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“यूपी रत्न” डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने किया “मंद-मंद मुस्काते भोले” कविता संग्रह का आनलाइन लोकार्पण

सेंट्रल डेस्क संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक दूरभाष – 9416191877

लोक कल्याणकारी कविता संग्रह है “मंद-मंद मुस्काते भोले” : डॉ. गोपाल चतुर्वेदी

वृन्दावन,29 नवंबर : प्रख्यात साहित्यिक व सामाजिक संस्था “अखंड संडे” के तत्वावधान में प्रख्यात साहित्यकार व शिक्षाविद् कार्तिकेय त्रिपाठी “राम” द्वारा रचित “मंद-मंद मुस्काते भोले” कविता संग्रह का 116वां आनलाइन लोकार्पण समारोह के मुख्य अतिथि ब्रज साहित्य सेवा मंडल के अध्यक्ष व प्रख्यात साहित्यकार “यूपी रत्न” डॉ. गोपाल चतुर्वेदी (वृन्दावन) ने किया।साथ ही अपने उदबोधन में कहा कि “मंद-मंद मुस्काते भोले” कविता संग्रह की सभी कविताओं के केंद्र बिंदु भगवान शिव हैं।जो उनकी भगवान शिव के प्रति परम भक्ति का प्रमाण है। ये संग्रह लेखक के जीवन का प्रतिबिंब है, जो कि उनकी आध्यात्मिक निष्ठा का परिचय देता है। इस संग्रह की रचनाएं सहज, सरल व रोचक शैली में नवीन भाव, बिंबो व संदेशों से ओत-प्रोत है। ये ऐसी पहली कविताओं की किताब है, जिसमें 208 कविताएं भगवान शिव को समर्पित है। ये कविता संग्रह लोक कल्याणकारी है।
इस अवसर पर राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित संस्कृत विश्वविद्यालय, उज्जैन के पूर्व कुलपति आचार्य मिथिला प्रसाद त्रिपाठी ने कहा कि कवि कार्तिकेय ने भगवान शंकर को हर स्वरूप में देखा और उसे शब्दों में अभिव्यक्त किया है। ये संग्रह जनमानस में आध्यात्मिक चेतना जागृत करने में सहायक है।
प्रख्यात बाल पत्रिका “देवपुत्र” के संपादक गोपाल माहेश्वरी ने कहा कि शिव ही साहित्य का मूल प्राण तत्व है। शिव से ही साहित्य का सृजन होता है। ‘सत्यम् शिवम् सुंदरम्’ साहित्य का केंद्रीय भाव और उसकी आत्मा है। इसके बिना रची गई रचना साहित्य की श्रेणी में नहीं आती। इस संग्रह की हर रचना में शिव तत्व समाया हुआ है।इस कविता संग्रह में ‘सत्यम शिवम सुंदरम’ के भाव को महसूस किया जा सकता है।
“मंद-मंद मुस्काते भोले” कविता संग्रह के लेखक कार्तिकेय त्रिपाठी “राम” ने कहा कि उन्हें लेखन की प्रेरणा अपने पिता स्व सीताराम त्रिपाठी से मिली है। शंकरजी ही आदि-अनंत हैं, वे ही हमारे जीवन के पथ-प्रदर्शक है। जनमानस तक ये पावन संदेश पहुँचाने के उद्देश्य से ही हमने भोले को समर्पित इन 208 रचनाओं का सृजन किया है।
कृति संपादक मुकेश इन्दौरी ने कहा कि इस संग्रह की रचनाएं लोकमंगल की भावना से रची गई हैं। इस संग्रह की रचनाएं सूर, तुलसी के द्वारा रचे गए काव्य की तरह युगों-युगों तक शिव काव्यामृत से रसास्वादन करने योग्य है।
ऑनलाइन लोकार्पण समारोह में देश-विदेश के कई जाने-माने साहित्यकार व शिक्षाविद् उपस्थित रहे।

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