बरेली: 63वें श्री राधा अष्टमी वार्षिकोत्सव के तृतीय दिवस पर विराट भक्ति पठानकोट से पधारे कथा व्यास ने अपने उद्दागर व्यक्त किए

‌ 63वें श्री राधा अष्टमी वार्षिकोत्सव के तृतीय दिवस पर विराट भक्ति पठानकोट से पधारे कथा व्यास ने अपने उद्दागर व्यक्त किए

दीपक शर्मा (संवाददाता)

बरेली : श्री हरी मन्दिर मॉडल टाउन बरेली में चल रहे 63वे श्री राधा अष्टमी वर्षिकोत्सव के तृतीय दिवस विराट भक्ति से पठानकोट से पधारे कथा व्यास श्री अतुल कृष्ण शास्त्री जी ने कथा में अपने उद्दागर व्यक्त करतें हुए कहा कि श्रीमद भागवत गीता विशुद भक्ति का पथ है, जहा प्राणी का भगवान के श्री चरणों में अन्नय अनुराग समर्पित हो जाता है। श्रीमद भगवत गीता भक्ति के साथ ज्ञान वैरयाग की पूर्ति कराने वाला महा ग्रंथ है। भगवत का अभिप्राय जो भगवान के बन चुके है,जिन भक्तो ने भगवान से हमे प्रेम करना सिखाया है उसे भगवत कहा जाता है।भगवत भूषण श्री अतुल कृष्ण शास्त्री जी ने अपने उद्दागार व्यक्त करतें हुए कहा की प्रभु का सहरा ही सब से प्यारा है। अधिकार प्रेम में होता है भक्त का भगवान से , भगवान का भक्त से भक्त भगवान को समर्पण कर देता है। भगवान को अपना सहरा बना लेता है तो फिर आनंद की अनुभती करता है ।,” लगन तुम से लगा बैठे जो होगा देखा जायेगा ,” भक्त भगवान को समर्पण कर निश्चित हो जाता है । मुख्य यजमान अंकित ,अनुज अग्रवाल थे।श्री हरी मन्दिर प्रबंध समिति सचिव रवि छाबड़ा ने बताया कि वर्षिकोत्सव 23-09-23 तक चलेगा ।आज की कथा में मंदिर अध्यक्ष सतीश खट्टर, सुशील हरमिलापी , सचिव रवि छाबड़ा,संजय आनंद, गोविन्द तनेजा, योगेश ग्रोवर,अनिल चढ़ा,रंजन कुमार, जतिन दुआ,दीपक सहनी, मनोज लुनियाल, संजीव कुमार,राजेश अरोरा,विनोद भाटिया आदि का विशेष सहयोग रहा।महिला मंडल अध्यक्ष श्रीमती रेनू छाबड़ा जी,कंचन अरोरा, नेहा आनंद,नीलम लुनियाल, सीमा तनेजा,निशा ,विमल सोंधी आदि का विशेष सहयोग रहा ।

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