आत्मनिर्भर भारत की भाग्य रेखा बनेगी उद्यमिता

विश्व उद्यमिता दिवस पर विशेष।
प्रोफ़ेसर दिनेश कुमार
कुलगुरु, श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय।
पलवल, प्रमोद कौशिक 20 अगस्त : भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम आज विश्व में तीसरे पायदान पर शान से खड़ा है, जो अपने जोश और जुनून से दुनिया को चकित कर रहा है! भारत का युवा उद्यमिता को आत्मसात करते हुए विश्व के समक्ष एक प्रतिमान गढ़ रहा है। आंकड़े इस बात के साक्षी हैं कि भारत में उद्यमशीलता ने नई उड़ान भरी है। नए रोजगारों का सृजन इस पहल की परिणति बन गया है।
भारत का समग्र एसडीजी स्कोर 100 में से 71 तक सुधर गया है, जो 2020-21 में 66 और 2018 में 57 था। यह 2030 के लक्ष्यों की ओर निरंतर प्रगति को दर्शाता है।
उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग के आंकड़ों के अनुसार जनवरी 2025 तक देश में 1,59,157 से अधिक स्टार्टअप्स पंजीकृत हैं। मई 2025 तक 122 यूनिकॉर्न्स (एक अरब डॉलर से अधिक मूल्य वाले स्टार्टअप्स) सफलता के आकाश में नई ऊंचाइयों को छू रहे हैं। इनमें से 52 प्रतिशत मात्र पांच साल में अस्तित्व में आए और बाजार में छा गए। नैसकॉम और डीपीआईआईटी की रिपोर्ट्स बताती हैं कि पिछले पांच वर्षों में इन स्टार्टअप्स ने 17.28 लाख प्रत्यक्ष और करोड़ों अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा किए हैं।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की यह बात दिल को छूती है, “भारत का युवा अब जॉब सीकर नहीं, जॉब क्रिएटर बनना चाहता है। यही नया भारत है, यही आत्मनिर्भर भारत की असली कहानी है!” दरअसल उद्यम हमारे संस्कारों और विचारों में सनातन काल से संवर्धित है। श्रीमद्भगवद गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है “नियतं कुरु कर्म त्वं कर्म ज्यायो ह्यकर्मणः।” अर्थात तुम्हें नियत कर्म करना ही चाहिए, क्योंकि कर्म ही अकर्म से श्रेष्ठ है। कर्मशीलता की भूमि पर ही उद्यमिता के बीज अंकुरित होते हैं। उत्साह और परिश्रम से बढ़कर कोई शक्ति नहीं। उद्यमिता का मूल यही है। उद्यमिता वह जादुई शक्ति है, जो सपनों को पंख देती है। भारत के पास 15-59 वर्ष की कार्यशील जनसंख्या (लगभग 65% से अधिक) विश्व में सबसे बड़ी संख्या है। भारत का मेधावी युवा इस बात को समझ चुका है कि उद्यमिता आत्मनिर्भरता की सुनहरी कुंजी है। इसी से विकसित भारत के संकल्प को सशक्त बनाने का मार्ग प्रशस्त होगा। यह युवाओं को नौकरी के पीछे भागने से मुक्त कर नवाचार की दुनिया में ले जाती है और नया सोचने की क्षमता को विकसित करती है। डिजिटल इंडिया और मेक इन इंडिया जैसे अभियानों ने इस चिंगारी को आग में बदल दिया है। 