भारतीय रसोई में उपयोग होने वाले मसालों मे अद्भुत औषधिय गुण : डॉ. बलदेव कुमार।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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कुरुक्षेत्र : उन्नत भारत अभियान (आरसीआई-यूबीए) और
भारतीय ज्ञान प्रणाली (आईकेएस) सेल द्वारा एनआईटी कुरुक्षेत्र में श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय, केयू, हेदराबाद हार्टफूलनेस एजुकेशन ट्रस्ट और दिल्ली सूर्य फाउंडेशन के संयुक्त तत्वाधान में छ: दिवसीय उच्च शिक्षण संस्थानों में सामुदायिक जुड़ाव व संस्थागत सामाजिक उत्तरदायित्व कार्यशाल का आयोजन किया गया।
विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. बलदेव कुमार ने अपने सम्बोधन में कहा कि भारतीय रसोई विश्व की सबसे बेहतरीन रसोईयों में से एक है, इसमें इस्तेमाल किए जाने वाले विभिन्न खाद्य पदार्थ और मसालों में अद्भुत औषधियां गुण होते हैं| आयुर्वेद के कई योगों में मसाले प्रयोग होते हैं| कालीमिर्च, तेजपत्ता, इलायची, अदरक, लहसुन और दालचीनी इनमें से कई मसालों का औषधीय महत्व हमारे बुजुर्गों और पूर्वजों को पता था उन्होंने यह ज्ञान भावी पीढ़ी के साथ भी साझा किया| मगर आजकल हम इन द्रव्यों के महान गुणों और उपयोगों को भूलते जा रहे हैं| आयुष विश्विद्यालय द्वारा कुरुक्षेत्र के आपपास के गांव को गोद लिया जाएगा| इन ग्रामीणों क्षेत्रों मे किसानों को औषधिय पौओं की जानकारी दी जाएगी और साथ ही औषधिय पौधों की खेती के लिए प्रोत्साहित भी किया जाएगा| इसके साथ ही आज पेटदर्द, सिरदर्द, पैरों का दर्द, कान का दर्द, कई तरह के दर्द आम बात हो गई है। दर्द शुरू होते ही कुछ लोग पेनकिलर गटकना शुरू कर देते हैं। जिससे वे दर्द से मुक्त तो हो जाते हैं लेकिन लिवर और किडनी एक समय बाद खराब हो जाती है। रसोई में ऐसी कई अद्भुत चीजें हैं जो हमारे दर्द को खत्म कर सकती हैं। आयुर्वेद के अनुसार अजवायन एक वातानुलोमक (गैस को निकालने वाली) औषधि है, पेट के दर्द में अजवाइन बेहद उपयोगी है| ऐसे कुछ घरेलु नुसखों की जानकारी गांव में शिविर आयोजित कर ग्रामीणों को दी जाएगी। उन्होने कहा कि आज के समय में लोगों में बढ़ती बीमारी का बड़ा कारण खराब होती लाइफस्टाइल, अनियमित दिनचर्या, खराब खानपान है। आयुर्वेद में हर चीज को तीन दोष से जोड़ा गया है। वात, पित्त और कफ| इसमें होने वाली किसी भी समस्या के कारण हमें उससे संबंधित रोग होते हैं| मनुष्य को किसी प्रकार की बीमारी न हो इसके लिए हमारे पूर्वज आयुर्वेद में दी गई जानकारी के अनुसार दिनचर्या और ऋतुचर्या का पालन करते थे। इसी तरह भारतीय समाज में समय समय पर मनाए जाने वाले त्योंहारों को भी स्वास्थ्य से जोड़ा गया था| स्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य की रक्षा करना और रोगी के विकारों की शांति करना आयुर्वेद का मुख्य प्रयोजन है। आयुर्वेद में दिए गए आहार-विहार दिनचर्या, रात्रिचर्या एवं ऋतुचर्या और सदाचार के आचरण से मनुष्य लंबे समय तक स्वस्थ रह सकता है।