बिहार: अन्तर्राष्ट्रीय नर्स दिवस : नवजात शिशुओं के जीवन सुरक्षा के लिए तत्पर रहती हैं एसएनसीयू की जीएनएम पी. वी. रमनम्मा

अन्तर्राष्ट्रीय नर्स दिवस : नवजात शिशुओं के जीवन सुरक्षा के लिए तत्पर रहती हैं एसएनसीयू की जीएनएम पी. वी. रमनम्मा

  • विभिन्न बीमारियों का शिकार नवजात शिशुओं का करती हैं पर्याप्त इलाज
  • बच्चों के परिजनों को बेहतर चिकित्सकीय सहायता की बढ़ाती हैं उम्मीद
  • घर और काम की जिम्मेदारियों को पूरी तन्मयता से करने में सक्षम
  • एसएनसीयू में दिन-रात बच्चों को निगरानी में रखती हैं प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मी

पूर्णिया, 12 मई। लोगों को चिकित्सकीय सहायता प्रदान करने में मुख्य चिकित्सकों के अलावा स्वास्थ्य केंद्रों में कार्यरत नर्स, एएनएम, जीएनएम आदि की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इनके सार्थक प्रयास से ही अस्पतालों में मरीज जल्द स्वस्थ्य होकर अपने घर पहुँचते हैं। स्वास्थ्य केंद्रों में पहले दर्जे पर कार्यरत नर्स, एएनएम, जीएनएम के प्रोत्साहन के लिए आधुनिक नर्सिंग सेवा की अलख जगाने वाली फ्लोरेंस नाइटेंगिल की याद में हर साल 12 मई को अन्तर्राष्ट्रीय नर्स दिवस के रूप में मनाया जाता है। जिले में भी सभी स्वास्थ्य केंद्रों में कार्यरत नर्सों को इस दिवस पर उनके कार्यों के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। किसी मनुष्य के जीवन में नर्सों की महत्वपूर्ण भूमिका को सार्थक करती हैं नवजात शिशुओं की देखभाल के लिए राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल में संचालित नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई (एसएनसीयू) में कार्यरत जीएनएम पी. वी. रमनम्मा। मूलतः आंध्रप्रदेश की निवासी रमनम्मा द्वारा एसएनसीयू में भर्ती सभी बच्चों की बेहतर देखभाल करते हुए उन्हें स्वस्थ्य बनाने का प्रयास किया जाता है जिससे कि उनका भविष्य सुंदर हो सके।

विभिन्न बीमारियों का शिकार नवजात शिशुओं का करती हैं पर्याप्त इलाज :
एसएनसीयू में कार्यरत जीएनएम पी. वी. रमनम्मा ने बताया कि एसएनसीयू में ऐसे बच्चों को भर्ती किया जाता जो जन्म के बाद से ही गंभीर स्वास्थ समस्या का शिकार रहते हैं। इसमें जन्म के बाद से सांस लेने में समस्या, कम वजन,हृदय गति का सही तरीके से काम न करना, आरडीएस, बर्थ एस्पेक्सिया सहित अन्य कई तरह की बीमारियां शामिल हैं। ऐसे बच्चों की एसएनसीयू में भर्ती होने पर उनकी पर्याप्त देखभाल आवश्यक है। मेरे द्वारा अपनी कार्य अवधि के दौरान सभी भर्ती बच्चों को सही ट्रीटमेंट देने का प्रयास किया जाता है ताकि उसका जीवन सुरक्षित हो सके। एसएनसीयू से बच्चों को पूरी तरह ठीक करने के बाद ही घर भेजा जाता है। इससे बच्चों के जन्म के बाद से ही चिंतित रहने वाले परिजनों को भी पूरी संतुष्टि होती है कि अब उसका बच्चा अपना जीवन आसानी से जी सकता है। उन्होंने कहा कि उनके द्वारा एसएनसीयू में शामिल बच्चों की सभी प्रकार से देखभाल के साथ ही रेकॉर्ड मैनेजमेंट, तकनीकी मशीनरी के संचालन का कार्य पूरा किया जाता है।

बच्चों के परिजनों को बेहतर चिकित्सकीय सहायता की बढ़ाती हैं उम्मीद :
जीएनएम रमनम्मा द्वारा एसएनसीयू में भर्ती बच्चों के परिजनों की भी बेहतर काउंसिलिंग कर उनके बच्चों के ठीक होने का भरोसा दिलाया जाता है। एसएनसीयू इंचार्ज रचना मंडल ने बताया कि जन्म के बाद से ही गंभीर बीमारियों का शिकार बच्चों के परिजन मानसिक रूप से तनावग्रस्त हो जाते हैं। बच्चों को एसएनसीयू में भर्ती करने के बाद भी उसे यहाँ बेहतर सुविधा मिलने की उम्मीद कम होती है। बच्चों को भर्ती करने के बाद उनके परिजनों को भी बेहतर सुविधा का भरोसा दिया जाता है जिसमें रमनम्मा द्वारा महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जाती है। उनके द्वारा हर दिन परिजनों को कुछ देर बच्चों से मिलने के बाद उनके स्वास्थ में हुए सुधार की जानकारी दी जाती है। कुछ दिन में ही बच्चों के शरीर में सुधार देखते हुए परिजनों द्वारा बेहतर व्यवस्था का भरोसा बढ़ जाता और वह पूरी तरह ठीक होने तक बच्चों को यहाँ भर्ती रखते हैं। उन्होंने कहा कि बहुत से बच्चों को वेंटिलेटर की आवश्यकता होती लेकिन परिजनों के आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण उसे यहीं ठीक करने का अनुरोध किया जाता है। ऐसी स्थिति में भी हमारे द्वारा बच्चों को वार्मर, सी-पैप का उपयोग कर स्वस्थ्य करने का सफल प्रयास किया जाता है।

घर और काम की जिम्मेदारियों को पूरी तन्मयता से करने में सक्षम :
आंध्रप्रदेश की निवासी जीएनएम पी. वी. रमनम्मा द्वारा घर और अस्पताल के कार्यों को पूरी तन्मयता से पूरा करने का सार्थक प्रयास किया जाता है। उन्होंने बताया कि मेरे पति द्वारा यहाँ पूर्व से कार्यरत होने के कारण मैं भी यहीं रहने लगी थी। उसी दौरान मौका मिलने पर जीएनएम में नियुक्ति मिली। 2014 में हुई नियुक्ति के बाद से ही मुझे एसएनसीयू में सेवा देने के लिए प्रशिक्षित किया गया जिसके बाद से मेरे द्वारा यहाँ पूरी सेवा दी जाती है। घर में दो बच्चों को देखने की जिम्मेदारी को निभाने के लिए मैं प्रतिदिन सुबह 4:30 बजे उठ कर ही घर के कार्यों को पूरा कर बच्चों को स्कूल भेजती हूँ। फिर दिन भर का काम समाप्त कर समय पर अस्पताल पहुँचती हूँ। अस्पताल में कभी सुबह 08 से दोपहर 02 बजे तक या दोपहर 02 बजे से शाम 08 बजे तक ड्यूटी पूरा करती हूं। कभी कभी रात में भी 08 बजे से सुबह 08 बजे तक का ड्यूटी दिया जाता है जिसे पूरी तरह निभाती हूँ। अच्छी तरह कार्य करने से बहुत से परिजनों को उनका बच्चा स्वस्थ्य व सुरक्षित उपलब्ध हो सकता है।

एसएनसीयू में दिन-रात बच्चों को निगरानी में रखती हैं प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मी :
अस्पताल प्रबंधक सिंपी चौधरी ने बताया कि एसएनसीयू में जन्म के बाद से ही गहन बीमारियों से ग्रसित बच्चों की देखभाल प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा निभाई जाती है। इसके लिए एसएनसीयू में 09 जीएनएम व 02 एएनएम नियुक्ति किये गए हैं। हर शिफ्ट में कम से कम तीन नर्स द्वारा बच्चों की निगरानी की जाती है। एसएनसीयू में कार्यरत सभी कर्मी एफ.बी.एन.सी ट्रेंड हैं। उन्होंने कहा कि एसएनसीयू में कार्यरत जीएनएम पी. वी. रमनम्मा द्वारा भी लोगों को बेहतर काउंसिलिंग करने के साथ बच्चों की पर्याप्त देखभाल की जाती है। उनके बेहतर कार्य से लोगों का एसएनसीयू पर भरोसा बढ़ा है और लोग इसका पूरा लाभ उठा रहे।

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