महाकुम्भ केवल भारत नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए आध्यात्मिक प्रेरणा का स्रोत है- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
➡️बसंत पंचमी पर पवित्र त्रिवेणी संगम में अमृत स्नान करने वाले साधु संतों और श्रद्धालुओं को सीएम योगी ने दी बधाई
➡️कहा- महाकुम्भ केवल भारत नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए आध्यात्मिक प्रेरणा का स्रोत है।
➡️महाकुम्भ।बसंत पंचमी के पावन अवसर पर महाकुम्भ 2025 में पवित्र त्रिवेणी संगम में अमृत स्नान कर पुण्य लाभ अर्जित करने वाले पूज्य साधु-संतों, धर्माचार्यों, सभी अखाड़ों, कल्पवासियों एवं श्रद्धालुओं को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हार्दिक बधाई दी।
मुख्यमंत्री ने दी बधाई
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस अवसर पर सभी श्रद्धालुओं को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा, “महाकुम्भ केवल भारत नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए आध्यात्मिक प्रेरणा का स्रोत है।”
प्रशासन की व्यवस्थाओं की सराहना
मुख्यमंत्री ने प्रशासन द्वारा की गई व्यवस्थाओं की भी सराहना की और कहा कि इस आयोजन में भाग लेने वाले श्रद्धालु भगवान की कृपा प्राप्त करते हैं।
भारत की सांस्कृतिक धरोहर का उत्सव
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस महाकुम्भ को भारत की सांस्कृतिक धरोहर और आध्यात्मिक मूल्यों को प्रस्तुत करने का एक महत्वपूर्ण अवसर बताया और इसके द्वारा समाज में शांति, समृद्धि और सद्भाव की भावना को साझा करने की शुभकामनाएं दीं।
➡️महाकुम्भ 2025 के अंतिम अमृत स्नान के दौरान नागा साधुओं का अद्भुत प्रदर्शन श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बना। त्रिवेणी तट पर इन साधुओं की पारंपरिक और अद्वितीय गतिविधियों ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा। अमृत स्नान के लिए ज्यादातर अखाड़ों का नेतृत्व कर रहे इन नागा साधुओं का अनुशासन और उनका पारंपरिक शस्त्र कौशल देखने लायक था। कभी डमरू बजाते हुए तो कभी भाले और तलवारें लहराते हुए, इन साधुओं ने युद्ध कला का अद्भुत प्रदर्शन किया। लाठियां भांजते और अठखेलियां करते हुए ये साधु अपनी परंपरा और जोश का प्रदर्शन कर रहे थे।
घोड़ों पर और पैदल निकली शोभा यात्रा
बसंत पंचमी के अमृत स्नान के लिए निकली अखाड़ों की शोभा यात्रा में कुछ नागा साधु घोड़ों पर सवार थे तो कुछ पैदल चलते हुए अपनी विशिष्ट वेशभूषा और आभूषणों से सजे हुए थे। जटाओं में फूल, फूलों की मालाएं और त्रिशूल हवा में लहराते हुए उन्होंने महाकुम्भ की पवित्रता को और भी बढ़ा दिया। स्व-अनुशासन में रहने वाले इन साधुओं को कोई रोक नहीं सकता था, लेकिन वो अपने अखाड़ों के शीर्ष पदाधिकारियों के आदेशों का पालन करते हुए आगे बढ़े। नगाड़ों की गूंज के बीच उनके जोश ने इस अवसर को और भी खास बना दिया। त्रिशूल और डमरू के साथ उनके प्रदर्शन ने यह संदेश दिया कि महाकुम्भ केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि प्रकृति और मनुष्य के मिलन का उत्सव है।
नृत्य, नगाड़े और उत्साह
