आर्य समाज महर्षि दयानंद सेवा सदन कुरुक्षेत्र में दयानंद सरस्वती जन्मशताब्दी महोत्सव आयोजित।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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कुरुक्षेत्र : शिवरात्रि (बोध दिवस) के अवसर पर आर्य समाज महर्षि दयानंद सेवा सदन कुरुक्षेत्र के तत्वावधान में आयोजित किया गया विशाल महिला आर्य महासम्मेलन मुख्य वक्ता डॉ. राजेन्द्र विद्यालंकार जी ने कहा कि शिवरात्रि एक बोध का पर्व है जो हमें जागरूक करता है कि हमारे परिवार समाज व राष्ट्र के प्रति कर्त्तव्य क्या हैं। महर्षि दयानंद सरस्वती जी ने धर्म व संस्कृति में जो भी कुरितियां आ गई थी उनको दूर किया, साथ में महिलाओं को वेद पढ़ने का एवं यज्ञ करने का अधिकार दयानंद सरस्वती जी के जनजागरण अभियान से ही संभव हुआ।”
इस अवसर पर श्रद्धेय स्वामी विदेह योगी जी ने कहा कि शिव एक सच्चे योगी थे जिन्होंने समस्त मानव जाति के कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया।
इस विशाल महिला सम्मेलन को आर्य समाज की यशस्विनी भजनोपदेशिका बहन संगीता आर्या ने अपने मधुर संगीतमय भजनों के माध्यम से सम्बोधित करते हुए कहा कि यदि घर की बहन बेटी और बहु आर्य परम्परा को ऋषियों की पद्धति के अनुसार निभाती हैं तो उनकी संतान सदैव परिवार, समाज व राष्ट्र का कल्याण ही करेंगी और कभी पथ से भ्रष्ट नहीं होंगी।
इस कार्यक्रम की शुरुआत यज्ञ हवन से हुई जिसमें मुख्य यज्ञमान-श्री रामहेर शास्त्री व उनकी धर्मपत्नी श्रीमती रजनी शर्मा, चैयरमेन ब्लाक समिति कुरुक्षेत्र तथा बहन सुलक्षणा कपूर रहे।
मंच संचालन समाज के उपमंत्री मोहन लाल धर्माचार्य द्वारा किया गया।
समाज के प्रधान श्री हीराराम आर्य ने समस्त आर्य जनों का आभार व्यक्त किया।
विशेष सहयोग आर्य समाज थानेसर का रहा।
आर्य समाज की कार्यकारिणी सदस्यों द्वारा समस्त आर्य बहनों को ऋषि दयानंद का चित्र एवं सत्यार्थ प्रकाश और वेद विमर्श नामक पुस्तक देकर सम्मानित किया।
कार्यक्रम के उपरान्त ऋषि लंगर की व्यवस्था की गई।
इस कार्यक्रम को सफल बनाने में प्रत्यक्ष व परोक्ष सभी सदस्यों का एवं दान दाताओं का पूरे आर्य समाज कुरुक्षेत्र की ओर से हृद्याभार एवं धन्यवाद।
यह कार्यक्रम आर्य समाज महर्षि दयानंद सेवा सदन कुरुक्षेत्र के तत्वावधान में ऋषि दयानंद सरस्वती जी की द्वितीय जन्मशताब्दी वर्ष के पावन अवसर पर चलने वाले दो वर्षीय कार्यक्रमों का आगाज है, अतः भविष्य में तन, मन व धन से सभी सहयोगी बनें। मोहन लाल धर्माचार्य
कार्यक्रम संयोजक श्री समर सिंह आर्य।