बरेली: दरगाह ए आला हजरत बरेली शरीफ में उमड़ा लाखों अकीदतमंदो का जनसैलाब आला हज़रत के कुल साथ उर्स का हुआ समापन

दरगाह ए आला हजरत बरेली शरीफ में उमड़ा लाखों अकीदतमंदो का जनसैलाब आला हज़रत के कुल साथ उर्स का हुआ समापन

दीपक शर्मा (संवाददाता)

बरेली : आज 105 वे उर्से रज़वी के आखिरी दिन आज आला हज़रत फ़ाज़िले बरेलवी के कुल शरीफ की रस्म लाखों के देश-विदेश के अकीदतमंदो,उलेमा,सज्जादगान की मौजूदगी में अदा की गई। इस मौके विश्व के नामचीन उलेमा ने दुनियाभर के मुसलमानों के नाम खास पैगाम जारी किया गया। कुल शरीफ के बाद तीन रोज़ा उर्स का समापन हो गया। सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन मियां ने मुल्क-ए-हिंदुस्तान समेत दुनियाभर में अमन-ओ-सुकून व खुशहाली की ख़ुसूसी दुआ की। आज की महफ़िल का आगाज़ दरगाह प्रमुख हज़रत मौलाना सुब्हान रज़ा खान(सुब्हानी मियां) की सरपरस्ती,सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रज़ा क़ादरी(अहसन मियां) की सदारत व सय्यद आसिफ मियां और उर्स प्रभारी राशिद अली खान की देखरेख में हुआ। निजामत(संचालन) कारी यूसुफ रज़ा संभली ने किया। कारी स्वालेह रज़ा मंजरी ने कुरान की तिलावत की। इसके बाद उलेमा की तक़रीर का सिलसिला शुरू हुआ।
मेहमाने खुसूसी आला हज़रत के पीरखाने के सज्जादानशीन हज़रत सय्यद नजीब मियां साहब ने कहा की बरेली हमारा कल भी मरकज था और आज भी है। अल्लाह इसकी मरकजियत को सलामत रखे। 14 वी सदी के मुजद्द्दीद आला हज़रत और 15 वी सदी के मुफ्ती आजम हिंद है। नबीरे आला हज़रत अल्लामा तौसीफ रज़ा खान(तौसीफ मियां) बरेली और कछौछा को जो रूहानी फैज़ हासिल हुआ वो मारहरा शरीफ की सरजमीं है। मेरा पैगाम बुजुर्गों से अकीदत व मोहब्बत करे। मसलक ए आला हजरत पर सख्ती से कायम रहे।
अपनी तकरीर में मुफ्ती सलीम नूरी ने कहा आज हिंदुस्तान भर में मीडिया व सोशल मीडिया पर साजिश के तहत पैगाम दिया जा रहा है कि हिंदुस्तानी मुसलमानो के पूर्वज हिन्दू थे। मैं इस जिम्मेदार स्टेट से कहना चाहता हूं कि हिंदुस्तानी मुसलमानो के पूर्वज मुसलमान थे। हमारा डीएनए हज़रत आदम अलेहअस्सलाम का है। हम कुरान और हदीस के मानने वाले है। हिंदुस्तानी मुसलमान गौर से सुन ले हमारे पूर्वज हिन्दू नही मुसलमान थे। मुसलमान इस मुल्क में किरायेदार नही बल्कि मालिक की हैसियत से है। हम इस मुल्क में खैरात में नही रह रहे है। हमारा मुल्क एक जम्हूरी(लोकतांत्रिक)मुल्क है,ये मुल्क जितना गैर मुस्लिमो का है उतना ही मुसलमानो का भी है। जो जितना सच्चा मुसलमान होगा उतना वो अपने मुल्क का वफादार होगा। मुसलमानों ने भी मुल्क की आज़ादी में बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। अब्दुल हमीद, टीपू सुल्तान,अल्लामा खैराबादी समेत हजारों मुसलमानो ने अपने लहू से कुर्बानी दी। सियासी पार्टियां अपने सियासी फायदे के लिए देश में हिंदू-मुस्लिम के बीच खाई पैदा करने का काम कर रही है। मुसलमान नफरत का जवाब फूलों से दे। मुल्क भर में हिंदू मुसलमान कमेटियां बनाकर इस नफरत की खाई को पाटने की कोशिश करे।
इंग्लैंड से आए अल्लामा फारोग उल क़ादरी ने कहा कि इल्म का दौर है मुसलमान अपने बच्चों को मौलाना,मुफ्ती के साथ बैलिस्टर,इंजीनियर और डॉक्टर बनाए। आगे कहा की मुसलमानों तुम नाज़ करो कि अल्लाह ने तुम्हे हिंद की धरती पर पैदा किया जहा आला हज़रत की जात है। जिसने अपने इल्मी कारनामों से इस्लामी जगत को हैरान कर दिया। आपकी नात गोई पूरी तारीख में कही नही मिलती।
नबीरे आला हज़रत सय्यद सैफ मियां ने भी शायराना अंदाज में खिराज पेश किया। नबीरे आला हज़रत मुफ्ती अरसालान रज़ा खान ने कहा की दुनिया भर से आने वाले अकीदतमंद यहां से जो पैगाम लेकर जाए उस पर अमल भी करे। हर सदी में एक मुजद्दिद पैदा होता है। 14 वी सदी के मुजद्दीद इमाम अहमद रज़ा खान है।
