डीएसबी इंटरनैशनल पब्लिक स्कूल का उद्देश्य बच्चों में अत्याधुनिक अंतरराष्ट्रीय स्तर की शिक्षा के साथ संस्कारों व राष्ट्रीयता का समावेश हो : ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
उत्तराखंड के ऋषिकेश में डीएसबी इंटरनैशनल स्कूल ने सीबीएसई में लगातार शीर्ष स्थान हासिल करने के बाद कुरुक्षेत्र में भी की शुरुआत।
श्री जयराम शिक्षण संस्थान के अंतर्गत डीएसबी इंटरनैशनल स्कूल की कुरुक्षेत्र में अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त विशाल भवन के साथ शुरुआत।
कुरुक्षेत्र, 20 फरवरी : देश के विभिन्न राज्यों में संचालित श्री जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष एवं श्री जयराम शिक्षण संस्थान के चेयरमैन ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी की प्रेरणा एवं मार्गदर्शन में कुरुक्षेत्र के निवारसी में अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त विशाल भवन के साथ डीएसबी इंटरनैशनल स्कूल की शुरुआत हो रही है। श्री जयराम संस्थाओं के मीडिया प्रभारी राजेश सिंगला ने बताया कि उत्तराखंड के ऋषिकेश में डीएसबी इंटरनैशनल स्कूल ने सीबीएसई में लगातार शीर्ष स्थान हासिल करने के बाद अब कुरुक्षेत्र में भी भव्य शुरुआत की है। उन्होंने दावा किया कि कुरुक्षेत्र में यह विशाल भवन के साथ अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त अंतर्राष्ट्रीय स्तर की शिक्षा के अपने आप में पहला स्कूल होगा। करीब 14 एकड़ में बना भवन पूर्णतया वातानुकूलित, आधुनिक शिक्षा के अनुसार स्मार्ट क्लासरूम, प्राथमिक, माध्यमिक एवं उच्च शिक्षा के अलग-अलग विंग, आडिटोरियम एवं क्रीड़ाओं हेतु खेल के मैदान बनकर तैयार है।
सिंगला ने कहा कि परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी का लक्ष्य है कि बच्चों को विदेशों की तर्ज पर अत्याधुनिक अंतर्राष्ट्रीय स्तर की शिक्षा के साथ भारतीय संस्कृति, संस्कार एवं राष्ट्रीयता का भी ज्ञान हो। डीएसबी इंटरनैशनल स्कूल संस्कारों एवं अत्याधुनिक अंतर्राष्ट्रीय स्तर की शिक्षा के साथ बच्चों व उनके अभिभावकों के सपनों को ऊंचाइयों तक पहुंचने का मार्ग है। परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी का मानना है कि नन्हे बच्चों के लिए अच्छी शिक्षा के साथ अच्छे संस्कार भी जरूरी हैं। श्री जयराम संस्थाओं के अनुसार शिक्षा का अंतिम लक्ष्य सुंदर चरित्र एवं संस्कार है। शिक्षा मनुष्य के व्यक्तित्व के सभी पहलुओं का पूर्ण और संतुलित विकास करती है। आज चाहे आधुनिक समाज में अभिभावक अपने बच्चों की उन्नति व विकास के लिए आधुनिक व अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा की चाहत के लिए दूर मेट्रो सिटी व विदेश में महंगी शिक्षा के लिए भेजते हैं परन्तु अब कुरुक्षेत्र के लोगों के लिए डीएसबी इंटरनैशनल स्कूल के माध्यम से अत्याधुनिक अंतर्राष्ट्रीय स्तर की शिक्षा हासिल करना आसान होगा। परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी ने कहा कि बच्चों में सांसारिक और आध्यात्मिक शिक्षा दोनों की नितांत आवश्यकता है क्योंकि शिक्षा हमें जीविका देती है और संस्कार जीवन को मूल्यवान बनाते हैं। शिक्षा में ही संस्कार का समावेश है। अगर हम अपने बच्चों में भारतीय संस्कृति, भारतीय परम्पराएं, भाईचारा, एकता आदि का बीजारोपण करते हैं तो उनमें खुद-ब-खुद संस्कार आ जाते हैं जिसकी जिम्मेदारी माता-पिता, परिवार और शिक्षक की होती है। उन्होंने कहा कि इस उद्देश्य को भी डीएसबी इंटरनैशनल स्कूल में महत्व दिया जाएगा। ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी का कहना है कि शिक्षा मनुष्य के जीवन का सबसे कीमती तोहफा है, जो व्यक्ति के जीवन की दिशा और दशा दोनों बदल देती है और संस्कार मनुष्य के जीवन का सार हैं। अच्छे संस्कारों द्वारा ही मनुष्य के व्यक्तित्व का निर्माण और विकास होता है और जब मनुष्य में शिक्षा और संस्कार दोनों का विकास होगा, तभी वह परिवार, समाज और देश का विकास कर सकेगा। जयराम संस्थाएं बच्चों में ऐसी शिक्षा चाहती हैं कि बच्चे राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर में सम्मान के साथ पहुंचकर आजीविका हासिल करें।
श्री जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी।