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श्री जयराम विद्यापीठ में मध्य रात्रि तक चला भव्य हास्य कवि सम्मेलन

श्रोता हुए हंसी से लोटपोट श्री जयराम विद्यापीठ में गीता जयंती महोत्सव पर हर वर्ष आयोजित होता है हास्य कवि सम्मेलन।
हास्य कवियों ने मानवीय संबंधों,मार्मिक संवेदनाओं एवं समाज में भ्रष्टाचार पर किए कठोर कटाक्ष।
हास्य कवि सम्मेलन में जयराम विद्यापीठ में खचाखच भरा पंडाल।

कुरुक्षेत्र, वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक 30 नवम्बर : श्री जयराम विद्यापीठ में गीता जयंती महोत्सव 2025 के अवसर पर हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी भव्य हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। देशभर में संचालित श्री जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी के सान्निध्य में आयोजित हास्य कवि सम्मेलन में कवियों ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं के दिलों को खूब गुदगुदाया। इस मौके पर हास्य कवि सम्मेलन का आनंद लेने के लिए गीता जयंती के अवसर पर श्री जयराम विद्यापीठ में भागवत कथा कर रहे देश के विख्यात कथा वाचक कृष्ण चंद्र शास्त्री ठाकुर भी मौजूद रहे। विद्यापीठ में आयोजित हास्य कवि सम्मेलन में पंडाल लोगों से खचाखच भरा रहा। मध्य रात्रि तक चले हास्य कवि सम्मेलन में दिनेश रघुवंशी, सर्वेश अस्थाना, जगबीर राठी, रुचि चतुर्वेदी, अनिल अग्रवंशी एवं दीपक पारिख विख्यात कवियों ने काफी रोचक रचनाएं सुनाई। हास्य कवियों का विधिवत स्वागत किया गया। हास्य कवि सम्मेलन का मंच संचालन अनिल अग्रवंशी ने किया। हास्य कवि अनिल अग्रवंशी ने तो अपनी रचनाओं में ठेठ हरियाणवी अंदाज में जहां सामाजिक एवं राजनीतिक परिस्थितियों में कटाक्ष किए वहीं गीता की महत्ता पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि किसी को हंसाने की कला ही जीवन की वास्तविक कला है। आज जीवन में तनाव तो कहीं से भी ले लो। अनिल अग्रवंशी ने जीवन में हास्य के महत्व और आज हर व्यक्ति में बीमारियों पर रचना के माध्यम से चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि बच्चों की उम्र बढ़ रही है लेकिन शादियां नहीं हो रही है। आगरा से आई महिला कवयित्री रुचि चतुर्वेदी ने हास्य कवि सम्मेलन का शुभारम्भ सरस्वती वंदना से किया। रुचि चतुर्वेदी ने अपनी रचनाओं में भगवान श्री कृष्ण एवं राधा के प्रेम की सुंदर प्रस्तुति की। देश सीमा पर तैनात सैनिक की पत्नी की भावनाओं को व्यक्त करने के लिए भी रचना प्रस्तुत की। महिला कवयित्री रुचि चतुर्वेदी ने आज के शहरी एवं गांव के जीवन पर भी बहुत ही मार्मिक रचना प्रस्तुत की। उन्होंने दिल, आत्मा और भगवान से संबंधों को बहुत ही सुंदर अंदाज में प्रस्तुत किया। भीलवाड़ा राजस्थान से आए कवि दीपक पारीख ने देश और समाज में भ्रष्टाचार पर कठोर कटाक्ष किए। उन्होंने राजनीति पर भ्रष्टाचार पर टिप्पणी करते हुए करते हुए कहा कि देश राम का है लेकिन लोग रावण के संरक्ष्ण में हैं। कवि दीपक पारीख ने पेड़ों के कटाव से भविष्य तथा वृद्धाश्रम में बैठे नाना नानी व दादा दादी पर भी चिंता व्यक्त की। हरियाणा के रोहतक से हास्य कवि एवं शिक्षाविद जगबीर राठी ने रचना शुरू करने से पहले हरियाणवी अंदाज में कहा कि इसी धरती पर भगवान श्री कृष्ण कर्म का संदेश पढ़ा गए। उन्होंने भारतीय संस्कृति एवं संस्कारों को भी व्यंग्य के माध्यम से व्यक्त किया। राठी ने गीत के माध्यम से पहले के समय में और अब के समय में रिश्तों पर भी कटाक्ष किया। लखनऊ से आए कवि सर्वेश अस्थाना ने गीता का अवधी में अनुवाद किया है। उन्होंने समाज में संबंधों पर बहुत सुंदर शब्दों में टिप्पणी की। साथ ही कहा कि आज हर झूठ के पीछे स्वार्थ होता है। कवि सर्वेश अस्थाना ने राजनीतिज्ञों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि अपने गिरेबान में झांकें तो समाज व देश सुधरेगा। उन्होंने कहा कि आज राजनीति ही एक्टिंग है। उन्होंने दहेज प्रथा पर भी रचना के माध्यम से सुंदर प्रस्तुति की। हरियाणा के फरीदाबाद से दिनेश रघुवंशी ने भी अपनी रचनाओं ने जहां पारिवारिक संबंधों पर व्यंग्य किया। वहीं वर्तमान सामाजिक परिस्थितियों पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने लोगों की भावनाओं के साथ पति पत्नी के संबंधों पर कटाक्ष किए। उन्होंने कहा कि बच्चे विदेश में जाकर सफल है लेकिन बाप यहां पर रहकर असफल है। इस मौके पर वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक, डॉ. संजीव कुमारी, कुलवंत सैनी, राजेंद्र सिंघल, पवन गर्ग, खरैती लाल सिंगला, केके कौशिक, टेक सिंह, डा. अजय गोयल, डा. गीता गोयल, राजेश सिंगला, मंजू सिंगला, डा. श्रेया अग्रवाल, यशपाल राणा, केसी रंगा, हरी सिंह, पूर्व सरपंच राजेश शर्मा, विवेक भारद्वाज डब्बू, सुनील गौरी, सतबीर कौशिक, रोहित कौशिक, प. प्रतीक शर्मा, प्राचार्य रणबीर भारद्वाज, सूबेदार मेजर सुरेश कुमार इत्यादि भी मौजूद रहे।
विद्यापीठ में हास्य कवि सम्मेलन पर रचनाओं की प्रस्तुतियां देते हुए देश के विख्यात कवि, हास्य कवि सम्मेलन का आनंद लेते लोग।

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