शोभायात्रा के दौरान मीडिया ही नहीं, बल्कि आम श्रद्धालुओं के मोबाइल के कैमरे भी नागा साधुओं को कैप्चर करने के लिए हवा में लहरा रहे थे। नागा भी किसी को निराश नहीं कर रहे थे, बल्कि वो अपने हाव भाव से उन्हें आमंत्रित कर रहे थे। कुछ नागा तो आंखों में काला चश्मा लगाकर आम लोगों से इंटरैक्ट भी कर पा रहे थे। उनकी इस स्टाइल को हर कोई कैद कर लेना चाहता था। यही नहीं, नागा साधु नगाड़ों की ताल पर नृत्य करते हुए अपनी परंपराओं का जीवंत प्रदर्शन कर रहे थे। उनकी जोश और उत्साह से भरपूर गतिविधियों ने श्रद्धालुओं के बीच अपार उत्साह पैदा किया। जितने उत्साहित नागा साधु थे, उतने ही श्रद्धालु भी उनकी हर गतिविधि को देख मंत्रमुग्ध हो गए।
स्नान के दौरान भी मस्ती
स्नान के दौरान भी नागा साधुओं का अंदाज निराला था। त्रिवेणी संगम में उन्होंने पूरे जोश के साथ प्रवेश किया और पवित्र जल के साथ अठखेलियां कीं। इस दौरान सभी नागा आपस में मस्ती करते नजर आए।
महिला नागा संन्यासी भी जुटीं
पुरुष नागा साधुओं के साथ ही महिला नागा संन्यासियों की भी बड़ी संख्या में मौजूदगी रही। पुरुष नागाओं की तरह ही महिला नागा संन्यासी भी उसी ढंग से तप और योग में लीन रहती हैं। फर्क सिर्फ इतना होता है कि ये गेरुआ वस्त्र धारत करती हैं उसमें भी ये बिना सिलाया वस्त्र धारण करती हैं। उन्हें भी परिवार से अलग होना पड़ता है। खुद के साथ परिवार के लोगों का पिंड दान करना होता है तब जाकर महिला नागा संन्यासी बन पाती हैं। जब एक बार महिला नागा संन्यासी बन जाती हैं तो उनका लक्ष्य धर्म की रक्षा, सनातन की रक्षा करना होता है। इस महाकुम्भ में हर कोई इनके बारे में जानने को उत्सुक नजर आ रहा है।
श्रद्धालुओं के लिए संदेश*
नागा साधुओं ने अपने व्यवहार और प्रदर्शन से यह संदेश दिया कि महाकुम्भ केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि मनुष्य के आत्मिक और प्राकृतिक मिलन का उत्सव है। उनकी हर गतिविधि में महाकुम्भ की पवित्रता और उल्लास का अद्वितीय अनुभव झलक रहा था। महाकुम्भ 2025 का यह आयोजन नागा साधुओं की विशिष्ट गतिविधियों और उनकी परंपराओं के कारण लंबे समय तक याद रखा जाएगा।
➡️ सुबह से महाकुम्भ 2025 का शाही स्नान जारी, नागा साधुओं ने त्रिवेणी तट पर आकर्षण का केंद्र रहे, नागा साधुओं ने त्रिवेणी तट पर उपस्थिति दर्ज कराई, घोड़ों पर सवार और पैदल चलते हुए शाही स्नान किया, उन्होंने शस्त्र प्रदर्शन,नृत्य से सभी को मंत्रमुग्ध किया, महिला और पुरुष नागा साधुओं ने भव्य प्रदर्शन किया, नागा साधुओं ने अपनी परंपराओं और जोश का प्रदर्शन किया, नागा साधुओं के प्रदर्शन में डमरू, भाले और तलवारें शामिल थी, उनके आचरण ने मनुष्य,प्रकृति के मिलन का उत्सव बताया, नागा साधुओं की अनूठी गतिविधियों के कारण यादगार बना
➡️ महाकुंभ में बसंत पंचमी पर तीसरा शाही स्नान जारी, सबसे पहले महानिर्वाणी अखाड़ा ने 5 बजे किया स्नान, अटल अखाड़ा ने भी सुबह 5 बजे ‘शाही स्नान’ किया, निरंजनी, आनंद अखाड़ा ने 5.50 बजे किया स्नान, जूना आवाहन, अग्नि अखाड़ा ने 6.45 बजे किया स्नान, निर्वाणी अनि अखाड़ा 9.25 बजे शाही स्नान करेगा, दिगम्बर अनि 10.05 बजे शाही स्नान करेगा, निर्मोही अनि 11.05 बजे संगम में स्नान करेगा,नया उदासीन अखाड़ा 12 बजे शाही स्नान करेगा, बड़ा उदासीन 1.05 बजे शाही स्नान करेगा, निर्मल अखाड़ा 2.25 बजे करेगा शाही स्नान
➡️अखाड़ा परिषद के महामंत्री हरि गिरी महाराज का बयान, हरि गिरी महाराज ने सनातन बोर्ड का किया विरोध, बोर्ड की मांग करने वाले ओछी राजनीति कर रहे- हरि गिरी, सनातन क्या इतना छोटा है कि जो बोर्ड में समाहित हो सके, देश का हर व्यक्ति सनातनी है – हरि गिरी महाराज
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