रम में जागरूकता पर दिया जाएगा जोर

वैश्विक आयोडीन अल्पता बचाव सप्ताह को लेकर डीपीएम स्वास्थ्य ने बताया कि मौके पर आयोडीन की कमी से होने वाले रोग व इससे बचाव के उपायों के प्रति आम लोगों को जागरूक किया जायेगा। बैनर व पोस्टर के माध्यम से आयोडीन युक्त नमक सेवन के प्रति आम लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया जाएगा। एएनएम, आाशा और आंगनबाड़ी सेविका के माध्यम से विभिन्न स्तर पर कार्यशाला आयोजित कर मानव जीवन में आयोडीन नमक के सेवन के प्रति जन जागरूकता फैलाया जाएगा। जागरूकता संबंधी गतिविधि जिला से लेकर अनुमंडल, रेफरल, पीएचसी व एचडब्ल्यूसी के स्तर पर आयोजित होंगे। समस्त गतिविधियों से संबंधित प्रतिवेदन व फोटोग्राफ राज्य स्वास्थ्य समिति को उपलब्ध कराया जाना है।

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