कृष्ण जन्माष्टमी को लेकर मंदिरों के आसपास है चहल-पहल
आज होगी धूमधाम से पूजा अर्चना
अररिया
कृष्ण जन्माष्टमी पर्व को लेकर बुधवार से ही शहर में हर तरफ उत्साह उमंग व भक्ति का माहौल है । देर रात्रि जैसे ही पंडितों ने श्री कृष्ण के जन्म की घोषणा की, विभिन्न मंदिरों में पूजा अर्चना के लिए श्रद्धालु उमड़ पड़े। खरिहैया बस्ती स्थित श्री राधा कृष्ण मंदिर, व कृष्णधरा मंदिर, यादव टोला, रहिका टोला, व जयप्रकाश नगर स्थित श्री कृष्ण मंदिर में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच भागवत गीता के श्लोक शुरू हुआ। विभिन्न मंदिरों को पूजा पंडालों को टिमटिमाते बल्बों से सजाया गया है।आकर्षक साज-सज्जा व दूधिया रोशनी अलग अलग छटा बिखेर रही थी। पंडितों ने बताया कि महिला श्रद्धालुओं द्वारा सुविधा अनुसार दो दिन व्रत रखा है। इस मौके पर इन मंदिर परिसरों में ना केवल मेला का, बल्कि सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया है । खरहैया बस्ती स्थित श्री राधा कृष्ण मंदिर के आयोजक सह नगर परिषद के चेयरमैन विजय कुमार मिश्र व एसडीएम ग्रुप के मालिक सह समाजिक कार्यकर्ता संजय कुमार मिश्र ने बताया कि उनके यहां जागरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया है । वहीं आज मंदिर के आस पास गुरुवार को भव्य मेला का भी आयोजन किया गया है। मंदिरों को आकर्षक साज-सज्जा व दूधिया रोशनी अलग-अलग छटा बिखेर रही थी। वहीं दूसरी ओर बुधवार को शाम में शहर के खरिहैया बस्ती राधा कृष्ण मंदिर, कृष्णधारा मंदिर, व रहिका टोला स्थित श्री कृष्ण मंदिर में महिलाओं वी बच्चों में काफी उत्साह देखा गया। सबों ने आज गुरुवार्वको मंदिर जाकर पूजा अर्चना करेगें और आयोजित मेले का आनंद भी लेंगे। इसी तरह जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में भी श्री राधा कृष्ण मंदिर में पूजा-अर्चना का शुरुआत होने का समाचार प्राप्त हुआ है। कुल मिलाकर कृष्ण जन्माष्टमी पूजा श्रद्धा भाव के साथ शुरू हो गया। वहीं कुछ जगहों पर रात्रि में भक्ति जागरण का आयोजन भी होगा। मेला सह मंदिर संचालन में मुख्य रूप से नगर पालिका चेयरमैन विजय कुमार मिश्र, संजय कुमार मिश्र आदि सक्रिय दिखे। बता दें कि खरहैया बस्ती के वार्ड नंबर दस स्थित श्री राधा कृष्ण मंदिर का निर्माण स्व पंडित दामोदर मिश्र के सौजन्य से हुआ है, जिसके दोनों पुत्र यथा नगर परिषद चेयरमैन विजय कुमार मिश्र और युवा सामाजिक कार्यकर्ता संजय कुमार मिश्र द्वारा हर साल इस मौके पर पूजा अर्चना कराते आ रहे हैं.
बताया जाता है कि जन्माष्टमी पर लोग भगवान श्रीकृष्ण को खीरा चढ़ाते हैं। मान्यता है कि खीरे से श्रीकृष्ण प्रसन्न होते हैं और भक्तों के सारे दुख दर्द हर लेते हैं। पंडित उमेश तिवारी कहते हैं कि जन्माष्टमी के दिन ऐसा खीरा लाया जाता है, जिसमें थोड़ा डंठल और पत्तियां लगी होती हैं। जन्माष्ठमी पूजा के खीरे के इस्तेमाल के पीछे की मान्यता है कि जब बच्चा पैदा होता है, तब उसको मां से अलग करने के लिए गर्भनाल को काटा जाता है। ठीक उसी प्रकार से जन्माष्टमी के दिन खीरे को डंठल से काटकर अलग किया जाता है। ये भगवान श्री कृष्ण को मां देवकी से अलग करने का प्रतीक माना जाता है। ऐसा करने के बाद ही कान्हा की विधि विधान से पूजा शुरू की जाती है। भारत आस्था का अनूठा संगम है और इसी आस्था पर जीवित है, विश्व का सबसे प्राचीनतम धर्म। भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण का हिन्दू धर्म में एक अलग स्थान है। पौराणिक कथाओं क़े अनुसार मथुरा क़े कारागार में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म माँ देवकी के गर्भ से उस समय हुआ था जब चारों तरफ पाप, अन्याय और आतंक का प्रकोप था। धर्म जैसे ख़त्म सा हो गया था। धर्म को पुनः स्थापित करने के लिए ही द्वापर युग में कान्हा का जन्म हुआ था। आज भी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी इसी उद्देश्य से मनाया जाता है। भारत के प्रत्येक हिस्से में जन्माष्टमी बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है। ख़ासकर उत्तर भारत में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी एक विशेष पर्व है।