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गौ माता की सेवा, गायत्री का जाप और गीता का पाठ अवश्य करना चाहिए–आचार्य रमाकान्त दीक्षित

दीपक शर्मा (जिला संवाददाता)

बरेली : आज कल की युवा पीढ़ी अपने धर्म अपने भगवान को नही मानते है, यदि तुम अपने धर्म को जानना चाहते हो तो पहले अपने धर्म को जानने के लिए गीता, भागवत, रामायण पढ़ो तो, तुम नहीं तुम्हारी आने वाली पीढ़ी भी संस्कारी हो जायेगी। यह विचार कृष्णानगर कालोनी, दुर्गानगर में आयोजित नवकुंडीय सहस्त्रचंडी महायज्ञ एवं श्रीमद् भागवत कथा के पांचवे दिन बुधवार को कथा व्यास आचार्य रमाकान्त दीक्षित ने श्रोताओं को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किये।
आचार्य रमाकांत दीक्षित ने श्रोताओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि सच्चा वैट्स मैन वही है जो हर मुसीबत का डटकर सामना करता है एवं धनवान व्यक्ति वही है जो अपने तन, मन, धन से सेवा भक्ति करे। परमात्मा की प्राप्ति सच्चे प्रेम के द्वारा ही संभव हो सकती है। पूतना चरित्र का वर्णन करते हुए महाराज ने बताया कि पूतना राक्षसी ने बालकृष्ण को उठा लिया और स्तनपान कराने लगी। श्रीकृ ष्ण ने स्तनपान करते-करते ही पूतना का वध कर उसका कल्याण किया। माता यशोदा जब भगवान श्री कृष्ण को पूतना के वक्षस्थल से उठाकर लाती है उसके बाद पंचगव्य गाय के गोबर, गोमूत्र से भगवान को स्नान कराती है। सभी को गौ माता की सेवा, गायत्री का जाप और गीता का पाठ अवश्य करना चाहिए। गाय की सेवा से 33 करोड़ देवी देवताओं की सेवा हो जाती है। भगवान व्रजरज यह दिखला रहे हैं कि जिन भक्तों ने मुझे अपनी सारी भावनाएं व कर्म समर्पित कर रखें हैं वे मेरे कितने प्रिय हैं। भगवान स्वयं अपने भक्तों की चरणरज मुख के द्वारा हृदय में धारण करते हैं। कर लाती है उसके बाद पंचगव्य गाय के गोबर, गोमूत्र से पृथ्वी ने गाय का रूप धारण करके श्रीकृष्ण को पुकारा तब श्रीकृष्ण पृथ्वी पर आये हैं। इसलिए वह मिट्टी में नहाते, खेलते और खाते हैं ताकि पृथ्वी का उद्धार कर सकें। गोप बालकों ने जाकर यशोदामाता से शिकायत कर दी कि ‘मां तेरे लाला ने माटी खाई है यशोदामाता हाथ में छड़ी लेकर दौड़ी आयीं। ‘अच्छा खोल मुख। माता के ऐसा कहने पर श्रीकृष्ण ने अपना मुख खोल दिया। श्रीकृष्ण के मुख खोलते ही यशोदाजी ने देखा कि मुख में चर-अचर सम्पूर्ण जगत विद्यमान है। आकाश, दिशाएं, पहाड़, द्वीप, समुद्रों के सहित सारी पृथ्वी, बहने वाली वायु, वैद्युत, अग्नि, चन्द्रमा और तारों के साथ सम्पूर्णज्योतिर्मण्डल, जल, तेज अर्थात प्रकृति, महतत्त्व, अहंकार, देवगण, इन्द्रियां, मन, बुद्धि, त्रिगुण, जीव, काल, कर्म, प्रारब्ध आदि तत्त्व भी मूर्त दीखने लगे। पूरा त्रिभुवन है, उसमें जम्बूद्वीप है, उसमें भारतवर्ष है, और उसमें यहब्रज, ब्रज में नन्दबाबा का घर, घर में भी यशोदा और वह भी श्री कृष्ण का हाथ पकड़े। बड़ा विस्मय हुआ माता को। श्री कृष्ण ने देखा कि मैया ने तो मेरा असली तत्त्व ही पहचान लिया है। श्री कृष्ण ने सोचा यदि मैया को यह ज्ञान बना रहता है तो हो चुकी बाललीला, फिर तो वह मेरी नारायण के रूप में पूजा करेगी। न तो अपनी गोद में बैठायेगी, न दूध पिलायेगी और न मारेगी। जिस उद्देश्य के लिए मैं बालक बना वह तो पूरा होगा ही नहीं। यशोदा माता तुरन्त उस घटना को भूल गयीं। महाराज ने कहा कि आज कल की युवा पीढ़ी अपने धर्म अपने भगवान को नहीं मानते है, लेकिन तुम अपने धर्म को जानना चाहते हो तो पहले अपने धर्म को जानने के लिए गीता, भागवत, रामायण पढ़ो तो, तुम नहीं तुम्हारी आने वाली पीढ़ी भी संस्कारी हो जायेगी। ब्रजवासियों ने इंद्र की पूजा छोडकर गिर्राज जी की पूजा शुरू कर दी तो इंद्र ने कुपित होकर ब्रजवासियों पर मूसलाधार बारिश की, तब कृष्ण भगवान ने गिर्राज को अपनी कनिष्ठ अंगुली पर उठाकर ब्रजवासियों की रक्षा की और इंद्र का मान मर्दन किया। तब इंद्र को भगवान की सत्ता का अहसास हुआ और इंद्र ने भगवान से क्षमा मांगी व कहा हे प्रभु मैं भूल गया था की मेरे पास जो कुछ भी है वो सब कुछ आप का ही दिया है। कथा के दौरान राधे कृष्ण गोविंद गोपाल राधे राधे एवं राधे तेरे चरणों की भजनो के ऊपर भक्तों ने खूब आनंद उठाया ।
मीडिया प्रभारी एड़वोकेट हर्ष कुमार अग्रवाल व व्यवस्थापक अजय राज शर्मा ने बताया कि इससे पूर्व सुबह के सत्र में 8 बजे से 1 बजे तक नव कुण्डीय सहस्त्र चंडी महायज्ञ में साधकों ने याज्ञाचार्य नीलेश मिश्रा के सानिध्य में राष्ट्र व समाज के मंगल की कामना करते हुए आहुतियां दी। इस दौरान बनारस. हरिद्वार, वृंदावन, मध्य प्रदेश, आदि स्थानों से पधारे 51 ब्राहाम्ण, डांडी स्वामी, संत महात्मा आदि मौजूद रहे। इस अवसर पर मुख्य अतिथि मेयर डॉ उमेश गौतम, विशिष्ट अतिथि अपर जिलाधिकारी, नगर सौरभ दुबे, विवेक सक्सेना, रवि पांडेय, रंजीत वशिष्ठ, रवि गोयल, दीपेश अग्रवाल, अरविन्द अग्रवाल. यश अग्रवाल, अनूप अग्रवाल, अनिल अग्रवाल, विष्णु शुक्ला, देव दीक्षित, अनुराग अवस्थी प्रवीण भगवान विवेक मित्तल छाया दीक्षित आदि उपस्थित रहे।

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