06 फरवरी 2022 तक विद्यालयों को खोलने का दिशानिर्देश पारित करे राज्य सरकार अन्यथा राज्य व्यापी शिक्षा आंदोलन की होगी शुरुआत : सिबतैन अहमद
— निजी विद्यालयों को पुनः संचालित करने हेतु देर क्यों ?
— बच्चो के भविष्य के साथ खिलवाड़ क्यों ?
— क्या शिक्षकों को रोजगार हेतु पलायन कराने का है उद्देश्य ?
— निजी विद्यालयों के परिसर में बिहार बोर्ड का परीक्षा आयोजित करने से कोरोना नहीं होगा और कक्षा का सञ्चालन से कोरोना हो जायेगा ?
अररिया
बिहार राज्य सरकार के निजी विद्यालयों के तरफ उदासीन रवैय्ये पर सवालिया निशान लगाते हुए प्राइवेट स्कूलस एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन के जिला अध्यक्ष सैयद सिबतैन अहमद ने कहा की राज्य सरकार की आखिर मंशा क्या है ? क्यों बच्चो के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है ? बिहार बोर्ड के द्वारा सभी सरकारी विद्यालयों में प्रैक्टिकल परीक्षाएं भौतिक तौर पर करवाई गयी है और तत्पश्चात सभी निजी विद्यालयों में बिहार बोर्ड का परीक्षा केंद्र ज़बरन कोरोना गाइडलाइन के सभी मनको को ताख पर रख कर करवाई जा रही है जिसके लिए किसी भी निजी विद्यालयों को फूटी कौड़ी भी नहीं दी जा रही है। कोरोना महामारी के आड़ में सभी निजी विद्यालय संचालको को ज़बरन विवश कर के उनका विद्यालय में परीक्षा केंद्र बनाया जा रहा है।
सिबतैन अहमद ने कहा कि सबसे बड़ा सवाल ये उठता है कि जब बिहार बोर्ड की परीक्षा निजी विद्यालयों में कराई जाएगी तब बच्चों को कोरोना नहीं होगा और जब इन्ही निजी विद्यालयों में कक्षाओं का सञ्चालन होगा तो बच्चों को कोरोना हो जायेगा ? डब्ल्यू एच ओ ने साफ़ तौर से स्पष्ट कर दिया है कोरोना को ले कर विद्यालयों को बंद रखने का कोई औचित्य ही नहीं है और जब महाराष्ट्र जैसे राज्य जहाँ ओमीक्रॉन का संक्रमण सबसे ज़्यादा है । वहाँ जब राज्य सरकार के द्वारा विद्यालय खुल चुके है, तब बिहार में विद्यालय क्यों नहीं खुल रहे है ?
सिबतैन अहमद ने कहा कि सिनेमा हॉल , यातायात , सभी दुकाने तथा सभी कार्यालय पूर्णतः संचालित है परन्तु विद्यालयों को पुनः संचालित करने पर सरकार के द्वारा पाबन्दी नहीं हटाई गयी है | यह बताना भी उचित है कि इन्ही निजी विद्यालयों में सरकार कोरोना काल से ले कर आज तक लगातार परीक्षाओ का आयोजन करवा रही है और उन परीक्षाओ के आयोजन हेतु परीक्षार्थियों से पंजीकरण के नाम पर मोटी रकम भी वसूल रही है परन्तु किसी भी निजी विद्यालयों को एक फूटी कौड़ी भी नहीं दी जा रही है और मुफ्त में सभी निजी विद्यालयों के भवनों को इन परीक्षाओ को संचालित करवाने हेतु इस्तेमाल किया जा रहा है | एसोसिएशन राज्य सरकार से पूछना चाहता है की क्या कोरोना महामारी सिर्फ निजी विद्यालयों के संचालन के लिए ही है और आपके कार्यो के लिए क्या कोरोना नहीं है ?
