अम्बेडकर नगर:अकबरपुर के पहले विधायक बने थे स्वतंत्रता सेनानी डॉ. गणेशकृष्ण जेतली

अकबरपुर के पहले विधायक बने थे स्वतंत्रता सेनानी डॉ. गणेशकृष्ण जेतली

अंबेडकरनगर। देश की आजादी के बाद हुए चुनाव में अकबरपुर सीट पर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी डॉ. गणेशकृष्ण जेतली पहले विधायक चुने गए थे। कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुने जाने से पहले उन्होंने देश की आजादी के संघर्ष में व्यापक योगदान दिया था। जेल की यात्रा भी उन्हें करनी पड़ी थी। इससे पहले बतौर एमबीबीएस चिकित्सक वाराणसी के काशी मारवाड़ी हॉस्पिटल की नौकरी से उन्होंने महज इसलिए त्यागपत्र दे दिया था, क्योंकि उसमें अछूतों को भर्ती कर इलाज करने से इंकार कर दिया गया था। इसके बाद ही वे आजादी के आंदोलन में सक्रिय रूप से कूद पड़े थे।विधानसभा चुनाव का दौर शुरू होने के साथ ही चुनाव की तमाम पुरानी यादें फिर से ताजा होने लगी हैं। विधानसभा चुनाव के इतिहास में कई ऐसे प्रेरक व रोचक तथ्य हैं, जो हमेशा जीवंत बने रहेंगे। इसी में से एक ऐतिहासिक व रोचक तथ्य यह है कि अकबरपुर विधानसभा सीट के इतिहास में पहला विधायक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी चुना गया था। नाम था डॉ. गणेशकृष्ण जेतली। दरअसल अकबरपुर नगर के शहजादपुर स्थित सेवाकुंज निवासी डॉ. गणेशकृष्ण जेतली आजादी के संघर्ष के दौरान एमबीबीएस चुने जाने के कुछ दिन बाद बनारस के काशी मारवाड़ी अस्पताल में बतौर चिकित्सक तैनात हुए।
वे आजादी को लेकर चल रहे संघर्ष से काफी प्रभावित थे। इसी बीच वाराणसी केे निजी अस्पताल में अछूतों को भर्ती करने से इंकार कर दिया गया। डॉ. जेतली ने इसका प्रतिवाद किया। उन्होंने इंसानियत का हवाला देकर सभी का इलाज करने पर जोर दिया, लेकिन अस्पताल प्रबंधन के तैयार न होने पर उन्होंने चिकित्सालय की नौकरी से त्यागपत्र दे दिया। उनके लिए ऐसा करना आसान नहीं था, क्योंकि पत्नी व बच्चों का पेट पालन की जिम्मेदारी उन्हीं पर थी। इसके बावजूद उन्होंने नौकरी से त्यागपत्र देने के साथ ही आजादी के आंदोलन में कूदने का निर्णय ले लिया। इस संघर्ष में उन्हें जेल की यात्रा भी करनी पड़ी।
बाद में देश की आजादी के बाद जब अकबरपुर सीट पर पहला विधानसभा चुनाव हुआ, तो कांग्रेस पार्टी ने उन्हें अपना प्रत्याशी बनाया। जीत दर्ज करने के बाद विधानसभा में पहुंचकर उन्होंने किसानों, गरीबों व आम लोगों की आवाज बुलंद की। विधायक रहते ही उनका निधन हो गया। वर्षों बाद उनके पुत्र प्रियदर्शी जेतली भी राजनीति में कूद पड़े। कांग्रेस के प्रभावशाली नेताओं में शुमार हुए प्रियदर्शी जेतली अकबरपुर सीट से तीन बार विधायक चुने गए।
संस्कृति विभाग ने स्थापित कराई प्रतिमा
डॉ. गणेशकृष्ण जेतली के समाज व राष्ट्र के प्रति योगदान को देखते हुए राज्य सरकार के संस्कृति विभाग ने सरकारी खर्च पर उनकी प्रतिमा लगाने का निर्णय लिया। लंबी प्रक्रिया के बाद उनकी प्रतिमा बनकर तैयार हुई, जिसे शहजादपुर स्थित उनके नाम पर स्थापित इंटर कॉलेज के बाहरी छोर पर स्थापित किया गया।
अयोध्या तक किया था मार्च का नेतृत्व
स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन के दौरान डॉ. जेतली ने अकबरपुर से अयोध्या तक निकले लगभग एक लाख किसानों के पैदल मार्च का नेतृत्व किया था। आजादी के समर्थन में निकले इस मार्च में उन्होंने किसानों के साथ अंग्रेजी हुकूमत की चूलें हिला दीं। उन्होंने अंग्रेजी सत्ता को साफ संदेश दिया कि आजादी के बगैर बात बनने वाली नहीं है। डॉ. जेतली ने आजादी के संघर्ष के दौरान बिहार में आए भूकंप में कांग्रेस के चिकित्सा विंग में शामिल होकर काम किया। इसमें उन्हें देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद आदि के साथ काम करने का मौका मिला था।

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