बिहार:कुपोषण को जड़ से मिटाने के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों पर मना अन्नप्राशन दिवस

कुपोषण को जड़ से मिटाने के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों पर मना अन्नप्राशन दिवस

-पोषण को बढ़ावा देने के लिए सेविकाओं ने कराया बच्चे का अन्नप्राशन

  • नवजात शिशुओं को आंगनबाड़ी केंद्रों पर मिलने वाली सेवाओं का सामाजिक अंकेक्षण भी किया गया : डीपीओ
    -नवजात शिशुओं की बढ़ती उम्र के साथ पौष्टिक आहार देना भी जरूरी

कटिहार। जिले के विभिन्न आंगनबाड़ी केन्द्रों पर सेविकाओं द्वारा नवजात शिशुओं को खीर खिलाकर अन्नप्राशन दिवस मनाया गया। ज़िले के सभी सेविकाओं द्वारा शिशुओं को अन्नप्राशन कराने के साथ ही स्थानीय लोगों को सही पोषण की जानकारी देने एवं उसके उपयोग करने के लिए भी प्रेरित किया गया।

आंगनबाड़ी केंद्रों पर मिलने वाली सेवाओं का किया गया सामाजिक अंकेक्षण : डीपीओ

जिला कार्यक्रम पदाधिकारी किशलय शर्मा ने बताया नवजात शिशुओं में कुपोषण को दूर करने के लिए उन्हें सही पोषण दिया जाना बहुत ज्यादा जरूरी होता है। जिसके लिए पोषण के प्रति लोगों में जागरूकता लाने के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों में प्रत्येक महीने में अन्नप्राशन दिवस मनाया जाता है। इस अवसर पर स्थानीय लोगों को आंगनबाड़ी सेविकाओं द्वारा पोषण के प्रति जागरूक भी किया जाता है। इसके अलावा सामान्य दिनों में भी आंगनबाड़ी केन्द्रों पर सेविकाओं द्वारा नवजात शिशुओं के परिजनों को पोषण की जानकारी दी जाती है।

नवजात शिशुओं की बढ़ती उम्र के साथ पौष्टिक आहार देना जरूरी

राष्ट्रीय पोषण अभियान के जिला समन्यवक अनमोल गुप्ता ने बताया कि एसडीजी लक्ष्य 2.2 के अनुसार सभी प्रकार के कुपोषण को वर्ष 2030 तक खत्म करना है। इसमें 2025 तक अंतररातष्ट्रीय सहमति से निर्धारित पांच साल के बच्चों में स्टंटिंग, उम्र के अनुसार कम लंबाई और वेस्टिंग (लंबाई के अनुसार कम वजन) के लक्ष्य के साथ ही किशोर लड़कियों, गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली महिलाओं और बुजुर्गों की पोषण की जरूरतों को हासिल करने का लक्ष्य भी शामिल हैं। एसडीजी लक्ष्य 3.2 के मुताबिक वर्ष 2030 तक नवजातों और पांच साल तक के बच्चों की रोकी जा सकने वाली मौतों पर लगाम लगाना है। उन्होंने यह बताया कि जन्म लेने के एक घंटे बाद ही शिशु को स्तनपान करवाना अनिवार्य है। छः महीने तक विशेष स्तनपान और उसे दो साल तक बरकरार रखना है। छह महीने के बाद शिशु को ठोस आहार देना और उम्र बढ़ने के साथ-साथ बच्चों को विविधतापूर्ण भोजन भी दिया जाना चाहिए ताकि बढ़ती उम्र में उसे पौष्टिक तत्व मिल सके।

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