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कृषि को व्यवसाय, किसानों को उद्यमी बनाकर पूरा होगा विकसित भारत का संकल्प : नवीन जिन्दल

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।

कुरुक्षेत्र 22 मार्च : सांसद नवीन जिन्दल ने आज लोकसभा में भारतीय किसानों को एग्री-उद्यमी बनाने और कृषि को एक लाभदायक एवं वैश्विक प्रतिस्पर्धी क्षेत्र में बदलने की आवश्यकता पर जोर दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत के संकल्प को ध्यान में रखते हुए, सांसद नवीन जिन्दल ने नीतिगत सुधारों, आधुनिकीकरण और वैश्विक व्यापार विस्तार का आह्वान किया ताकि भारतीय कृषि अंतर्राष्ट्रीय मानकों को पूरा कर सके और किसानों की समृद्धि सुनिश्चित हो।
कृषि परिवर्तन के पांच स्तंभ सांसद नवीन जिन्दल ने कृषि मूल्य श्रृंखला के संपूर्ण विकास के लिए एक संरचित पाँच-स्तंभीय दृष्टिकोण प्रस्तुत किया। उन्होंने उत्पादन तकनीक, उच्च उत्पादकता वाली फसलें और वैज्ञानिक कृषि पद्धतियों के माध्यम से कृषि उत्पादन बढ़ाना पर जोर दिया। भंडारण के लिए आधुनिक कोल्ड स्टोरेज, वेयरहाउसिं ग और अनाज भंडारण केंद्र विकसित करना, जिससे कटाई के बाद होने वाले नुकसान को रोका जा सके। परिवहन के लिए ग्रामीण सडक़ों, लॉजिस्टिक्स और रेलवे नेटवर्क को सुदृढ़ करना ताकि आपूर्ति श्रृंखला अधिक प्रभावी हो। खुदरा के लिए किसानों को सीधा बाजार से जोडऩा, डिजिटल प्लेटफॉर्म को बढ़ावा देना और उचित मूल्य निर्धारण नीतियों को लागू करना ताकि बिचौलियों की भूमिका कम हो। उपभोक्ता के लिए सुनिश्चित करना कि उच्च गुणवत्ता वाले और किफायती कृषि उत्पाद हर घर तक सुचारू रूप से पहुँचें।
विदेशों में भारतीय किसानों के लिए कृषि अवसरों का विस्तार
सांसद नवीन जिन्दल ने भारतीय किसानों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कृषि कार्य करने के लिए विदेशी भूमि उपलब्ध कराने के प्रस्ताव पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि सरकार को उन देशों के साथ कृषि भूमि अधिग्रहण की संभावनाओं को तलाशना चाहिए जो भारतीय किसानों को प्रोत्साहन दे सकते हैं। इससे भारत की खाद्य सुरक्षा मजबूत होगी और वैश्विक कृषि बाजार में भारत की स्थिति सुदृढ़ होगी।
किसानों को बड़े बाजार, बेहतर व्यापार नीतियों और अंतर्राष्ट्रीय निवेश अवसरों तक पहुंच मिलेगी।
लोकसभा में सांसद नवीन जिन्दल के भाषण के प्रमुख बिंदु।
उन्होंने 1.37 लाख करोड़ के कृषि बजट का स्वागत किया और पीएम धन-धान्य कृषि योजना में हरियाणा को शामिल करने की मांग की। किसानों की आय सुरक्षा पर जोर, यह दर्शाते हुए कि उनकी औसत दैनिक आय अभी भी न्यूनतम मजदूरी से कम है। भंडारण और लॉजिस्टिक्स में सुधार की आवश्यकता जताई, जिससे 1.5 लाख करोड़ की कटाई के बाद फसल की बर्बादी को रोका जा सके।
प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने, एआई- आधारित कृषि निगरानी और सौर ऊर्जा से संचालित भंडारण सुविधाओं की वकालत की। कृषि व्यापार नीतियों को उदार बनाने और निर्यात को बढ़ावा देने की अपील, जिससे भारतीय कृषि वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बन सके।
किसानों को एग्री-उद्यमी में बदलने की आवश्यकता।
सांसद नवीन जिन्दल ने कहा कि भारतीय किसानों को सिर्फ अन्नदाता नहीं, बल्कि एग्री-उद्यमी के रूप में मान्यता दी जानी चाहिए, जो मूल्य संवर्धन, निर्यात और नवाचार के माध्यम से कृषि क्षेत्र को नया आयाम दें।
सांसद नवीन जिन्दल ने कहा कि किसान भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। अब समय आ गया है कि उन्हें एग्री-उद्यमी के रूप में फिर से परिभाषित किया जाए और उन्हें आवश्यक संसाधन, तकनीक और नीतिगत सहायता प्रदान की जाए। समृद्ध किसान ही समृद्ध राष्ट्र की नींव रखते हैं। उन्होंने आगे कहा कि कृषि क्षेत्र को सुदृढ़ करना भारत को खाद्य सुरक्षा, ग्रामीण विकास और सतत आर्थिक वृद्धि में वैश्विक नेतृत्वकर्ता बना सकता है।
उन्होंने तकनीक, टिकाऊ कृषि और वित्तीय सशक्तिकरण के एकीकृत दृष्टिकोण को अपनाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया, ताकि भारतीय किसान आत्मनिर्भर और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बन सकें। सांसद नवीन जिन्दल ने कृषि क्षेत्र में बड़े सुधारों की मांग की ताकि किसानों को उचित मूल्य निर्धारण,निर्यात के अवसर और आधुनिक बुनियादी ढांचे तक पहुंच मिल सके। उन्होंने नीति निर्माताओं, उद्योग जगत और किसानों के साथ मिलकर कृषि क्षेत्र को एक वैश्विक प्रतिस्पर्धी शक्ति में बदलने के लिए प्रतिबद्धता।

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