हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 9416191877
कुरूक्षेत्र, 19 जनवरी : श्री महाभारतीय संस्कृति अनुसंधान न्यास कुरूक्षेत्र द्वारा बुधवार को कृष्णा धाम में हवनात्मक महारुद्र यज्ञ के दूसरे दिन महारुद्र शिव की महिमा बताई गई। जानकारी देते हुए षड्दर्शन साधु समाज के संगठन सचिव वैद्य पंडित प्रमोद कौशिक ने बताया कि यह महारुद्र यज्ञ ब्रह्मलीन महामंडलेश्वर स्वामी गणेशानंद गिरी महाराज के निर्वाण महोत्सव के उपलक्ष्य में करवाया जा रहा है। इस अनुष्ठान की अध्यक्षता कर रहे कृष्णा धाम के अध्यक्ष स्वामी प्रेमानंद महाराज ने बताया कि समस्त बाधाओं को समाप्त करने के लिए
महारुद्र शिव का नाम ही पर्याप्त है। शिव जी को एक तरफ जहां उनके भोलेपन के कारण भोलेनाथ के नाम से जाना जाता हैं वहीं शिव जी का महारुद्र रूप सभी देवी देवताओं और राक्षसों के हृदय को कम्पित कर देता हैं। उनका रुद्र रूप महाप्रलयकारी होता हैं। ब्रह्मा जी को जन्म देने वाला, विष्णु जी को पालन करने वाला और महादेव को संहारक के रूप में जाना जाता हैं। शिव जी एक मात्र ऐसे देव हैं जिन्होने राक्षस एवं देव को उनकी दुष्टता के कारण नाश किया हैं। शिव पुराण के अनुसार सती द्वारा यज्ञ में कूदकर अपने प्राणों की आहुती देने से क्रोधित महादेव के क्रोध से उत्पन्न हुआ वीरभद्र दक्ष के यज्ञ को नष्ट करता हुआ जब दक्ष के समक्ष खडा हुआ तो तीनों लोकों में किसी में भी इतना साहस न था की वे दक्ष की रक्षा कर सके। भगवान शिव जी के उस महारुद्र स्वरूप ने एक ही झटके में दक्ष का मस्तिष्क उसी के हवन कुंड में काट कर अर्पित कर दिया। कार्यक्रम में यज्ञाचार्य रामकैलाश शुक्ला, आचार्य दीपक उपाध्याय, रवि त्रिपाठी, माणिक लाल पांडे ने अनुष्ठान के मुख्य यजमान करनाल के समाज सेवी नरसिंह गोयल, सुभाष चंद जांगड़ा और ओमी लाल सहित अन्य यजमानों से हवन में आहुतियां डलवाई। इस मौके पर सुभाष पाली, शिव नारायण, राजकुमार पांडे, नीरज मिश्रा, नील मिश्रा, नितेश शुक्ला, जितेंद्र कोठारी, राजकुमार दीक्षित, आशीष गर्ग, गौरव त्रिपाठी और आकाश शुक्ला आदि मौजूद रहे।