देश-विदेश के श्रद्धालुओं ने सूर्य ग्रहण पर ब्रह्मसरोवर में लगाई आस्था की डूबकी

देश-विदेश के श्रद्धालुओं ने सूर्य ग्रहण पर ब्रह्मसरोवर में लगाई आस्था की डूबकी।

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 9416191877

ब्रह्मसरोवर के घाटों पर महिलाओं ने भजन और गीत गाकर परम्परा अनुसार की पूजा-अर्चना।
सुरक्षा व्यवस्था के कड़े प्रबंधों के बीच सम्पन्न हुआ सूर्य ग्रहण मेला। कुरुक्षेत्र में 1 घंटे 59 मिनट रहा सूर्य ग्रहण का प्रभाव।
उपायुक्त शांतनु शर्मा और पुलिस अधीक्षक सुरेंद्र भौरिया ने रखी मेला क्षेत्र पर पैनी निगाहे।
20 सेक्टरों में बांटा था मेला क्षेत्र, हजारों सुरक्षा अधिकारियों व कर्मचारियों के हाथों में थी सुरक्षा की कमान।

कुरुक्षेत्र 25 अक्टूबर : सूर्य ग्रहण के अवसर देश-विदेश के कोने-कोने से आए श्रद्घालुओं ने कुरुक्षेत्र के ब्रह्मसरोवर में आस्था की डूबकी लगाई और पुण्य के भागीदार बने। इस पवित्र सरोवर में सूर्य ग्रहण के समय स्नान करके श्रद्घालुओं ने सैकड़ों अश्वमेघ यज्ञ के बराबर पुण्य कमाया। इस ब्रह्मसरोवर, सन्निहित सरोवर, ज्योतिसर और पिहोवा सरस्वती तीर्थ में महिलाओं ने भजन गाते हुए और जयघोष की ध्वनि के बीच स्नान किया। इस सूर्यग्रहण का कुरुक्षेत्र में करीब 1 घंटे 59 मिनट तक प्रभाव रहा। सायं 4 बजकर 27 मिनट पर सूर्य ग्रहण स्पर्श के समय स्नान किया और 5 बजकर 39 मिनट पर जैसे ही आंशिक सूर्यास्त और मोक्ष हुआ तो श्रद्धालुओं ने दोबारा मोक्ष की डुबकी लगाई और पूजा-अर्चना की। हालांकि सूर्य ग्रहण का प्रभाव सायं 6 बजकर 25 मिनट तक रहा, लेकिन सूर्यास्त होने के कारण यह कुरुक्षेत्र में दिखाई नहीं दिया।
सूर्य ग्रहण के अवसर पर सुबह से ही देश-प्रदेश से श्रद्धालु कुरुक्षेत्र के ब्रह्मसरोवर, सन्निहित सरोवर, मेला क्षेत्र और आसपास की धर्मशालाओं में पहुंचना शुरु हो गए थे। मंगलवार को सायं हरियाणा और आसपास के राज्यों से श्रद्धालु रेल और बस मार्ग से कुरुक्षेत्र में पहुंचे। इन श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए प्रशासन की तरफ से यातायात, पार्किंग, स्वागत कक्ष, सूचना केन्द्र सहित अन्य व्यवस्था की गई थी। श्रद्धालुओं ने ब्रह्मसरोवर पर पहुंचकर पूजा-अर्चना शुरू की और ब्रह्मसरोवर की सदरियों में प्रशासन द्वारा की गई व्यवस्था के बीच में अपने-अपने प्रदेशों की संस्कृति के अनुसार भजन और गीतों का गुणगान किया। धर्मशालाओं में भी लोग ग्रुपों में बैठकर लोकगीतों और भजनों का गुणगान करने के साथ-साथ भक्ति के रस में डूबकर नृत्य करते हुए नजर आए। जैसे ही सूर्य ग्रहण के स्पर्श का समय होने लगा तो लोगों ने ब्रह्मसरोवर और सन्निहित सरोवर की तरफ रुख किया। इन श्रद्घालुओं ने सूर्य ग्रहण के समय 4 बजकर 27 मिनट पर पहली डुबकी लगाई और इसके बाद श्रृद्घालुओं के स्नान करने का क्रम जारी रहा और जैसे ही मोक्ष का समय हुआ तो एक साथ श्रद्धालुओं की भीड़ ने ब्रह्मसरोवर में आस्था की डूबकी