आज़मगढ़: दस्तक अभियान में बीमारियों से बचाव के लिए किया जा रहा जागरूक

रिपोर्ट पदमाकर पाठक

दस्तक अभियान में बीमारियों से बचाव के लिए किया जा रहा जागरूक।

अभियान के दौरान घरों में खोजे गए 71 रोगी।

आजमगढ़। जिले में 16 जुलाई से चल रहे दस्तक अभियान तहत आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर जाकर सर्वेक्षण कर बुखार, टीबी के मरीजों और कुपोषित बच्चों को चिन्हित कर रही हैं। इस दौरान कुल 71 मरीज चिन्हित कर उनका उपचार चल रहा है। साथ ही स्वच्छता अभियान के जरिये साफ-सफाई के प्रति जागरूक किया जा रहा है। यह जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आईएन तिवारी ने दी। जिला मलेरिया अधिकारी शेषधर द्विवेदी ने कहा कि दस्तक अभियान का मुख्य उद्देश है कि लोगों को बीमारियों से बचाव के लिए रोग से बचने के उपाय व जागरूक किया जाये। जैसे गंदा पानी पीने व गंदगी के कारण होने वाले रोगों से बचाव के लिए स्वच्छता अभियान को प्रमुखता दी जा रही है। जिसके लिए सर्वे टीम एवं 3980 आशा/संगिनी 156 एवं 5588 आँगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं नगर विकास, राजस्व व शिक्षा विभाग मिलकर दस्तक अभियान को सफल बनाने के लिए सहयोग लिया जा रहा है। इस 12 दिनों के दौरान जिले में बुखार के कुल 37 मरीज साथ ही 14 लोग कोविड प्रभावित पाये गए हैं। डीएमओ शेषधर द्विवेदी ने कहा कि दस्तक अभियान के अभियान के तहत आशा कार्यकर्ता घर -घर जाकर स्वास्थ्य संबंधी खांसी-जुकाम जैसे लक्षण वाले मरीजों के साथ ही मलेरिया, डेंगू संक्रामक बीमारियों के मरीजों की तलाश कर रही हैं। सर्वे के दौरान संभावित मरीज मिलने पर जांच कराई जा रही है। यदि रिपोर्ट पॉजिटिव आती है, तो तत्काल उन्हें उपचार पर रखा जा दस्तक अभियान के दौरान लोगों को साफ-सफाई के प्रति जागरूक किया जा रहा है। घर के आस-पास खुला नाला या पानी है तो आशा कार्यकर्ता को जानकारी दें। आशा के माध्यम से मलेरिया विभाग द्वारा निरीक्षण कर जल निकासी, दवा के छिड़काव आदि की व्यवस्था सुनिचित की जा रही है। साथ ही घर कि सफाई, हाथों की साफ -सफाई स्वस्थ जीवन का आधार है। इस बात के लिए लोगों को प्रेरित किया जा रहा है। बीमारी को छुपाये नहीं, इलाज करायेँ आशा के घर के नजदीक सीएचसी/पीएचसी पर सभी जांच व उपचार मुफ्त में उपलब्ध है। पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) चिकित्सालय प्रबन्धक डॉ काशिफ असरार ने कहा कि दस्तक अभियान के दौरान कुपोषित के कुल 20 बच्चे मिले, जिन्हें तत्काल पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) भर्ती कराया गया। बच्चों को लगभग 15 दिनों तक रखा जाता है। तत्पश्चात स्वस्थ परीक्षण करने के बाद ही घर भेजे जाते है।
ब्लॉक जहानागंज की सिद्धि 14 महीने की है पिता ने बताया की ब्लॉक से 17 जुलाई को प्रभारी चिकित्सा अधिकारी घर आये थे। बच्चे की जांच किए, उस समय सिद्धि तीन किलो सात सौ ग्राम की थी। 10 दिन के लिए सिद्धि को एनआरसी में रखा गया। आज बच्ची का वजन लगभग 4 किलो का हो गया है।

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