बिहार:कालाजार उन्मूलन की दिशा में सार्थक प्रयास के लिये सम्मानित होगा अररिया

कालाजार उन्मूलन की दिशा में सार्थक प्रयास के लिये सम्मानित होगा अररिया

-पुरस्कार स्वरूप रानीगंज प्रखंड को 03 लाख व जिले को मिलेगा 05 लाख का नगद इनाम
-फिलहाल जिले के सभी नौ प्रखंड कालाजार मुक्त, बीते 03 सालों से रानीगंज में कोई मामला नहीं

अररिया

जिले में बीते कई सालों से कालाजार उन्मूलन की दिशा में निरंतर प्रयास किये जा रहे हैं। लिहाजा जिले में कालाजार के मामलों में अप्रत्याशित कमी आयी है। वर्ष 2007 में जहां जिले में कालाजार के लगभग 04 हजार मामले थे, वहीं वर्ष 2021 में इसकी संख्या घट कर महज 24 पर जा पहुंची है। एनवीबीडीसीपी भारत सरकार द्वारा कालाजार उन्मूलन लक्ष्य प्राप्त चुके राज्य के 09 जिले व 33 प्रखंडों को प्रमाणीकरण व पुरस्कृत किया जाना है। इसमें अररिया व रानीगंज प्रखंड का नाम भी शामिल है। पुरस्कार स्वरूप रानीगंज प्रखंड को जहां 03 लाख रुपये का नगद इनाम दिया जायेंगे। वहीं बतौर जिला अररिया को 05 लाख रुपये नगद पुरस्कार स्वरूप प्रदान किया जायेगा।

जिले के सभी प्रखंड कालाजार प्रभावित इलाकों की सूची से बाहर :

जिले के सभी 09 प्रखंड कालाजार प्रभावित इलाकों की सूची से बाहर आ चुके हैं। जिले का रानीगंज प्रखंड भी 03 साल पूर्व ही कालाजार प्रभावित इलाकों की सूची से बाहर आ चुका है। गौरतलब है कि प्रति 10 हजार आबादी पर कालाजार के 01 से कम मामले आने पर रानीगंज प्रखंड का चयन पुरस्कृत किये जाने वाले प्रखंडों की सूची में किया गया है। वहीं जिले के कालाजार प्रभावित सभी प्रखंडों में प्रति 10 हजार आबादी पर कालाजार के 01 से भी कम मामले सामने आने की वजह से अररिया पुरस्कृत किये जाने वाले राज्य के 09 जिलों की सूची में शामिल है।

कालाजार उन्मूलन की दिशा में सतत प्रयास की जरूरत :

इस संबंध में जानकारी देते हुए डीवीबीडीसीओ डॉ अजय कुमार सिंह ने बताया कि जिले के सभी 09 प्रखंड इंडेमिसिटी से बाहर आ चुके हैं। लगातार 03 सालों से इन्हें दोबारा इंडेमिक नहीं होने दिया गया है। बावजूद इसके इस स्थिति को लगातार बरकरार रखने की जरूरत है। लिहाजा आईआरएस, वीएल व पीकेडीएल मरीजों की निरंतर खोज व उपचार संबंधी गतिविधियों को निरंतर जारी रखना होगा। ताकि आने वाले समय पर जिला पूरी तरह कालाजार के मामलों से मुक्त हो सके।

कालाजार उन्मूलन लिये अलग रणनीति पर हो रहा अमल :

वीबीडीसीओ डॉ अजय कुमार सिंह ने कहा कि जिले को कालाजार मुक्त बनाने के लिये बिल्कूल अलग रणनीति पर अमल किया जा रहा है। कालाजार रोगी को इलाज के लिये अस्पताल आने तक की जरूरत नहीं होती। विभागीय स्तर पर ही उनकी तलाश की जाती है। रोगियों की खोज के लिये एक्टिव सर्च पर जोर दिया जा रहा है। ग्रामीण चिकित्सक भी इसमें सूचक की भूमिका निभा रहे हैं। विभागीय तौर पर उन्हें जरूरी प्रशिक्षण दिया गया है। इसके लिये उन्हें 200 रुपये प्रोत्साहन राशि के रूप में भुगतान किया जा रहा है। इससे रोगी खोज अभियान बेहद कारगर हुआ है। साल के अप्रैल व अक्टूबर माह में कालाजार उन्मूलन के लिये छिड़काव किया जाता है। इस बीच अगर किसी इलाके में कालाजार के मामले आते हैं। तो पुन: उन इलाकों में छिड़काव किया जाता है। अगर किसी इलाके से तीन मरीज मिले तो चिह्नित इलाके में तीन बार छिड़काव किया गया है। फारबिसगंज प्रखंड का थैराबकिया गांव में अचानक कालाजार के 18 मामले सामने आये। मामला जेनैवा तक पहुंच गया। प्रभावित इलाके में एक्सपर्ट की टीम भेजी गयी। थैराबकिया में महज तीन माह में 18 बार छिड़काव किया गया। गांव में तीन बार विशेष कैंप लगाये गये। घर-घर लोगों की जांच की गयी। नतीजा है कि डेढ़ साल से अधिक वक्त बीते जाने के बाद अब तक वहां फिर कोई मरीज नहीं मिले हैं।

नये चिकित्सकों को दिया जायेगा जरूरी प्रशिक्षण :

वीबीडीसीओ ने बताया कि जिले में बहुत सारे नये चिकित्सक बहाल हुए हैं। फिलहाल उनमें कालाजार के संबंध में जानकारी का अभाव है। उन्हें कालाजार रोग से संबंधित समुचित जानकारी देने प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजित किया जाना है। अररिया सदर अस्पताल में आगामी शनिवार को डब्ल्यूएचओ के सहयोग से विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। इसमें कालाजार उन्मूलन की दिशा में सार्थक रणनीति पर विचार किया जायेगा।

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