दिवाली में पटाखों के धुएं से अस्थमा के मरीज रहे दूर-डॉ जितेंद्र नाग
✍️, जलालाबाद कन्नौज रिपोर्टर मतीउल्लाह
कन्नौज । अन्नौगी स्थित जिला कारागार में तैनात डॉ जितेंद्र नाग ने जानकारी देते हुए बताया कि दिवाली पर्व पर पटाखा फोड़ते समय सावधानी बरतनी जरूरी है।लापरवाही से सेहत को नुकसान पहुंच सकता है।पटाखे का पैकेट खोलने और पटाखे फोड़ने के तुरंत बाद कुछ न खाएं।पहले अच्छा से हाथ व मुंह धो लें।इसके बाद मिठाई खाएं।डॉ नाग ने बताया कि अस्थमा के मरीज, हृदय रोगियों को दिवाली के पटाखों से दूर रहना चाहिए। धुआं से दूर रहना उनके लिए बहुत जरूरी है।दिवाली पर चारों तरफ पटाखें फोड़े जाते हैं।इससे निकलने वाला धुआं त्वाचा, आंख की पुतली,श्वास के माध्यम से शरीर के अंदर प्रवेश कर जाता है। इससे मरीजों को नुकसान हो सकता है।वहीं, हृदय रोगी के मरीजों को कान के अंदर स्र्ई डाल लें। पटाखें की आवाज हृदय को प्रभावित करती है। जहां ज्यादा पटाखा फोड़ जा रहे हों, उस स्थान से दूर रहना चाहिए। कई बार बच्चे पटाखा फोड़ते-फोड़ते जो भी मिल जाता है उसे खा लेते हैं। ऐसे में इसके चलते तबीयत खराब होने की संभावना रहती है। पटाखें को खुले जगह पर फोड़ना चाहिए। घर के अंदर आंगन में भी न फोड़ें। खुली जगह में फोड़ने से धुआं आसमान में बिखर जाता है। बंद जगह में फोड़ने से धुआं आसपास जमा हो जाता है। हवा के बहाव को ध्यान में रखकर पटाखा फोड़े। कई बार होता है कि छोटे-छोटे पटाखे को हाथ में पकड़कर फोड़ते हैं। इसके चलते कई बार हाथ में ही ब्लास्ट हो जाता है। इससे झुलसने का डर रहता है। राकेट पटाखें को ठीक से रखकर ही जलाएं। जमीन पर रखकर राकेट न जलाएं।उन्होंने बताया कि अस्थमा मरीज धुएं से सावधान रहे।पटाखे का धुआं अस्थमा मरीजों के लिए बहुत खतरनाक हो सकता है। सामान्य व्यक्ति पर भी बुरा असर पड़ता है। इससे अस्थमा के मरीजों की तबीयत बिगड़ने की संभावना बनी रहती है। धुआं के कारण फेफड़ा सिकुड़ सकता है। ऐसे मरीजों को दिवाली के धुआं से बचना बहुत जरूरी है। इससे शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है।