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हरियाणवी लोक धुनों से सजी कला परिषद की शाम, सुरसरिता कार्यक्रम में कलाकारों ने मचाया धमाल

कला कीर्ति भवन में सितार, तबले और नगाड़ा की जुगलबंदी ने बांधा समां, शास्त्रीय वाद्यवृंद कार्यक्रम के कायल हुए श्रोता।
संगीत के बिना जीवन अधूरा है : कैलाश सैनी।

कुरुक्षेत्र (संजीव कुमारी) 20 दिसम्बर : संगीत जीवन में एक अहम भूमिका निभाता है। संगीत के बिना जीवन अधूरा है। संगीत मानव जीवन का एक अभिन्न अंग है जो भावनाओं को व्यक्त करने, तनाव कम करने, खुशी और ऊर्जा प्रदान करने के साथ-साथ मस्तिष्क को सक्रिय करता है। युवा कलाकार जब संगीत के माध्यम से अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हैं तो न केवल लोगों को सफल मनोरंजन मिलता है, बल्कि कलाकारों को भी आत्मिक शांति की अनुभूति होती है। ये कहना था मुख्यमंत्री कार्यालय के प्रभारी कैलाश सैनी का। वे हरियाणा कला परिषद द्वारा आयोजित साप्ताहिक संध्या में आयोजित कार्यक्रम सुरसरिता के दौरान बतौर मुख्यअतिथि लोगों को संबोधित कर रहे थे। हरियाणा कला परिषद द्वारा कला कीर्ति भवन में प्रत्येक सप्ताह आयोजित होने वाली साप्ताहिक संध्या में सुरसरिता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें शास्त्रीय वाद्य वृंद के माध्यम से कलाकारों ने विभिन्न रागों और हरियाणवी लोक धुनों को प्रस्तुत किया। इस मौके पर मुख्यमंत्री कार्यालय के प्रभारी कैलाश सैनी मुख्यअतिथि के रूप में उपस्थित रहे। कार्यक्रम से पूर्व हरियाणा कला परिषद के निदेशक नागेंद्र शर्मा ने पुष्पगुच्छ भेंटकर मुख्यअतिथि का स्वागत किया। दीप प्रज्जवलन के साथ प्रारम्भ हुए सुरसरिता कार्यक्रम में द फोक स्ट्रिंग्स बैंड के कलाकारों द्वारा मनिंद्र जांगड़ा के निर्देशन में शास्त्रीय वाद्यवृंद के माध्यम से अलग-अलग रागों और हरियाणवी लोकधुनों को सुनाया। गणेश वंदना से प्रारम्भ हुए कार्यक्रम में कलाकारों ने अलग-अलग वाद्ययंत्रों के माध्यम से गणेश की स्तुति की। इसके बाद हरियाणवी लोकधुनों का सिलसिला प्रारम्भ हो गया। एक के बाद एक धुन कलाकारों के साथ-साथ श्रोताओं को जोड़ती चली गई। कलाकारों ने जब हरियाणवी लोकधुनों को सुनाना प्रारम्भ किया तो सुनने वाले सब हैरान हो गए। पहली बार सितार, तबले और नगाड़ा की जुगलबंदी में हरियाणवी लोकगीतों को श्रोता सुन रहे थे। कलाकारों की प्रस्तुति ने माहौल को इतना खुशनूमां बना दिया कि श्रोता भी तालियों के माध्यम से कलाकारों का साथ देते नजर आए। मेरा नौ डांडी का बीजणा, मेरा दामण सिमादे ओ ननदी के बीरा जैसे गीतों को जब कलाकारों ने शास्त्रीय वाद्यों के साथ प्रस्तुत किया तो भरतमुनि रंगशाला में बैठे सभी कलाप्रेमियों ने कलाकारों की खुले दिल से प्रशंसा की। लगभग एक घण्टे के कार्यक्रम में मनिंद्र जांगड़ा, उषा गोस्वामी और उनके साथियों ने अपनी प्रतिभा से सभी का दिल जीता। कार्यक्रम के अंत में मुख्यअतिथि कैलाश सैनी ने भी कलाकारों की जमकर सराहना की। वहीं हरियाणा कला परिषद के निदेशक नागेंद्र शर्मा ने अपने विचार रखते हुए कहा कि हरियाणा कला परिषद का ध्येय प्रतिष्ठित कलाकारों के साथ-साथ उभरते कलाकारों को मंच प्रदानक करना है। ताकि पाश्चात्य संस्कृति की ओर अग्रसर युवा भारतीय संस्कृति से जुड़कर कला और संस्कृति का व्यापक विस्तार कर सकें। कार्यक्रम के अंत में मुख्यअतिथि ने सभी कलाकारों को सम्मानित किया। वहीं नागेंद्र शर्मा ने स्मृति चिन्ह भेंटकर मुख्यअतिथि कैलाश सैनी का आभार जताया।

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