राष्ट्रीय अध्यक्ष सैयद शमायल अहमद ने कहा की राज्य सरकार के इस उदासीन रैवाईये को देखते हुए अब निजी विद्यालयों के संचालक , शिक्षक , शिक्षिकाएं एवं कर्मचारीगण राज्य व्यापी आंदोलन करने के लिए बाध्य हो गए है | यदि 06 फरवरी 2022 के पहले विद्यालयों को संचालित करने हेतु आदेश पारित नहीं किया गया तो सभी 38 जिला के निजी विद्यालय संचालक, शिक्षक , शिक्षिकाएं एवं कर्मचारी विशाल आंदोलन करने पटना आ जायेंगे जिसकी पूरी जिम्मेदारी राज्य सरकार एवं शिक्षा विभाग की होगी | क्या सरकार किसान आंदोलन की तरह शिक्षा आंदोलन के लिए शिक्षकों एवं शिक्षिकाओं को बाध्य करना चाहती है ?
प्राइवेट स्कूल एंड चिल्ड्रन वेलफेयर एसोसिएशन के सात सूत्री मांगों में निजी विद्यालयों को संचालित करने का आदेश 06 फरवरी 2022 के पहले अविलम्ब पारित किया जाये |
राज्य सरकार निजी विद्यालयों का सभी टैक्स की राशि को माफ़ करने हेतु उचित दिशानिर्देश पारित करें। बिजली का बिल , ट्रांसपोर्ट में लगने वाले विभिन्न प्रकार के टैक्स को माफ किया जाए एवं बैंक के ईएमआई पर लगने वाले ब्याज को नहीं लिया जाए। बिहार बोर्ड एवं बिहार सरकार के दिशानिर्देश से निजी विद्यालयों के भवनों में संचालित होने वाली परीक्षाएं में भवनों का इस्तेमाल वर्षो से निःशुल्क किया जा रहा है जो न्यायसंगत नहीं है | यदि बिहार बोर्ड अपना बोर्ड परीक्षा एवं बिहार सरकार विभिन्न परीक्षाएं निजी विद्यालयों में संचालित करना चाहती है तो उन्हें भवन इस्तेमाल करने का शुल्क देना पड़ेगा जो संघठन के द्वारा तय किया जाएगा अन्यथा निजी विद्यालय संचालक अपना भवन परीक्षा सञ्चालन हेतु बिहार बोर्ड एवं बिहार सरकार को नहीं देंगे ।
जल्द से जल्द शिक्षा के अधिकार की राशि सभी निजी विद्यालयों को निर्गत करने हेतु उचित दिशानिर्देश बिहार राज्य के शिक्षा विभाग को देने की कृपा करें। सभी निजी विद्यालयों के भवनों का किराया माफ़ करने हेतु उचित दिशानिर्देश जारी करने की कृपा करे। निजी विद्यालयों को पुनर्स्थापना हेतु उचित पैकेज की घोषणा की जाये ताकि लाखों शिक्षक , शिक्षिकाओं एवं कर्मचारियों का भविष्य अंधकार में जाने से बच सके साथ ही विद्यार्थियों को भी शिक्षा का लाभ निरंतर मिल सके। सरकारी स्कूलों में प्रति बच्चा प्रतिमाह खर्च के आधार पर प्रत्येक प्राइवेट स्कूलों को उसके बच्चों की संख्या अनुसार विद्यालय अकाउंट में एक वर्ष का विशेष आर्थिक सहायता राशि उपलब्ध कराने का प्रावधान बनाकर अतिशीघ्र सहायता राशि सभी निजी विद्यालयों को उपलब्ध कराने का कष्ट करें ।
इस अवसर पर कार्यकारी अध्यक्ष फैजान आलम, उपाध्यक्ष कुमार अनुप, कार्यालय सचिव साकिब रब्बानी, कोषाध्यक्ष इकराम आलम,प्रखंड अध्यक्ष खुर्शीद खान,परवेज आलम,कासिफ जाफरी, प्रखंड सचिव अजित सिन्हा,मंजय कुमार, सुभाष कुमार,वसीम असगर मौजूद थे।