ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी ने बताया भगवान श्रीराम की आराधना से जीवन में मान-सम्मान और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।

श्री रामनवमी पर परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी ने दी शुभकामनाएं।

कुरुक्षेत्र, 17 अप्रैल : देश के विभिन्न राज्यों में शिक्षा, स्वास्थ्य, अध्यात्म, संस्कृत भाषा के प्रचार प्रसार, भारतीय संस्कृति व संस्कारों की रक्षा, योग एवं विज्ञान के क्षेत्र में अनेकों संस्थाओं का संचालन कर रहे श्री जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी ने देश – प्रदेश वासियों को श्री रामनवमी पर्व पर शुभकामनाएं देते हुए कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव है और जिनके मन मं श्री राम हैं, उनके भाग्य में वैकुण्ठ धाम है। भगवान श्री राम के चरणों में जिसने जीवन वार दिया, संसार में उसका कल्याण ही कल्याण है। ब्रह्मचारी ने बताया कि श्री रामनवमी का पर्व भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव के रूप में चैत्र नवरात्र की नवमी तिथि को मनाया जाता है। चैत्र नवमी तिथि नवरात्रों का आखिरी दिन होता है। इसी के साथ 9 दिनों तक चलने वाले देवी मां दुर्गा की आराधना का पर्व समाप्त होता है। ब्रह्मचारी ने बताया कि चैत्र नवमी शुक्ल पक्ष तिथि पर भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था। संस्कृति एवं संस्कारों में विश्वास करने वाले लोग हर वर्ष चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर भगवान राम के जन्मोत्सव का त्योहार बड़े ही उत्साह के साथ मनाते हैं। धर्म की मान्यताओं के अनुसार भगवान राम भगवान विष्णु जी के सातवें अवतार माने जाते हैं। ब्रह्मचारी ने बताया कि श्री राम नवमी के दिन भगवान श्री राम, माता सीता और भगवान श्री राम भक्त हनुमानजी की विशेष पूजा-आराधना की जाती है। मान्यता है कि चैत्र शुक्ल पक्ष नवमी तिथि पर भगवान श्रीराम की जो व्यक्ति सच्चे मन से उनकी पूजा-आराधना करता है उसे जीवन में मान-सम्मान और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
ब्रह्मचारियों के साथ श्री जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी।

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