लगाई। श्रद्धालुओं का कहना है कि धार्मिक मान्यता के अनुसार सन्निहित व ब्रह्म सरोवर में सूर्य ग्रहण के अवसर पर डुबकी लगाने से उतना ही पुण्य प्राप्त होता है, जितना पुण्य अश्वमेध यज्ञ को करने के बाद मिलता है। शास्त्रों के अनुसार सूर्यग्रहण के समय सभी देवता यहां कुरुक्षेत्र में मौजूद होते हैं। ऐसी मान्यता है कि सूर्य ग्रहण के अवसर पर ब्रह्मसरोवर और सन्निहित सरोवर में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इस सूर्य ग्रहण पर यात्रियों की सुरक्षा एवं सुविधा के लिए प्रशासन की ओर व्यापक इंतजाम किए थे। स्नान के दौरान दोनों सरोवरों में मोटरबोट लोगों को गहरे पानी में न जाने के लिए सचेत करती रही। जिसके चलते मेले के दौरान कोई अप्रिय घटना नहीं घटी। मंदिरों में सूर्यदेव का जयघोष और शंख ध्वनि गूंज उठे। स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने अनाज, कपड़े, पैसे, फल इत्यादि दान किए। सरोवरों पर बैठे पुरोहितों ने हजारों यात्रियों को बारी-बारी बैठाकर उनके पूर्वजों के निमित्त पिंडदान व अन्य कर्मकांड संपन्न करवाए। सूर्य ग्रहण का पुराणों में जिक्र है कि राहु द्वारा भगवान सूर्य के ग्रस्त होने पर सभी प्रकार का जल गंगा के समान, सभी ब्राह्मण ब्रह्मा के समान हो जाते हैं। इसके साथ ही इस दौरान दान की गई सभी वस्तुएं भी स्वर्ण के समान होती हैं।
उपायुक्त शांतनु शर्मा ने कहा कि प्रशासन द्वारा श्रद्धालुओं के लिए सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए थे, इन प्रबंधों के बीच सूर्यग्रहण मेला शांतिपूर्ण ढंग से सम्पन्न हुआ। इस मेले के लिए प्रशासन की तरफ से हेल्प डेस्क, रिसेप्शन सेंटर, मीडिया सेंटर, लोगों के लिए मेला क्षेत्र, ब्रह्मसरोवर की सदरियों तथा धर्मशालाओं में ठहरने की व्यवस्था की गई थी। पीने के पानी के लिए अस्थाई टेप प्वाईंट, पानी के टैंकर और कैम्परों की व्यवस्था, मोबाईल शौचालय, लाईटिंग, पार्किंग, बचाव टीमों, मेडिकल कैम्प, फायर फाईटिंग और मेजर नाका प्वाइंट सहित तमाम प्रकार की व्यवस्था की गई। अतिरिक्त उपायुक्त अखिल पिलानी ने कहा कि सूर्य ग्रहण मेले को लेकर छोटे से छोटे पहलू को जहन में रखकर तैयारी की गई। इस मेले में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए मेडिकल, पीने के पानी, शौचालयों, स्वागत कक्ष, बचाव टीमें, श्रद्धालुओं के ठहरने की व्यवस्था, महिलाओं के लिए ब्रह्मसरोवर पर चेंज करने के लिए अलग से व्यवस्था की गई थी।
पुलिस अधीक्षक सुरेंद्र ने कहा कि सूर्य ग्रहण मेले में सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम के लिए शहर को 20 सेक्टरों में बांटा गया और हजारों पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई थी। इसके अलावा एंटी बंब व डॉग स्क्वायड की टीम, कमांडों और सिविल ड्रेस में पुलिस बल को भी तैनात थे। उन्होंने बताया कि मेला क्षेत्र के चप्पे-चप्पे पर नजर रखने के लिए ड्रोन कैमरों से लाइव फीड को देखा जा रहा था और ब्रह्मसरोवर के आसपास मचान स्थापित की गई और सीसीटीवी कैमरों से मेला क्षेत्र पर नगर रखी गई।