मुंबई से आए मुफ्ती सलमान अज़हरी ने कहा की आज बरेली में जो लाखों का मजमा इकट्ठा है वो आशिके रसूल के लिए जमा है। पूरी दुनिया में नबी करीम पर जान फिदा करने वाली कोई जमात है तो वो बरेलवी जमात है। सुन्नियत की पहचान करनी है तो आला हज़रत का नाम लेना होगा।
मुफ्ती कफील हाशमी ने कहा की बरेली से हमेशा लाउडस्पीकर से नमाज़ पर एतराज रहा है और हमेशा रहेगा। बरेली इल्म का मरकज कल भी था और आज भी है। बरेली से हमेशा हक्कन्नियत बयान की जाती है। उन्होंने दुनिया भर से आए मस्जिद के इमाम व उलेमा से अपील कि की वो लोग अपने अपने इलाको में इस्लाम की सही तस्वीर पेश करे। मुसलमानो से भी कहा कि वो लोग अपने तालीमी इदारे खोले ताकि कौम के बच्चें समाज की मुख्यधारा से जुड़ सके। मौलाना इंतज़ार क़ादरी ने कहा कि आला हज़रत एक आलिम नही इल्म,फाजिल नही फजीलत,एक किताब नही लाइब्रेरी और एक विषय नही बल्कि पूरी यूनिवर्सिटी का नाम आला हज़रत है। मौलाना जाहिद रज़ा ने सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन मियां का पैगाम देते हुए कहा की मुसलमान अपने बच्चों की शादी में डीजे और बाजा न बजवाए। निकाह सादगी के साथ करे। फिजूलखर्ची से बचे। जिन शादियों में गैर शरई काम होते हो इमाम उनके निकाह हरगिज़ ने पढ़ाए। बेटियों को दहेज़ नही विरासत(संपत्ति) में हिस्सा दे। आधा पेट खाएं अपने बच्चों को तालीम(शिक्षा) जरूर दे। कारी नेमतुल्लाह ने कहा की आला हजरत की नातिया कुरान और हदीस का मिश्रण है। आला हजरत फरमाते है की मैने नातगोई कुरान से सीखी। नातिया शायरी करना तलवार पर चलने के बराबर है। मुफ्ती इमरान हनफी ने अपनी तकरीर में कहा कि आला हज़रत ने सारी जज दुनिया ने मेरे देश का नाम रोशन कर दिया है। आज मुस्लिम ही नही बल्कि गैर मुस्लिम भी आला हजरत पर दुनिया भर की यूनिवर्सिटी में पीएचडी हो रही है। मौलाना मुख्तार बहेड़वी व कारी सखावत हुसैन ने जुलूस मोहम्मदी में बजते डीजे पर सख्त मज़म्मत करते हुए आने वाले जुलूस-ए-मोहम्मदी पर डीजे पर सख्ती से रोक लगाने को कहा। उन्होंने कहा की ऐसी अंजुमनों का वहिष्कार करे जो डीजे बजाए।
नात-ओ-मनकबत आसिम नूरी, महशर बरेलवी आदि ने पढ़ी।
फातिहा कारी रिज़वान रज़ा शजरा दरगाह प्रमुख के पोते सुल्तान रज़ा खान शजरा व सय्यद मुस्तफा रज़ा ने दुरूद ताज पढ़ा। आखिर में मुफ्ती अहसन मियां ने दुआ की। हजारों लोग न दरगाह प्रमुख हज़रत सुब्हानी मियां से बैत हुए।
स्टेज पर दरगाह प्रमुख हज़रत सुब्हानी मियां की ओर से सभी उलेमा की दस्तारबंदी शाहिद नूरी,परवेज नूरी, औरंगज़ेब नूरी,ताहिर अल्वी,अजमल नूरी आदि ने की।
उर्स की व्यवस्था राशिद अली खान,मौलाना ज़ाहिद रज़ा,शाहिद खान,हाजी जावेद खान,नासिर कुरैशी,अजमल नूरी,परवेज़ नूरी,औररंगज़ेब नूरी,ताहिर अल्वी,मंज़ूर रज़ा,आसिफ रज़ा,शान रज़ा,मुजाहिद रज़ा,खलील क़ादरी,सय्यद फैज़ान अली,इशरत नूरी,तारिक सईद,यूनुस गद्दी,जुहैब रज़ा,आलेनबी,इशरत नूरी,गौहर खान,हाजी शारिक नूरी,हाजी अब्बास नूरी,मोहसिन रज़ा,सय्यद माजिद,ज़ीशान कुरैशी,सय्यद एज़ाज़,काशिफ सुब्हानी,सबलू अल्वी,मुलतज़म,साजिद नूरी,फ़ारूक़ खान,अब्दुल वाजिद नूरी,शहज़ाद पहलवान,गफ़ूर पहलवान,काशिफ रज़ा,यूनुस साबरी, शारिक बरकाती,आसिफ नूरी,आरिफ नूरी,फ़ैज़ कुरैशी,ज़हीर अहमद,अब्दुल माजिद,अश्मीर रज़ा,सय्यद फरहत,शारिक उल्लाह खान,हाजी अज़हर बेग,सय्यद जुनैद,इरशाद रज़ा,जावेद खान,साकिब रज़ा,अजमल खान,समी खान,फ़ैज़ी रज़ा,नफीस खान,अदनान खान,सुहैल रज़ा,अयान क़ुरैशी,सय्यद जुनैद,शाद रज़ा,मिर्ज़ा जुनैद,यामीन कुरैशी,गजाली रज़ा,हाजी फय्याज आदि ने सम्भाली।

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