श्री जयराम विद्यापीठ में भागवत कथा में कृष्ण जन्म के प्रसंग पर मस्ती में झूमे श्रद्धालु

धरती पर अत्याचारों एवं पाप को रोकने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने धरती पर अवतार लिया : कृष्ण चंद्र ठाकुर

कुरुक्षेत्र, वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक 28 नवम्बर : गीता जयंती महोत्सव 2025 के अवसर पर ब्रह्मसरोवर के तट पर स्थित श्री जयराम विद्यापीठ में देशभर में संचालित श्री जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी के सान्निध्य में आयोजित श्रीमद भागवत पुराण की कथा के चौथे दिन व्यासपीठ से विख्यात कथावाचक कृष्ण चंद्र शास्त्री ठाकुर ने भगवान श्रीकृष्ण के जन्म और उनकी बाल लीलाओं का बहुत सुंदर एवं मनमोहक वर्णन किया किया। जिसे सुनकर श्रद्धालु भावविभोर हो गए। भगवान श्री कृष्ण जन्म के संगीतमय प्रसंग को सुनकर श्रद्धालु बार बार झूमते नजर आए। कथा के शुभारम्भ से पूर्व व्यासपीठ का पूजन किया गया। इस मौके पर परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी भी मौजूद रहे। भगवान श्री कृष्ण जन्म प्रसंग के लिए विद्यापीठ की ओर से विशेष व्यवस्था की गई। इस मौके पर श्रद्धालु भगवान श्री कृष्ण के स्वागत के लिए पीले वस्त्रों में नजर आए। कथा वाचक ने कहा कि अत्याचारी कंस के पापों से जब धरती पर धर्म की हानि होने लगी, तब भगवान श्रीकृष्ण को अवतार लेना पड़ा। देवकी की सात संतानों के बाद जब वह आठवीं बार गर्भवती हुई, तो उन्हें इस संतान की मृत्यु का भय सताने लगा। कृष्ण चंद्र ठाकुर ने कथा में कहा कि भगवान की लीला से श्री कृष्ण के जन्म लेते ही जेल के सभी बंधन टूट गए और प्रहरी गहरी नींद में सो गए। वासुदेव जी भगवान श्रीकृष्ण को लेकर यमुना मैया को पार करते हुए गोकुल में नंद बाबा के घर पहुंचे। रास्ते में यमुना मैया भगवान के चरण स्पर्श करने के लिए आतुर हो गई और भगवान ने उन्हें अपने चरण स्पर्श करवाए। कथावाचक ने कहा कि जब-जब भी धरती पर धर्म की हानि होती है, तब-तब भगवान अवतरित होते हैं। उन्होंने धर्म की स्थापना और अधर्म के नाश के लिए भगवान के विभिन्न अवतारों का महत्व समझाया। इस मौके पर एसएन गुप्ता, राजेंद्र सिंघल, कुलवंत सैनी, ईश्वर गुप्ता, टेक सिंह, राजेश सिंगला, केके कौशिक, पवन गर्ग, यशपाल राणा, सुरेंद्र फौजी, पूर्व सरपंच राजेश शर्मा, सुनील गौरी, विवेक भारद्वाज डब्बू, सुरेश मित्तल, हरप्रीत सिंह चीमा, संगीता शर्मा, संतोष यादव, देवी शर्मा इत्यादि भी मौजूद रहे।
श्री जयराम विद्यापीठ में भागवत कथा करते हुए कृष्ण चंद्र शास्त्री ठाकुर एवं उपस्थिति।




