देहरादून: देहरादून और ऋषिकेश शहर में डीजल और पेट्रोल से चलने वाले ऑटो-विक्रम सड़क से बाहर हो सकते हैं। एक नंवबर को गढ़वाल आयुक्त कैंप कार्यालय में होने वाली संभागीय परिवहन प्राधिकरण (आरटीए) की बैठक में यह प्रस्ताव आएगा। दरअसल, दून और ऋषिकेश शहर में प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। प्रदूषण को बढ़ाने में डीजल और पेट्रोल से चलने वाले वाहनों को भी जिम्मेदार माना जा रहा है। ऑटो और विक्रम भी शहरों की आबोहवा को प्रदूषित कर रहे हैं।
एनजीटी ने सरकार को 2019 में वायु प्रदूषण कम करने के निर्देश दिए। केंद्र सरकार ने देहरादून और ऋषिकेश को राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के तहत चयनित किया है। मार्च 2023 तक शहरों को प्रदूषण मुक्त बनाने की योजना है। ऐसे में आरटीए अगले चार महीने में डीजल-पेट्रोल से चलने वाले ऑटो-विक्रम को सड़क से बाहर करने की तैयारी कर रहा है। आरटीए की बैठक में इस पर अंतिम फैसला होना है।
पेट्रोल-डीजल ऑटो-विक्रम के परमिट पर संचालक सीएनजी वाले ऑटो-विक्रम ले सकते हैं। इसमें प्राथमिकता उनको मिलेगी, जो डीजल-पेट्रोल के ऑटो-विक्रम चला रहे थे। साथ ही, आरटीए यह भी विचार कर रहा है कि यदि कोई विक्रम की जगह बीएस-6 सवारी गाड़ी लेता है तो उसका परमिट भी परिवर्तित कर दिया जाएगा।
सरकार का फोकस दून-ऋषिकेश पर है, लेकिन डीजल-पेट्रोल ऑटो-विक्रम को सड़क हटाने का फैसला होता है तो यह हरिद्वार और रुड़की में भी लागू हो सकता है। संभागीय परिवहन प्राधिकरण के आदेश इन क्षेत्रों में भी लागू होते हैं।
आरटीओ प्रशासन दिनेश पठोई ने कहा-प्रदूषण कम करने के लिए डीजल-पेट्रोल से चलने वाले ऑटो-विक्रम को मार्च 2023 तक सड़क से बाहर करने के एनजीटी के आदेश हैं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने भी प्रदूषण कम करने के लिए कार्ययोजना तैयार की है। इसमें हमारा विभाग भी शामिल है। विक्रम-ऑटो को बाहर करने के फैसले पर आरटीए की बैठक में फैसला होगा।