सब्जियों की जैविक खेती स्वाद, सेहत व आर्थिक दृष्टि से लाभकारी : डा. सी. बी. सिंह।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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बढ़ता प्रदूषण स्वास्थ्य के साथ सब्जियों की खेती को भी प्रभावित करता है।
कुरुक्षेत्र, 20 अक्तूबर : कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि वातावरण में बढ़ते प्रदूषण से समाज का हर वर्ग चिंतित है। बढ़ता प्रदूषण स्वास्थ्य के साथ सब्जियों की खेती को भी प्रभावित करता है। वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डा. सी. बी. सिंह ने कहा कि आज प्रदूषण को देखते हुए ही मार्केट में जैविक खेती एवं प्राकृतिक खेती से पैदा सब्जियों तथा अन्य फसलों की मांग बढ़ी है। उन्होंने बताया कि जैविक सब्जी उत्पादन से स्वास्थ्य को लाभ होता है व सर्वोत्तम है। जैविक सब्जियों के प्रति उपभोक्ताओं के बढ़ते रुझान के कारण बाजार में इन सब्जियों के बेहतर दाम मिलने की वजह से किसानों के लिए सब्जियों की खेती मुनाफे का सौदा साबित हो रही है। डा. सिंह ने बताया कि आधुनिक कृषि के तहत रासायनिक उर्वरकों के असंतुलित प्रयोग से धरती में पोषक तत्वों की कमी होने से न केवल फसलों की पैदावार में गिरावट आ रही है। बल्कि विभिन्न कृषि उत्पादों की गुणवत्ता पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि फसलों में रासायनिक उर्वरक तथा पौध संरक्षण और वृद्धि नियंत्रक रसायनों का बेशुमार इस्तेमाल किया जा रहा है। जिसके परिणाम स्वरूप जल वायु प्रदूषण भी बढ़ता जा रहा है। डा. सिंह ने सब्जियों में मटर, मूली, टमाटर, गोभी, बंद गोभी, पत्ता गोभी इत्यादि की वैज्ञानिक विधि के बारे में विस्तार से चर्चा करते हुए किसानों को जागरूक किया। उन्होंने रसायनों के प्रयोग को कम करने व सब्जी की प्राकृतिक खेती के तरीके को बढ़ावा देने की पहल की है। कहा कि यह प्राकृतिक एवं जैविक खेती पर्यावरण अनुकूल और पारिस्थितिकीय रूप से टिकाऊ होने के अलावा कृषक समुदाय के सामाजिक, आर्थिक विकास के उद्देश्य को पूरा करता है।
कृषि वैज्ञानिक डा. सी. बी. सिंह जानकारी देते हुए।