धूल फांक रही हैं मनरेगा में सोशल ऑडिट की आपत्तियां
अम्बेडकरनगर। मनरेगा के कार्यों में होने वाली अनियमितताओं को पकड़ने के लिए बनी सोशल ऑडिट टीम की आपत्तियां कार्रवाई के इंतजार में है।अनियमितता पाए जाने के एक वर्ष भी बाद भी दोषियों से धनराशि की वसूली नहीं हो सकी है। जबकि शासन से लेकर जिले के अधिकारियों ने पत्रों की झड़ी लगा दी है। ऐसा तब है जबकि सरकार भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के दावे करती है।
मनरेगा योजना से ग्राम पंचायतों में होने वाले कार्यों के बाद सोशल ऑडिट की व्यवस्था है। इसके लिए एक टीम गठित होती है। जो खुली बैठक में जाकर गांव में कराए गए कार्यों की जानकारी देती है। जिसमें लोग उसके बारे में बताते हैं। वर्ष 2019-20 में जिले की 731 ग्राम पंचायतों में सोशल ऑडिट कराई गई थी। जिसमें बड़ी संख्या में काम ना होने के बाद भी पैसा निकालने की शिकायतें सामने आई थी। ऑडिट के बाद टीम ने अपनी आपत्तियों को दर्ज करते हुए धनराशि की वसूली की कार्रवाई की संस्तुति की थी। इसके बाद भी अब तक अनियमितता के मामले में धनराशि वसूल नहीं हो सकी है। इस संबंध में जिला विकास अधिकारी ने उपायुक्त श्रम रोजगार को पत्र लिखकर दोषियों से वसूली के लिए कहा है। अफसोस जनक है कि पत्र जारी होने की एक वर्ष के बाद भी वसूली की कार्रवाई सिफर है। ऐसे में समझा जा सकता है कि सरकारी स्तर पर किस तरह से कागजी घोड़े दौड़ाए जा रहे हैं। सवाल उठ रहा है कि मॉनिटरिंग करने वाले अधिकारी क्या कर रहे हैं।
बीडीओ के स्तर पर लंबित है कार्रवाई की फाइल: सोशल ऑडिट के बाद पकड़ी गई अनियमितता में कार्रवाई खंड विकास अधिकारी स्तर पर लंबित है। बार-बार पत्राचार के बाद भी अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं। बताया जाता है क्योंकि उनके द्वारा ही इस तरह की गड़बड़ी की जाती है। इसमें ब्लॉक स्तर के कर्मचारी और अधिकारी शामिल रहते हैं। इसलिए रिपोर्ट के बाद कार्रवाई करने में आनाकानी की जाती है।जिला विकास अधिकारी वीरेंद्र सिंह का कहना है सोशल ऑडिट की रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई के लिए संबंधित ब्लॉक और मनरेगा के अधिकारी को पत्र लिखा जाता है। इस संबंध में जानकारी की जाएगी की कार्रवाई किस स्तर पर लटकी हुई है।