आचार्य पीठ में 51वें अष्टदिवसीय श्रीमद्भागवत जयंती एवं श्रीराधा जन्म महोत्सव के अंतर्गत हुआ विराट सन्त-विद्वत सम्मेलन का आयोजन

सेंट्रल डेस्क संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक दूरभाष – 9416191877
वृन्दावन : सेवाकुंज- इमलीतला क्षेत्र स्थित श्रीआचार्य पीठ में श्रीमद्भागवत सेवा संस्थान (रजि.) के तत्वावधान में चल रहे 51 वें अष्टदिवसीय श्रीमद्भागवत जयंती एवं श्रीराधा जन्म महोत्सव के अंतर्गत विराट संत-विद्वत का आयोजन सम्पन्न हुआ।जिसकी अध्यक्षता करते हुए श्रीरामानुज सम्प्रदाचार्य जगद्गुरु स्वामी अनिरुद्धाचार्य महाराज ने कहा कि जहाँ भगवान नारायण को ही परमोपास्य तत्व माना जाता है, वहां भक्ति के माध्यम से भक्त भगवान् के सान्निध्य और सेवकत्व को प्राप्त करते हैं।उसे ही वैष्णव धर्म व भागवत धर्म कहते हैं।जिसका प्रचार व प्रसार आचार्य पीठ के द्वारा कई पीढ़ियों से किया जा रहा है।
श्रीपीपाद्वाराचार्य जगद्गुरु बाबा बलरामदास देवाचार्य महाराज एवं आचार्यकुटी पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामप्रपन्नाचार्य महाराज ने कहा कि आचार्य पीठाधीपति रामानुज सम्प्रदायाचार्य, बैकुंठवासी स्वामी किशोरीरमाणाचार्य महाराज धर्म व अध्यात्म की बहुमूल्य विभूति थे।
गौरी गोपाल आश्रम के संस्थापक व विश्वविख्यात भागवताचार्य अनिरुद्धाचार्य महाराज एवं वानप्रस्थ धाम के संस्थापक डॉ. चतुर नारायण पाराशर महाराज ने कहा कि श्रीमद्भागवत महापुराण एक ऐसा ग्रंथ है,जिसके श्रवण, वाचन व अध्ययन तीनों से ही जीव का कल्याण हो जाता है।ऐसे ग्रंथ का प्राकट्य महोत्सव मनाना सनातन धर्म की उन्नति के लिए मंगलकारी है।
आचार्य पीठाधीश्वर भागवत भूषण स्वामी यदुनंदनाचार्य महाराज एवं प्रख्यात साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने कहा कि आचार्य पीठ में श्रीराधा जन्म महोत्सव एवं श्रीमद्भागवत जयंती महोत्सव मनाए जाने की परम्परा 50 वर्ष पूर्व श्रीरामानुज सम्प्रदायाचार्य बैकुंठवासी स्वामी किशोरी रमणाचार्य महाराज ने प्रारम्भ की थी।जिसका निर्वाह आज भी बड़े ही उत्साह और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
आचार्य रामविलास चतुर्वेदी एवं आचार्य नागेंद्र गौड़ ने कहा कि ब्रज के सिद्ध व रसिक संतों की वाणियों में श्रीराधा रानी को अखिल ब्रह्मांड नायक की आल्हादिनी शक्ति कहा गया है। सम्पूर्ण ब्रज मंडल में चहुओर उन्ही का साम्राज्य है।वह ब्रजवासियों को प्राणाधार हैं।
इससे पूर्व संगीताचार्य पण्डित देवकी नंदन शर्मा के द्वारा श्रीराधा जन्म की बधाईयों का संगीतमय गायन किया गया।
सन्त-विद्वत सम्मेलन में निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि महाराज (हरिद्वार), जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज, तुलसी पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामभद्राचार्य महाराज, बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पण्डित धीरेन्द्र शास्त्री, जगद्गुरु स्वामी राघवाचार्य महाराज, जगद्गुरु कार्ष्णि स्वामी गुरु शरणानंद महाराज आदि ने वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से अपना उद्बोधन दिया।
महोत्सव में श्रीमहंत लाड़िली शरण देवाचार्य महाराज, श्रीकृष्ण काली पीठाधीश्वर डॉ. केशवाचार्य महाराज, रंग पुरोधा आचार्य पं. विजय मिश्रा, डॉ. राधाकांत शर्मा, धर्मवीर शास्त्री, पूर्व प्राचार्य डॉ. रामसुदर्शन मिश्र, डॉ. रामकृपालु त्रिपाठी, डॉ. रमेश चंद्राचार्य विधिशास्त्री, भगवताचार्य गोपाल भैया महाराज, आचार्य नन्दकुमार शास्त्री, प्रमुख समाजसेवी पिंकी द्विवेदी, संत रामकृपालु दास, अनन्त रामानुज दास, सर्वेश्वरी दासी, पण्डित जयदेव श्रोत्रीय, महंत मधुमंगल शरण शुक्ल, संत रामदास महाराज आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।संचालन आचार्य यशोदा नन्दन शास्त्री (लालजी महाराज) ने किया। युवराज वेदान्त आचार्य महाराज ने महोत्सव में पधारे सभी आगंतुक अतिथियों को पटुका ओढ़ाकर एवं ठाकुरजी का प्रसाद व दक्षिणा आदि भेंट कर अभिनंदन किया।