रामायण व महाभारत काल से ही एक भारत श्रेष्ठ भारत का परिचय मिलता है : प्रो. जे नंद कुमार

रामायण व महाभारत काल से ही एक भारत श्रेष्ठ भारत का परिचय मिलता है : प्रो. जे नंद कुमार।

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।

केयू तथा पंचनद शोध संस्थान एवं अध्ययन केन्द्र द्वारा एक भारत श्रेष्ठ भारत लेकर एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित।

कुरुक्षेत्र 21 जनवरी : कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के यूआईईटी संस्थान व पंचनद शोध संस्थान एवं अध्ययन केंद्र कुरुक्षेत्र द्वारा “एक भारत श्रेष्ठ भारत“ : ब्रीजिंग साउथ, विषय पर रविवार को केयू सीनेट हॉल में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि ज्ञान प्रवाह के राष्ट्रीय समन्वयक व संघ प्रचारक प्रोफेसर जे नंद कुमार ने कहा कि रामायण व महाभारत काल से ही एक भारत श्रेष्ठ भारत का परिचय मिलता है। प्राचीन ग्रंथों से पता चलता है कि उत्तर भारत में लोग रामेश्वर धाम मंदिर और दक्षिण भारत के लोग गंगा स्नान के लिए आते थे। यह भारतीय संस्कृति का परिचायक है। इज़राइल के लेखक द्वारा भी भारतीय यात्रा का परिचय भारतीय संस्कृति के समर्पण दर्शाया गया।
प्रो. जे नंद कुमार ने कहा कि हमारे पूर्वज उत्तर से दक्षिण पूर्व से पश्चिम के सभी उदाहरणों में एक दूसरे की भावनाओं का सम्मान करते थे जो एक भारत श्रेष्ठ भारत की परिकल्पना को पूर्ण करता है। लेकिन आज कल कुछ वामपंथी तत्व उत्तर भारत और दक्षिण भारत ये सदभाव में भेद पैदा कर रहे हैं, जिसे भारतीयता की जड़ें कमज़ोर हो रही है। इसलिए हम सभी का दायित्व बनता है कि ऐसी ताक़तों पर लगाम लगाकर देश की प्रतिष्ठा और अखंडता के लिए कार्य करना चाहिए।
प्रो. जे नंद कुमार कहा कि आज़ादी के अमृत काल के आयोजनों में राष्ट्रवादी लोगों पर प्रतिबंध लगाना भारतीय एकता में प्रभुसत्ता और अखंड भारत की परिकल्पना को ठेस पहुँचाना है। उन्होंने कहा कि वेद पुराणों में भारतीय संस्कृति व एकता का परिचय मिलता है। उन्होंने डॉ. बीआर अंबेडकर की शिक्षा का स्मरण करवाते हुए कहा कि भारतीय एकता में संस्कृति और संस्कारों के माध्यम से विश्व का कोई भी देश अखंड भारत के उदय को चुनौती नहीं दे सकता है। उन्होंने वीर सावरकर की कविताएँ जेल की दीवारों पर लिखा देश प्रेम और भारतीय एकता को प्रदर्शित कर रहा है। उन्होंने सिन्धु नदी से सिंधु सागर तक मानने वाली विचारधारा को हिंदू कहा है कि वो 1200 वर्षों पहले भी दक्षिणी राज्यों में भारतीय एकता में रामेश्वरम, प्रथम शंकराचार्य की नीतियों से अवगत करवाया। रामायण और महाभारत काल में भी अखंड भारतीय एकता का परिचय मिलता है।
इस अवसर पर कार्यशाला का शुभारम्भ एनआईटी कुरुक्षेत्र के निदेशक प्रो. बीवी रमना रेड्डी, प्रो बीके कुठियाला, कुलपति हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार प्रो. बीआर कम्बोज, कुवि कुलसचिव प्रो. संजीव शर्मा, प्रो. सीडीएस कौशल, कार्यशाला के संयोजक डीन इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी व निदेशक यूआईईटी संस्थान प्रो. सुनील ढींगरा द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया। कार्यशाला का विषय प्रवेश का उद्बोधन डॉ ऋषि गोयल ने प्रस्तुत किया।
इस अवसर पर एनआईटी निदेशक प्रो. बीवी रमना रेड्डी ने बतौर मुख्य वक्ता कहा कि ब्रिटिश काल से ही भारत को कमजोर करने का प्रयास किया जाता रहा है। वहीं आज कुछ लोग राजनीतिक फायदा लेने के लिए उत्तर व दक्षिण भारत के मध्य लोगों में दरार पैदा करने की कोशिश कर रहे। उन्होंने भारत सरकार के उत्तर से दक्षिण, पूर्व से पश्चिम देश एकता की तरक्की के लिए किए गए कार्यों की सराहना की। उन्होंने कहा कि राम और कृष्ण हमारे अंदर हैं और आत्म अवलोकन से हम श्रेष्ठ भारत की कल्पना कर सकते है। एक भारत श्रेष्ठ भारत को तोड़ने वाली विषमताओं को दूर करना हमारी नैतिक जिम्मेवारी है। अयोध्या में हो रहे भगवान राम प्राण प्रतिष्ठा लोगों में भारतीय एकता में नव संचार करने का कार्य करेगा।
कार्यशाला में मंच संचालन डॉ. मधुदीप ने किया तथा डॉ. अजय जागड़ा ने सभी वक्ताओं व श्रोताओं का आभार जताया व कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा व कुलसचिव प्रो संजीव शर्मा का कार्यशाला के सफल आयोजन में मार्गदर्शन व सहयोग के लिए हार्दिक आभार जताया। राजेश द्वारा जीवन का व्रत एकल गीत गाया।
इस अवसर पर कुलपति प्रो. बीआर काम्बोज, डॉ. रमना रेड्डी, प्रो. बीके कुठियाला, कुवि कुलसचिव प्रो. संजीव शर्मा, केयू डीन एकेडमिक अफेयर्स प्रो. अनिल वशिष्ठ, छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो. एआर चौधरी, लोक सम्पर्क विभाग के निदेशक प्रो. ब्रजेश साहनी, प्रो. अरविंद मलिक, प्रो. संजीव अरोड़ा, डॉ. अमित कम्बोज, डॉ. राजेश अग्निहोत्री, डॉ. पवन दिवान, डॉ. प्रीतम सिंह, डॉ. राम अवतार, डॉ. कंवरदीप शर्मा, राजेश, डॉ. प्रज्ञा, सोनिया सैनी व हरिकेश पपोसा आदि मौजूद रहे।

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