अब 2 अगस्त 2027 को नजर आएगा कुरुक्षेत्र में सूर्य ग्रहण।
कुरुक्षेत्र में अब अगला सूर्य ग्रहण 2 अगस्त 2027 को सायं 3 बजकर 53 मिनट से लेकर सायं 5 बजे तक लगेगा। इसके उपरांत 1 जून 2030 को प्रात: प्रात:10 बजकर 15 मिनट से दोपहर 12 बजकर 56 मिनट तक, 21 मई 2031 को प्रात: 11 बजकर 42 मिनट से दोपहर 2 बजकर 34 मिनट तक, 3 नवंबर 2032 को सुबह 9 बजकर 32 मिनट से 10 बजकर 52 मिनट तक, 20 मार्च 2034 को सायं 4 बजकर 20 मिनट से 6 बजकर 23 मिनट तक, 2 सितंबर 2035 को सुबह 4 बजकर 40 मिनट से 6 बजकर 36 मिनट तक, 20 मार्च 2042 को प्रात: 6 बजकर 30 मिनट से 7 बजकर 12 मिनट तक, 11 जून 2048 को सायं 7 बजकर 01 मिनट से 7 बजकर 24 मिनट तक तथा 11 अप्रैल 2051 को 5 बजकर 42 मिनट से 6 बजकर 47 मिनट तक कुरुक्षेत्र में नजर आएगा।
टेलीस्कोप से श्रद्धालुओं ने लाइव देखा सूर्य ग्रहण।
सूर्य ग्रहण की रोमांचक खगोलीय घटना के नजारे का पैनोरमा में श्रद्धालुओं ने लाइव लुत्फ उठाया। यहां खगोलीय घटनाओं में रुचि रखने वालों को ग्रहण का नजारा दिखाने के लिए टेलीस्कोप लगाए गए थे। ग्रहण शुरू होते ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। टेलीस्कोप के जरिये सूर्य ग्रहण का नजारा देखा गया।
सूर्य ग्रहण मेले के दौरान सुरक्षा रही चाक-चौबंद
ब्रह्मसरोवर पर सूर्यग्रहण के अवसर पर लाखों श्रद्धालुओं ने मोक्ष की डुबकी लगाई। इस दौरान ब्रह्मसरोवर परिसर में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी रही। प्रवेश द्वार से लेकर महिला घाटों पर महिला पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई थी।। इसके साथ ही जगह-जगह पूछताछ केंद्र स्थापित किए गए थे, जिसके जरिए सैकड़ों श्रद्धालुओं को मिलाया।
कुरुक्षेत्र में सूर्य ग्रहण का अधिक प्रभाव आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दृष्टि का है संगम : ज्ञानानंद।
शंखनाद की ध्वनि के साथ स्वामी ज्ञानानंद सहित अन्य साधु-संतों ने लगाई पवित्र ब्रह्मसरोवर के जल में डुबकी, सांसद नायब सिंह सैनी, राजस्थान से कैबिनेट मंत्री रमेश चंद मीणा, विधायक सुभाष सुधा, विधायक लीला राम, सीएम मीडिया कोऑर्डिनेटर जगमोहन आनंद, एडीजीपी श्रीकांत यादव ने भी किया ब्रह्मसरोवर पर स्नान।

कुरुक्षेत्र 25 अक्टूबर : गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद ने कहा कि धर्मक्षेत्र-कुरुक्षेत्र में इस वर्ष सूर्य ग्रहण का मुख्य केंद्र रहा है इसलिए आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दृष्टि से यह एक अद्भुत संगम है। इस सूर्य ग्रहण के प्रभाव को कम करने और मानव कल्याण के लिए दूर दराज से आए संत जनों ने ब्रह्मसरोवर के पावन तट पर विश्व शांति का जप किया है।
गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद मंगलवार को ब्रह्मसरोवर के तट पर हवन यज्ञ में शामिल होने से पहले पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। इसके उपरांत सूर्यास्त मोक्ष के समय 5 बजकर 39 मिनट पर गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद, स्वामी दीन दयाल पांडे, स्वामी केशवानंद, सांसद नायब सिंह सैनी, सांसद रत्तन लाल कटारिया, राजस्थान कैबिनेट मंत्री रमेश चंद मीणा, विधायक सुभाष सुधा, कैथल से विधायक लीलाराम, सीएम मीडिया कोऑर्डिनेटर जगमोहन आनंद, एडीजीपी श्रीकांत यादव, भाजपा प्रदेश महामंत्री एवं पूर्व विधायक डा. पवन सैनी, प्रदेश महामंत्री मोहन लाल बडौली, भाजपा नेत्री बंतो कटारिया ने ब्रह्मसरोवर के वीआईपी घाट पर ब्रह्मसरोवर के पवित्र जल में आस्था की डूबकी लगाकर स्नान किया। इस दौरान अंबाला मंडल की आयुक्त रेणु फुलिया, उपायुक्त शांतनु शर्मा, पुलिस अधीक्षक सुरेंद्र भौरिया, एडीजीपी की धर्मपत्नी कविता, एडीसी अखिल पिलानी, नारायणगढ़ की एसडीएम आईएएस जया शारदा, एएसपी कर्ण गोयल, एसडीएम सुरेंद्र पाल, नगराधीश चंद्रकांत कटारिया आदि ने भी हवन यज्ञ, पूजा-पाठ में शिरकत की है।
स्वामी ज्ञानानंद ने कहा कि सूर्य ग्रहण के प्रभाव को कम करने और मानव जाति कल्याण के लिए धार्मिक अनुष्ठान में यज्ञ और अखंड पाठ किया गया है। उन्होंने कहा कि सूर्य ग्रहण का कुरुक्षेत्र से हजारों साल से संबंध रहा है। इस पावन धरा पर भगवान श्रीकृष्ण ने गीता के उपदेश दिए और सूर्य ग्रहण के समय भी भगवान श्रीकृष्ण द्वारका से कुरुक्षेत्र आए। इसलिए सूर्य ग्रहण का कुरुक्षेत्र में आध्यात्मिक महत्व भी है और विज्ञान भी इसको सिद्ध कर चुका है। इस ग्रहण के साथ साकारात्मक भाव जुड़े हुए है। इसलिए हरिद्वार, कुरुक्षेत्र व आसपास के राज्यों से आए साधु संतों ने ब्रह्मसरोवर में स्नान किया।
कुरुक्षेत्र लोकसभा क्षेत्र के सांसद नायब सिंह सैनी ने कहा कि विश्व कल्याण के लिए सूर्य ग्रहण जैसे अवसरों पर धार्मिक अनुष्ठानों का होना जरूरी है। इन धार्मिक अनुष्ठानों में पूजा अर्चना करके विश्व कल्याण के लिए प्रार्थना की जाती है और इसके सार्थक परिणाम भी सामने आते है। भागवत पुराण के अनुसार सूर्य ग्रहण के दिन ही भगवान श्री कृष्ण, बलराम और द्वारका से बहुत से प्रजाजनों के साथ कुरुक्षेत्र आए थे। इसलिए सूर्य ग्रहण के अवसर पर कुरुक्षेत्र का महत्व बहुत अधिक रहता है।
विधायक सुभाष सुधा ने कहा कि पांच हजार वर्ष पहले भगवान श्री कृष्ण ने कुरुक्षेत्र की भूमि से विश्व कल्याण के लिए गीता के उपदेश दिए थे, आज फिर इस गीता स्थली से विश्व कल्याण के लिए महान संतों ने विश्व शांति के लिए पाठ किया है। पूरे विश्व में कुरुक्षेत्र का महत्व सदियों पुराना है, आदिकाल से ही कुरुक्षेत्र में सूर्य ग्रहण के अवसर पर स्नान की परम्परा रही है। महाभारत के अनुसार सूर्य ग्रहण के अवसर पर कुरुक्षेत्र स्थित सन्निहित तीर्थ का स्पर्श मात्र कर लेने से शत अश्वमेध यज्ञों की फल की प्राप्ति होती है।

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