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राज्यपाल के नेतृत्व में गुरुकुल में प्राकृतिक खेती पर हुई ‘किसान गोष्ठी’

प्राकृतिक खेती एक विकल्प नहीं, आज की जरूरत है : राज्यपाल आचार्य देवव्रत।
प्रगतिशील किसानों ने प्राकृतिक खेती के अनुभव सांझा किये, उत्पादों की ब्राडिंग पर हो फोकस।

कुरुक्षेत्र, प्रमोद कौशिक 18 जुलाई : देश-विदेश में विशुद्ध भारतीय पारम्परिक खेती ‘प्राकृतिक खेती’ को पहचान दिलाने वाले गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत के नेतृत्व में हरियाणा के विभिन्न जिलों में प्राकृतिक खेती करने वाले अनेक प्रगतिशील किसानों की एक विशेष ‘किसान गोष्ठी’ गुरुकुल परिसर में हुई। इस दौरान किसानों ने प्राकृतिक खेती के अपने अनुभव माननीय राज्यपाल सहित अन्य किसानों के साथ सांझा किये और तमाम किसान बन्धु प्राकृतिक खेती के परिणामों से न केवल संतुष्ट नजर आए अपितु प्राकृतिक खेती को ‘उन्नत भारत का भविष्य’ करार दिया। इस अवसर पर विशेष रूप से प्राकृतिक खेती के विस्तार में अहम भूमिका निभा रहे विख्यात कृषि वैज्ञानिक पदम्श्री डाॅ. हरिओम, डाॅ. बलजीत सहारण आदि भी मौजूद रहे।
आचार्य ने विगत दिनों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से प्राकृतिक खेती पर हुई चर्चा का जिक्र करते हुए कहा कि ‘राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन’ को लेकर प्रधानमंत्री जी बहुत गंभीर है और विभिन्न प्रदेशों में प्राकृतिक खेती के सफल प्रयोगों से अब यह स्पष्ट हो गया है कि केवल प्राकृतिक खेती से ही देश के किसानों को खुशहाल और समृद्ध बनाया जा सकता है। प्राकृतिक खेती केवल एक विकल्प नहीं अपितु समय की अनिवार्यता है। राज्यपाल ने कहा कि प्राकृतिक खेती के उत्पादों की प्रमाणिकता और मूल्यांकन हेतु प्रक्रिया को सरल बनाया जा रहा है जिससे प्राकृतिक खेती करने वाले किसान अपने उत्पादों का सर्टिफिकेशन आसानी से करवा पाएंगे, बाजार में उनके प्राकृतिक उत्पादों को अलग से पहचान मिलेगी। उन्होंने कहा कि आज मार्किटिंग-ब्राडिंग का दौर है,ऐसे किसान केवल खेतों पर सीमित न रहे बल्कि अलग-अलग प्रोडक्ट बनाएं और अपने उत्पादों की बिक्री के लिए स्वयं बाजार तैयार करें। खेती में प्रयोग होने वाले केमिकल से आज लोग अनेक बीमारियों से ग्रस्त है, ऐसे में यदि प्राकृतिक खेती के उत्पाद उन्हें उपलब्ध हों तो उसे दोगुनी कीमत पर भी लेने को तैयार हैं। आचार्य ने सभी किसानों से आह्वान किया कि अपने क्षेत्रों में किसानों को प्राकृतिक खेती की वास्तविकता से परिचित कराएं जिससे किसानों के मन में कम उत्पादन को लेकर जो भ्रम वह दूर हो और अधिक से अधिक किसान प्राकृतिक खेती को अपनाएं।
किसान गोष्ठी में प्रगतिशील किसान सरदार गज्जन सिंह, जौनी राजा,हरमेश काम्बोज,जितेन्द्र सिंह, बीरेन्द्र सिंह, फूलकुमार, कुलबीर सिंह, नरबीर सिंह,अमरीक सिंह, भीम सिंह डागर, कुलबीर सिंह, जसविन्द्र सिंह, सूरजभान, हरजिन्द्र सिंह, सुनील कुमार, कश्मीर सिंह, पंकज कुमार, अमरिन्द्र कुमार,योगेश महन्त, रविन्द्र बावा, हरविन्द्र सिंह, नसीब कुमार, सन्दीप नाहरा, संतोष देवी,कपिल शर्मा, सतीश कुमार,कंवरभान कौशिक,भीखूराम गोयल,मनोज कुमार आदि मौजूद रहे और सभी ने अपने-अपने अनुभव सांझा किये।

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