कुरुक्षेत्र तीज मेले में तेलंगाना के कलाकार देंगे कुचीपुड़ी नृत्य की प्रस्तुति

कुरुक्षेत्र तीज मेले में तेलंगाना के कलाकार देंगे कुचीपुड़ी नृत्य की प्रस्तुति।

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 9416191877

कला कीर्ति भवन में तीन दिवसीय तीज मेला गुरुवार से शुरु, चार प्रदेशों के कलाकारों की होंगी प्रस्तुतियां।

कुरुक्षेत्र 27 जुलाई : आजादी का अमृतमहोत्सव के अंतर्गत हरियाणा कला परिषद द्वारा तीन दिवसीय तीज मेला का आयोजन गुरुवार से शुरु किया जा रहा है, जिसमें शिल्प बाजार के साथ-साथ हरियाणा, तेलंगाना, उत्तरप्रदेश तथा राजस्थान के कलाकार अपने-अपने प्रदेशों की सांस्कृतिक झलक दिखाएगें। यह जानकारी हरियाणा कला परिषद के निदेशक संजय भसीन ने दी। उन्होंने बताया कि कला एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग, हरियाणा तथा उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, प्रयागराज के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय तीज मेले में तीन दिन विद्यालय स्तरीय प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जा रहा है। 28 जुलाई को स्थानीय विद्यालयों के विद्यार्थियों द्वारा सुबह 11 बजे से बेस्ट आऊट ऑफ वेस्ट प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा तथा सायं 6.30 बजे हैदराबाद से डा. वनाजा उदय द्वारा कुचीपुड़ी आंध्रा नाट्य पैरिनी नृत्य की प्रस्तुति दी जाएगी। वहीं अगले दिन 29 जुलाई को 11 बजे चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा तथा सायं 6.30 बजे राजस्थान का लंगा गायन प्रस्तुति, बनारस से आश्रया द्विवेदी का कजरी गायन, मथुरा से डा. सीमा मोरवाल द्वारा बृज गीत तथा हरियाणा की कुमारी गीता द्वारा देशभक्ति गीतों की प्रस्तुति दी जाएगी।
30 जुलाई को मेहंदी प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा तथा सायंकालीन सत्र में राजस्थान के शिवनारायण व दल द्वारा कालबेलिया नृत्य, आश्रया द्विवेदी के गीतों की प्रस्तुति, मथुरा के कलाकारों द्वारा म्यूर नृत्य, हरियाणा के राजीव कुमार द्वारा देशभक्ति गीत तथा दीपक कुमार द्वारा हरियाणवी नृत्यों की प्रस्तुतियां दी जाएंगी। इसके अतिरिक्त ग्रामीण महिलाओं द्वारा हरियाणवी पारम्परिक लोकगीतों की प्रस्तुतियों के साथ-साथ हरियाणवी पकवान जैसे सुहाली, गुलगुले, पूड़े इत्यादि का जायका भी मेले की शोभा बढ़ायेगा। वहीं कला कीर्ति भवन के छह एकड़ के परिसर में शिल्प बाजार में अलग-अलग तरह के सामान की बिक्री के साथ-साथ बच्चों के लिए झूलों की व्यवस्था भी जाएगी। महिलाओं के झूलने के लिए पींग डाली जाएगी। मेले में हरियाणवी पारम्परिक लोकवाद्ययंत्र बीन, डेरु तथा घोड़ी नृत्य की प्रस्तुतियां भी दिन भर मेले में आने वाले पर्यटकों को लुभाने में अपनी भूमिका निभाएंगी।

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