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वैश्विक शक्ति केंद्र बना अदम्य भारत : डॉ. राज नेहरू

वैश्विक शक्ति केंद्र बना अदम्य भारत : डॉ. राज नेहरू

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक

विशेष कर्तव्य अधिकारी, मुख्यमंत्री हरियाणा

चंडीगढ़ : हेनरी डेविड थोरो ने कहा था, “हज़ारों लोग बुराई की पत्तियों पर वार करते हैं, लेकिन केवल एक ही होता है जो उसकी जड़ पर वार करता है।” पाकिस्तान लंबे समय से आतंकियों के जरिए भारत में खून-खराबा कर के हमारे हौसले को कमजोर करने की नाकाम कोशिश करता रहा है। शातिर चीन भी भारत को रोकने की साज़िशें लगातार रचता रहा, लेकिन वो भी सिर्फ सतह पर ही चोट करता रहा। अलबत्ता बीते कुछ साहसी दिनों में भारत ने यह दिखा दिया कि वही एक देश है जो सीधा जड़ पर वार करता है—तकनीक, रणनीति और आत्मविश्वास के साथ। भारत ने एक ऐसा रास्ता दिखाया, जिसमें युद्ध अदृश्य था लेकिन असर पूरी दुनिया ने देखा। अब युद्ध का तरीका बदल चुका है। पहले की तरह लंबी लड़ाइयाँ नहीं होतीं। भारत ने एक नया दौर शुरू किया है—ऐसा दौर जहाँ बिना हथियार लहराए, बिना सीमा पार किए दुश्मन को हराया जा सकता है। इलेक्ट्रॉनिक तकनीक, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), और सटीक निशानेबाजी अब लड़ाई के नए हथियार हैं। भारत ने पाकिस्तान के इलाके में गहराई तक असर डाला, बिना सैनिकों को सीमा पार कराए, इसे मुमकिन कर दिखाया है। चीन, तुर्की और अजरबैजान के समर्थन के बावजूद पाकिस्तान की सेना न कुछ समझ सकी, न कुछ कर सकी। भारत की तकनीक ने उनके पूरे सिस्टम को ठप कर दिया। पाकिस्तानी सेना ने अपने आप को पूरी तरह से पंगु महसूस किया और उसका मनोबल टूटता हुआ पूरी दुनिया ने देखा। यह भारत की सिर्फ एक सैन्य जीत नहीं थी, अपितु एक कूटनीतिक जीत भी थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में साफ संदेश दिया—पाकिस्तान को चेतावनी और दुनिया को निमंत्रण। उन्होंने कहा, भारत अब सिर्फ उभरता हुआ देश नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर और आधुनिक तकनीकी ताकत बन चुका है। एक ही कदम से प्रधानमंत्री मोदी ने दो काम कर दिए—पाकिस्तान को चित किया और चीन को भी बड़ा झटका दिया। अब तक दुनिया चीन को तकनीकी शक्ति मानती थी, लेकिन भारत ने जो कर दिखाया, उसने सबकी सोच बदल दी। ब्रह्मोस मिसाइल ने आतंकी ठिकानों को खत्म किया, ‘नविक’ मिसाइल ने समुद्री ताकत दिखाई, अग्नि-V और हाइपरसोनिक मिसाइलें किसी भी सुरक्षा को चकमा देने में सफल रहीं, और लेज़र हथियार तथा बैलिस्टिक डिफेंस सिस्टम ने भारत की तकनीकी ताकत को दुनिया के सामने रखा। इस अभूतपूर्व प्रदर्शन का असर बाजारों में भी दिखा। एचएएल, बीइएल और एल एन्ड टी जैसी भारतीय कंपनियों के शेयर तेजी से बढ़े। पहले जो निवेशक संकोच कर रहे थे, अब वे भारत की रक्षा कंपनियों में भारी निवेश करने को तैयार हैं। यह सिर्फ एक दिन की बात नहीं है, बल्कि आने वाले वर्षों की तस्वीर है। अब निवेशकों का रुख बदल रहा है। वे भारत की ओर देख रहे हैं—एक स्थिर लोकतांत्रिक देश जिसकी तकनीक और नेतृत्व भरोसेमंद है। दूसरी ओर, चीन की बड़ी-बड़ी रक्षा और तकनीकी कंपनियों को इस ऑपरेशन के बाद बड़ा झटका लगा है। भारत की एआई और इलेक्ट्रॉनिक ताकत ने उनकी कमज़ोरियाँ उजागर कर दीं। अब निवेशक चीन से हटकर भारत की ओर रुख करेंगे। भारत की इस सफलता ने दुनिया को भारत के साथ साझेदारी करने के लिए प्रेरित किया है। लॉकहीड मार्टिन और थेल्स जैसी वैश्विक कंपनियाँ अब भारत के साथ मिलकर नई तकनीकों पर काम करना चाहेंगी। दुनिया की बड़ी-बड़ी यूनिवर्सिटी और रिसर्च सेंटर भी डीआरडीओ और आईआईटी के साथ मिलकर नई पीढ़ी की तकनीकों—जैसे क्वांटम कंप्यूटिंग और हाइपरसोनिक हथियार—पर काम करने को आतुर हैं।
भारत शायद पहले ही चीन की पूरी सैन्य संरचना का गहराई से अध्ययन कर चुका है। यही सोच चीन को भविष्य में कोई भी कदम उठाने से पहले सौ बार सोचने पर मजबूर कर सकती है। संदेश साफ है—भारत अब सिर्फ एशिया में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में ताकत का केंद्र बन चुका है। यह बदलाव सिर्फ सैन्य या आर्थिक नहीं है, यह एक सांस्कृतिक और सभ्यतागत जागरण है। अब भारत के आलोचक भी—चाहे वे इस्लामी दुनिया से हों या यूरोप से—अपनी सोच पर फिर से विचार कर रहे हैं। दुनिया मान रही है कि 21वीं सदी में भारत स्थिरता, नवाचार और शक्ति का नया केंद्र है। विकसित भारत का सपना अब निर्णायक मोड़ पर है। बीते कुछ दिन यह दिखा चुके हैं कि भारत अब सिर्फ दर्शक नहीं, बल्कि दिशा तय करने वाला देश बन चुका है। जहाँ तक वैश्विक नेताओं की बात है, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की जल्दबाज़ टिप्पणी अब गलत साबित हो चुकी है। उनका वक्तव्य अधूरी जानकारी पर आधारित था। पीएम मोदी के स्पष्ट भाषण के बाद दुनिया को समझ आ गया कि भारत अब किसी का उपदेश या दबाव नहीं मानेगा। शायद बीते सप्ताह की सबसे बड़ी बात यह है कि भारत ने अपनी सामूहिक ताकत, एकता, अनुशासन और नवाचार पर फिर से भरोसा किया है। यह सिर्फ एक रणनीतिक जीत नहीं है, यह एक नया जागरण है। भारत ने सिर्फ अपनी सीमाओं की रक्षा नहीं की, बल्कि दुनिया में अपना स्थान तय कर लिया है।

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