2024 में डिजिटल पेमेंट्स ने 1,200 अरब डॉलर के लेन-देन को छुआ, जिसमें स्टार्टअप्स की बड़ी भूमिका रही। हर साल भारत में एक करोड़ से अधिक युवा वर्क फ़ोर्स में शामिल होते हैं, लेकिन औपचारिक नौकरियों की संख्या इन सपनों को पूरा करने में कम पड़ती है। यह युवाओं को जोखिम उठाने, असफलता से सबक लेने और भविष्य की अर्थव्यवस्था को गढ़ने का साहस देती है। नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत की यह बात याद रखने लायक है, “भारत के विकास की कुंजी उद्यमिता है। यह युवाओं को सपनों का जोखिम लेने और भविष्य को रचने का अवसर देती है।” आचार्य चाणक्य ने भी कहा था कि, ”कार्य की सिद्धि साहस और पुरुषार्थ से होती है, केवल सुख या धन से नहीं।” इसलिए हमारे युवाओं ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के आह्वान पर उद्यमिता की नब्ज़ को अच्छे से पकड़ा है। सरकार ने उद्यमिता को विकसित करने के लिए उदार नीतियों को आधार बनाया है।
हरियाणा भी उद्यमिता के क्षेत्र में नई इबारत लिख रहा है। इस प्रदेश ने इज़ ऑफ़ डूइंग में शानदार काम किया है। सिंगल विंडो सिस्टम के रूप में स्थापित हरियाणा इंटरप्राइजेज प्रोमोशन सेंटर इसका प्रमुख उदाहरण है, जिसके माध्यम से सभी औद्योगिक अनुमतियाँ एक ही स्थान पर उपलब्ध कराई जाती हैं। लगभग 100 से अधिक सेवाएं पूरी तरह ऑनलाइन करना मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी एवं उनके पूर्ववर्ती मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल की सोच का परिणाम है। हरियाणा स्टार्टअप नीति 2022 के तहत सरकार ने युवाओं के लिए वित्तीय सहायता, इनक्यूबेशन सेंटर, कर छूट, और अब 4 करोड़ तक की सहायता के साथ स्टार्टअप वेयरहाउस की शुरुआत की है। प्रदेश के युवा सशक्तिकरण एवं उद्यमिता राज्य मंत्री श्री गौरव गौतम के नेतृत्व में
हरियाणा एंटरप्रेन्योरशिप प्रमोशन सेंटर युवाओं को प्रशिक्षण और मार्गदर्शन दे रहा है, जिससे राज्य सातवें सबसे बड़े स्टार्टअप हब के रूप में उभरा है। हरियाणा सरकार का लक्ष्य वर्ष 2025 तक 5,000 से अधिक स्टार्टअप्स को बढ़ावा देना है, ताकि युवाओं में रोजगार सृजन के साथ-साथ नवाचार की संस्कृति भी विकसित हो।
दरसअल उद्यमिता विचारों की उड़ान है, लेकिन उसकी जड़ें कौशल और दक्षता में गहरी होती हैं। श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय इस बुनियाद को मजबूत कर रहा है। यहाँ युवा डिग्री के साथ-साथ उद्योग-केंद्रित स्किल-बेस्ड शिक्षा पाते हैं, जो उन्हें बाजार की मांग से जोड़ती है। इतना ही नहीं श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय ने सिडबी के साथ मिल कर “सुपर-30” एंटरप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट प्रोग्राम शुरू किया। इस अनोखे कार्यक्रम में 30 चयनित युवाओं को उद्यमिता कौशल, व्यवसाय योजना, वित्त प्रबंधन और सस्टेनेबल मॉडल्स में ट्रेनिंग दी गई है। इनमें से 22 विद्यार्थियों ने अपने स्टार्टअप्स रजिस्टर्ड करवा कर काम की शुरुआत की है। इसके सुखद परिणाम भी शीघ्र हमारे सामने होंगे। यह अपने आप में एक अनुपम प्रयोग है।
डिजिटल पेमेंट्स, ई-कॉमर्स, एआई और ग्रीन टेक्नोलॉजी युवाओं के लिए उद्यमिता के नए सोपान हैं। ग्रामीण एग्रीटेक और हेल्थटेक स्टार्टअप्स विकास की नई कहानी लिख सकते हैं। यदि सरकार, शिक्षण संस्थान और उद्योग हाथ मिलाएँ, तो 2030 तक भारत 280 यूनिकॉर्न्स और 3 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन सकता है। उद्यमिता भारत के लिए वह मशाल है, जो आत्मनिर्भरता, रोजगार और नवाचार की राह दैदीप्यमान बनाएगी।