बेरोक टोक चल रहा खाद्य पदार्थों में मिलावटखोरी का धंधा
अम्बेडकरनगर। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग की उदासीनता का खामियाजा उपभोक्तओं को भुगतना पड़ रहा है। विभागीय उदासीनता के चलते जिले में खाद्य पदार्थों में मिलावटखोरी का धंधा बेरोकटोक चल रहा है। विभाग सिर्फ त्योहारों के अवसर पर अभियान चलाकर कागजी आंकड़ेबाजी तक सीमित है।
मिलावटी खाद्य पदार्थों के सेवन से उपभोक्ता बीमारी के शिकार हो जाते हैं। खाद्य पदार्थों में अपमिश्रण रोकने के लिए खाद्य सुरक्षा विभाग की जिम्मेदारी है लेकिन विभाग आंकड़ेबाजी तक ही सीमित है। जिसके चलते जिले में मिलावटी खाद्य पदार्थों की बिक्री धड़ल्ले से की जा रही है। जिसका खामियाजा उपभोक्तओं को भुगतना पड़ता है। खाद्य पदार्थो में मिलावट करने वाले हर हथकंडा अपना रहे हैं। खाद्यन्न, मिठाई, तेल, नमकीन, फल या जूस का व्यवसाय करने वालों में अधिकतर इस धंधे में लिप्त हैं लेकिन विभाग महज त्योहारों के अवसर पर अभियान चलाने तक सीमित रह जाता है। बेसन, मैदा, दाल, मिठाई, दूध, जूस हर में मिलावटखोरी का धंधा खूब फलफूल रहा है। जिले में खाद्य पदार्थों की तमाम दूकानें आज भी बिना पंजीकरण के संचालित हैं। जब कि विभागीय स्तर से छोटी-बड़ी दुकानों को मिलाकर लगभग जिले में लगभग पांच हजार से अधिक दुकानें पंजीकृत हैं। हकीकत यह है कि जिले में खाद्य पदार्थों का व्यवसाय करने वाली पचास प्रतिशत दुकानें बिना लाइसेंस की संचालित हो रही हैं। इतना ही नहीं विभाग के रहमोकरम पर कितनी होल सेलर की दुकानों का लाइसेंस न देकर उनका सिर्फ पंजीकरण कर दिया जाता है। विभाग की माने तो जिले में मैनूफैक्चरर/ होलसेलर की लगभग 380 दुकानों का लाइसेंस जारी है। जब कि चार हजार से अधिक छोटे कारोबार कर्ताओं का पंजीकरण किया गया है। इसमें छोटे कारोबारियों के दुकानों के पंजीकरण का वार्षिक शुल्क सौ रुपया तथा होल सेलर की दुकानों के लाइसेंस का वार्षिक शुल्क दो हजार से सात हजार रुपया है।अधिकारी बोले- खाद्य पदार्थों में मिलावटखोरी रोकने के लिए खाद्य सुरक्षा एवं औषधि विभाग की टीम हमेशा तत्पर रहती है। दुकानों का निरीक्षण कर खाद्य पदार्थों के नमूने संग्रहीत कर जांच के लिए प्रयोगशाला भेजे जाते हैं। प्रयोगशाला से जांच रिपोर्ट मिलने पर मिलावटखोरों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है।
राजवंश प्रकाश श्रीवास्तव, अभिहित अधिकारी, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन अम्बेडकरनगर