Uncategorized

दिव्या ज्योति जागृती संस्थान फिरोजपुर के स्थानीय आश्रम में साप्ताहिक सत्संग कार्यक्रम का किया गया आयोजन

दिव्या ज्योति जागृती संस्थान फिरोजपुर के स्थानीय आश्रम में साप्ताहिक सत्संग कार्यक्रम का किया गया आयोजन

(पंजाब) फिरोजपुर 26 अक्टूबर [कैलाश शर्मा जिला विशेष संवाददाता}=

दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के स्थानीय आश्रम में साप्ताहिक सत्संग कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें सर्व श्री आशुतोष महाराज जी के परम शिष्य स्वामी चंद्रशेखर जी ने उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा कि जीवन को व्यर्थ न गँवाएँ, यह ईश्वर का सबसे अनमोल वरदान है। यह श्वास, यह क्षण, यह मानव जन्म अनगिनत जन्मों के बाद मिला है। अतः इसे केवल खाने-पीने, धन-संपत्ति संचय करने या झूठे सांसारिक सुखों को इकट्ठा करने में बर्बाद करना ईश्वरीय वरदान का हनन है। मनुष्य का जन्म केवल माया में फँसे रहने के लिए नहीं, बल्कि अपने भीतर विराजमान ईश्वर को पहचानने और उनके नाम-जप से जुड़ने के लिए हुआ है।

समय रेत की तरह हाथों से फिसल रहा है। एक-एक करके साँसें कम होती जा रही हैं और कल किसी ने नहीं देखा। माया, लोभ, अहंकार, क्रोध और झूठे दिलासे हमारे जीवन को व्यर्थ किए जाते हैं और हम सोचते हैं कि अभी भी समय है। लेकिन जो व्यक्ति ईश्वर को भूल जाता है, उसका हर दिन, हर साँस व्यर्थ हो जाती है।
स्वामी जी ने कहा कि जीवन की सफलता समय पर सब कुछ प्राप्त करने में नहीं, बल्कि समय को ईश्वर के सिमरन से जोड़कर जीने में है। ईश्वर किसी दूर आकाश में नहीं, हमारे भीतर ही विराजमान हैं। उन्हें पाने के लिए किसी घने जंगल या किसी विशेष स्थान की आवश्यकता नहीं है। बस एक पूर्ण सतगुरु की आवश्यकता है जो हमें ईश्वर से मिलाने की क्षमता रखता हो। गुरु केवल उपदेश ही नहीं देते, बल्कि धर्मग्रंथों और शास्त्रों की कसौटी पर हमारे माथे पर हाथ रखकर हमारे भीतर ईश्वर का दर्शन कराते हैं। तभी भक्ति का आरंभ होता है और मन निर्मल होता है।
महापुरुष कहते हैं कि जिस दिन व्यक्ति अपने भीतर नाम सिमरन कर लेता है, उसी दिन उसका वास्तविक जन्म शुरू हो जाता है। बाकी समय तो जीवन का एक नाटक मात्र है। इसलिए इस जन्म को व्यर्थ न जाने दें। हर सांस को ईश्वर के सिमरन से जोड़ें। हर दिन उनकी भक्ति के नाम करें।
इस जीवन को सफल बनाएं, क्योंकि यह दोबारा नहीं मिलने वाला है। जब व्यक्ति का मन प्रभु से जुड़ जाता है, तो उसका जीवन कभी व्यर्थ नहीं जाता, वह प्रभु के वरदान और कृपा से परिपूर्ण हो जाता है। अंत में साध्वी रजनी भारती जी एवं साध्वी अनु भारती जी ने मधुर भजन कीर्तन किया।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Compare Listings

Title Price Status Type Area Purpose Bedrooms Bathrooms
plz call me jitendra patel