विद्यार्थी खुद को सीमित न करें, ज्ञान की 14 खिड़कियों से आयुर्वेद को देखें : कुलपति प्रो. धीमान

रोगी औषधियों से कम और वैद्य के व्यवहार से अधिक स्वस्थ होता है : प्रो. सिंगला।
श्री कृष्ण आयुष विश्वविद्यालय में दीक्षारम्भ कार्यक्रम का समापन।
कुरुक्षेत्र, वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक : श्री कृष्ण आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. वैद्य करतार सिंह धीमान ने कहा कि आयुर्वेद ही हमारी वास्तविक पहचान है। यदि आयुर्वेद को सही अर्थों में आत्मसात करना है तो सभी संहिताओं का गहन अध्ययन अनिवार्य है। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि जब आयुर्वेद का सार समझ आ जाए तो अपने नाम के आगे ‘डॉक्टर’ की जगह ‘वैद्य’ लिखना शुरू कर दें, क्योंकि अध्ययन से ही स्थाई ज्ञान, यश और प्रतिष्ठा प्राप्त होती है। कुलपति दीक्षारम्भ कार्यक्रम के समापन अवसर पर विद्यार्थियों को संबोधित कर रहे थे।
कुलपति ने कहा कि इस इंडक्शन कार्यक्रम में विद्यार्थियों को विश्वविद्यालय और संस्थान के प्रति अपने अधिकारों एवं कर्तव्यों की व्यापक जानकारी दी गई है। विद्यार्थी स्वयं को किसी एक विभाग तक सीमित न रखें, बल्कि आयुर्वेद के 14 विषयों में रुचि विकसित करते हुए आपस में तालमेल बनाएं। कहा कि एक अच्छा संस्थान इमारतों से नहीं, बल्कि वहां के विद्यार्थी, शिक्षक और कर्मचारी मिलकर बनाते हैं। कुलपति ने विद्यार्थियों को मेहनत और संघर्ष को जीवन का मूल मंत्र बनाने की प्रेरणा दी और कहा कि शॉर्टकट कभी भी स्थाई सफलता नहीं देता। कार्यक्रम में प्रो. दीप्ति पराशर ने इंडक्शन कार्यक्रम की विस्तार से जानकारी दी। कार्यक्रम में विद्यार्थियों ने अपने अनुभव भी साझा किए।
आयुर्वेदिक अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक प्रो. राजा सिंगला ने अपने व्याख्यान में कहा कि रोगियों की सेवा करना ही चिकित्सक का सर्वोच्च कर्तव्य है। एक अच्छा वैद्य वही है जो रोगी की बात धैर्यपूर्वक सुनकर उसे विश्वास दिलाए। रोगी औषधियों से कम और वैद्य के व्यवहार से अधिक स्वस्थ होता है। उन्होंने पीजी स्कॉलर्स को नैतिकता और व्यवहार शिष्टाचार के महत्व के बारे में बताते हुए कहा कि वैद्य का पहला दायित्व ईमानदारी, संवेदनशीलता और गोपनीयता है। रोगियों से सरल भाषा और विनम्रता के साथ बात करना चिकित्सा सेवा का मूल आधार है। अच्छा व्यवहार ही ओपीडी और आईपीडी की संख्या बढ़ाने का प्रमुख कारण बनता है। प्रो. सिंगला ने बताया कि आयुर्वेदिक अस्पताल में कई ऐसी बीमारियों का सफल उपचार किया जा रहा है, जिनका समाधान अन्य चिकित्सा पद्धतियों में कठिन है।
प्राचार्य प्रो. आशीष मेहता ने कहा कि विद्यार्थी जितना अनुशासन, नियमितता और लगन से सीखेंगे, उतना ही वे भविष्य में श्रेष्ठ वैद्य बनकर समाज की सेवा कर सकेंगे। उन्होंने विद्यार्थियों को सकारात्मक सोच, टीमवर्क और निरंतर सीखने का संकल्प लेने के लिए प्रेरित किया।
इस अवसर पर डीन एकेडमिक अफेयर्स प्रो. जितेश कुमार पंडा, प्रॉक्टर प्रो. सतीश वत्स, प्रो. सीमा रानी, प्रो. रणधीर सिंह, प्रो. सचिन शर्मा, प्रो. रवि राज, प्रो. रविंद्र अरोड़ा, प्रो. कृष्ण कुमार, डॉ. अनामिका, डॉ. नेहा लांबा, डॉ. आशीष नांदल, डॉ. एसके गोदारा, डॉ. सत्येंद्र कुमार, डॉ. मोहित शर्मा, डॉ. मनीषा खत्री, डॉ. लवीना, डॉ. प्रेरणा शर्मा, डॉ. सीमा वर्मा, डॉ. जोरावर सिंह सहित अनेक विद्यार्थी उपस्थित रहे।




