खुल गए सारे ताले वाह क्या बात हो गई, जबसे जन्मे कन्हैया करामात हो गई,श्रीमद्भागवत कथा में सुनाया श्रीकृष्ण जन्म प्रसंग।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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भजनों पर झूमे श्रद्धालु ।
कुरुक्षेत्र,23 अक्तूबर : दुखभंजन महादेव मंदिर में कार्तिक मास और सूर्यग्रहण के उपलक्ष्य में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में कथावाचक शुकदेव आचार्य ने भगवान श्रीकृष्ण जन्म प्रसंग विस्तार से सुनाया।हरियाणा ड्राईक्लीनर्स एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष कृष्ण लाल मेहता ने बतौर मुख्यातिथि दीप प्रज्ज्वलित किया।यजमानों रामपाल गुप्ता, राज गौड़,कश्मीरी लाल, गोवर्धन दास,कृष्ण लाल चीका और ठाकुर नीलमणि ने सर्वदेव एवं भागवत पूजन करके कथावाचक शुकदेव आचार्य को तिलक लगाया।अनुष्ठान में सुबह 51 ब्राह्मणों द्वारा सवा लाख गायत्री मंत्र जाप भी चल रहा है।भागवत प्रवचनों में शुकदेवाचार्य ने कहा कि जब पृथ्वी पर दु:खों का भार बढ़ता है और धर्म की हानि होती है, तब स्वयं पृथ्वी देवी गाय का रूप धारण करके और देवताओं को साथ लेकर ब्रह्मा जी को आगे करके क्षीर सागर तट पर जाते हैं और भगवान विष्णु का स्मरण करते हैं। भगवान विष्णु ब्रह्मा और पृथ्वी को आश्वस्त करते हैं कि वे धर्म व पृथ्वी की रक्षा के लिए शीघ्र अवतार लेंगे। द्वापर युग में उग्रसेन राजा मथुरा पर शासन कर रहे थे। उनका एक पुत्र कंस था जो अपनी छोटी भगिनी देवकी के विवाह की शुभ वेला में रथ पर बिठाकर विदाई कर रहा था। उसी समय आकाशवाणी हुई कि अरे मूर्ख कंस, तुम जिस देवकी को रथ पर बिठाकर विदा कर रहे हो, उसका आठवां गर्भ तुम्हारा काल होगा। यह सुनकर कंस क्रोध में आ गया और अपने म्यान से तलवार निकाल कर देवकी के बाल पकड़ कर उसका गला काटने के लिए तैयार हो गया। उस समय उसके बहनोई वसुदेव ने कंस को समझाते हुए कहा कि मैं आपको वचन देता हूं कि अपने सारे पुत्रों को आपको सौंप दूंगा।कंस ने वसुदेव और देवकी को कारागार में बंद कर दिया। इसके बाद जैसे-जैसे वसुदेव और देवकी को पुत्र पैदा होते वैसे-वैसे कंस उनका वध कर देता और इस प्रकार उसने छ:पुत्रों का वध कर दिया। सातवें पुत्र के रूप में बलराम जी आए जिसे योगमाया ने देवकी के गर्भ से निकाल कर रोहिणी के गर्भ में रख दिया। भगवान के आदेशानुसार आठवें गर्भ में स्वयं ब्रह्माण्ड नायक श्री कृष्ण मां देवकी के गर्भ में आए और उनके प्रकाश से पूरा कारागार चमक उठा। वहां से वसुदेव ने उसे ले जाकर गोकुल में नंद बाबा जी के यहां रख दिया और फिर गोकुल में बड़ी धूम-धाम से उत्सव मनाया गया। इस मौके पर गायकों सीताराम कश्यप और अरुण शर्मा द्वारा सुनाए गए भजन खुल गए सारे ताले वाह क्या बात हो गई, जबसे जन्मे कन्हैया करामात हो गई… पर श्रद्घालु झूम उठे। भागवत आरती में आचार्य नरेश कौशिक, एडवोकेट मनमोहन शर्मा,जय कुमार शर्मा, मोहन भारद्वाज, रोजी शर्मा, हेमराज,अनिल गुप्ता, डॉ.अनिल शर्मा, देवेन्द्र कुमार,दीपक शर्मा,पार्थ पाठक,सुरेश शर्मा,अशोक आश्री, गोपाल शर्मा, ज्ञानचंद शर्मा, जगन्नाथ शर्मा, विजय ठाकुर, अनुराधा पाठक, मोनिका गुप्ता, पिंकी गुप्ता,कांता आश्री,सुषमा शर्मा,किरण गौड़,सुनीता वालिया व मिथलेश सहित बड़ी संख्या में अन्य श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया।