कलाकीर्ति भवन कुरुक्षेत्र में बिखरे संस्कृति के रंग, लोक कलाकारों ने दिखाई प्रतिभा

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 9416191877

तीज मेले में उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान के कलाकारों ने दिखाई संस्कृति की झलक।
तीन दिवसीय तीज मेले में तीन प्रदेशों के कलाकारों ने जमाया रंग। हरियाणवी धुनों पर जमकर थिरके श्रोता।
हरियाणवी संस्कृति की अनूठी पहचान है तीज : डा. पवन सैनी।

कुरुक्षेत्र 30 जुलाई : आजादी का अमृतमहोत्सव के अंतर्गत हरियाणा कला परिषद, कला एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग, हरियाणा तथा उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, प्रयागराज के संयुक्त सहयोग से 28 से 30 जुलाई तक आयोजित तीन दिवसीय तीज मेला में दूसरे दिन हरियाणा, उत्तर प्रदेश तथा राजस्थान के कलाकारों ने अपने-अपने प्रदेश की संस्कृति दिखाते हुए अनूठी छाप छोड़ी। मेले के दूसरे दिन भाजपा हरियाणा के प्रदेश महामंत्री डा. पवन सैनी बतौर मुख्यअतिथि पहुंचे। वहीं विशिष्ट अतिथि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के जिला प्रचारक कुलदीप तथा उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र प्रयागराज के प्रोग्राम एग्जीक्यूटीव अजय गुप्ता रहे। हरियाणा कला परिषद के निदेशक संजय भसीन ने अतिथियों को अंगवस्त्र तथा पगड़ी भेंटकर स्वागत किया। मंच का संचालन कला परिषद के मीडिया प्रभारी विकास शर्मा द्वारा किया गया। कार्यक्रम के दौरान दर्शकों को सम्बोधित करते हुए मुख्यअतिथि डा. पवन सैनी ने कहा कि तीज महोत्सव हरियाणा की संस्कृति की एक अनुठी पहचान है। आज के परिवेश मे पुरातन सभ्यता,संस्कृति एवं कला अपना वर्चस्व खोती जा रही है, ऐसे मे पारम्परिक त्योंहार पर होने वाले आयोजन युवा पीढ़ी को भारतीय संस्कृति से जोड़ते है।
बृज के कलाकारों ने सावन गीतों से मोहा मन, राधा-कृष्ण का चित्रण कर मनाई तीज।
कार्यक्रम में पहली प्रस्तुति मथुरा से आई कलाकार डा. सीमा मोरवाल की रही। सीमा मोरवाल ने बृज वंदना करते हुए भगवान कृष्ण और राधा की आपसी छेड़छाड़ को दिखाया। सीमा मोरवाल के गायन और बृज के कलाकारों के नृत्य ने दर्शकों की भरपूर तालियां बटौरी। वहीं राजस्थान के चकरी नृत्य में शिव नारायण और साथी कलाकारों ने घूम-घूमकर किए जा रहे नृत्य से सभी को दांतो तले उंगलियां दबाने पर मजबूर कर दिया। हरियाणा की कलाकार गीता ने सौ सौ पड़ै मुसीबत बेटा उमर जवान पै, भगत सिंह कदै जी घबराजै तेरा बंद मकान मैं गाकर आजादी के अमृतमहोत्सव को सार्थक करते हुए युवाओं में देशभक्ति का प्रवाह किया। वहीं बनारस से आई कजरी क्वीन आश्रया द्विवेदी ने सावन गीत और कजरी गीत सुनाकर श्रोताओं को अपने साथ झूमने पर मजबूर कर दिया। एक के बाद एक प्रस्तुति लोगों को आनंदित कर रही थी। दीपक कुमार के निर्देशन में हरियाणवी कलाकारों द्वारा प्रस्तुत नृत्य ने अपनी अलग छाप छोड़ी। वहीं राजस्थानी नृत्य घूमर ने जहां सभी को झूमाने का काम किया तो चरी नृत्य में हैरतअंगेज करतब करते हुए राजस्थान की महिला कलाकारों ने सभी को हैरान कर दिया।
शिल्प बाजार में दिख रहा लोगों का उत्साह।
कलाकीर्ति भवन में आयोजित तीज मेले में रौनक देखते ही बन रही है। बारिश के चलते भी लोगों में तीज का उत्साह देखने को मिला है। एक ओर जहां विभिन्न शिल्पकारों के शिल्प लोगों को अपनी ओर खींच रहे हैं, वहीं हरियाणवी वाद्ययंत्रों पर लोकधुने सुना रहे बीन वादक, घोड़ी नृत्य, डेरु वादक तथा पारम्परिक लोकगीत गाती लोक कलाकार भी सांस्कृतिक दृश्य प्रस्तुत कर रहे हैं। तीज मेले में आने वाले पर्यटक लोकवाद्य यंत्रों की धुनों पर थिरकते हुए भी नजर आए। इतना ही नहीं ग्रामीण महिलाओं द्वारा तैयार किए गए गुलगुले, सुहाली ने भी माहौल में मिठास भरने का काम किया।
सेल्फी प्वाईट बन रहा आकर्षण का केंद्र।
कला कीर्ति भवन के प्रांगण में आयोजित मेले में हरियाणवी चौपाल, पणिहारी आदि का दृश्य बनाया गया है, जहां पर्यटक सेल्फी लेते नजर आए हैं। वहीं पगड़ी पहनकर हरियाणवी पुरुष व महिला की पोशाक में लोग खूब फोटो खिचवा रहे हैं। इसके अलावा भरतमुनि रंगशाला में लगाई गई चित्रकला प्रदर्शनी में आजादी के अमृतमहोत्सव को दर्शाया गया है। वहीं परिसर में लगाए गए झूले भी बच्चों को आकर्षित कर रहे हैं।
विद्यालय स्तरीय मेहंदी प्रतियोगिता में प्रतिभागियों ने दिखाया हुनर।
हरियाणा कला परिषद द्वारा तीज मेले के दौरान विद्यालय स्तर पर मेहंदी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमें लगभग 70 विद्यार्थियों ने अपनी प्रतिभा दिखाते हुए प्रतियोगिता में हिस्सा लिया। निर्णायक मण्डल में नीतू नेगी और जया धरोंण्डे ने आठ प्रतिभागियों को सर्वश्रेष्ठ विजेता के लिए चुना। विजेताओ में राजकीय मॉडल संस्कृति स्कूल से स्नेहा, राजकीय विद्यालय मथाना से गुरलीन कौर, मित्रसेन पब्लिक स्कूल से महक, आर्य वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय से आरजू, गीता निकेतन आवासीय विद्यालय से संचिता, राजकीय विद्यालय पिपली से फिजा तथा राजकीय विद्यालय देवीदासपुरा से प्रवीण ने अपना नाम दर्ज करवाया। हरियाणा कला परिषद की ओर से विजेता प्रतिभागियों को प्रशस्ति पत्र तथा 1100 रुपये की पुरस्कार राशि दी गई।

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