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लोक गायिका छाया चंद्राकर ने अपनी प्रस्तुति से छत्तीसगढ़ की लोक परम्परा और संस्कृति को किया जीवंत छत्तीसगढ़ी लोकगीतों की रंगारंग प्रस्तुति से झूमे दर्शक, तालियों की गडग़ड़ाहट से गूंजा कार्यक्रम स्थललोक कलाकारों के पारंपरिक वेशभूषा में दिखी छत्तीसगढ़ के सांस्कृतिक विरासत की झलक

रायगढ़, 03 सितम्बर 2025/ अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त चक्रधर समारोह 2025 के 7 वें दिन के समापन अवसर पर छत्तीसगढ़ की वरिष्ठ लोकगायिका छाया चंद्राकर ने अपनी प्रस्तुति से लोकसंगीत का ऐसा सुरमयी वातावरण रचा कि दर्शक झूम उठे। उनकी सुरीली आवाज़ और मधुर लोकधुनों ने एक ओर श्रोताओं को लोक परंपरा की गहराइयों में उतारा, वहीं दूसरी ओर नई पीढ़ी को हमारी लोकधरोहर से परिचित करवाया।
छाया चन्द्राकर और उनकी टीम लोक छाया ने अपनी शानदार प्रस्तुति से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम की शुरुआत इन्होंने भगवान गणेश वंदना से की। इसके बाद छत्तीसगढ़ महतारी को समर्पित गीत जय हो छत्तीसगढ़ महतारी तोर पांव… प्रस्तुत किया, जिस पर दर्शकों ने तालियों की गडग़ड़ाहट से उनका अभिवादन किया।
लोकपरंपराओं की झलक पेश करते हुए हरेली, भोजली, गौरी-गौरा, राउत नाचा, डंडा नृत्य, सुआ नृत्य, देवार गीत, पंथी गीत, छेरछेरा और जंवारा विसर्जन जैसी प्रस्तुतियों ने वातावरण को छत्तीसगढ़ के समृद्ध संस्कृति की खुशबू से महकाया। अंत में उन्होंने छत्तीसगढ़ के लोकप्रिय गीत कर्मा और छत्तीसगढ़ी गीतों की प्रस्तुति देकर कार्यक्रम को नई ऊंचाई दी।
गौरतलब है कि छाया चंद्राकर ने अब तक 50 से अधिक फिल्मों और 3000 से ज्यादा गीतों में अपनी स्वर साधना का जादू बिखेरा है। लगभग 4100 मंचीय प्रस्तुतियों के जरिए उन्होंने न सिर्फ छत्तीसगढ़ बल्कि देश-विदेश तक अपनी अमिट पहचान बनाई है। उनकी दीर्घ कला साधना के सम्मानस्वरूप उन्हें लता मंगेशकर स्वर कोकिला सम्मान, सामाजिक समरसता सम्मान, अहिल्या बाई होलकर स्मृति सम्मान, दाऊ महासिंह चंद्राकर सम्मान, भक्त माता कर्मा सम्मान, मिनीमाता नारी शक्ति सम्मान, छत्तीसगढ़ कला रत्न सम्मान, भारत गौरव सम्मान, छत्तीसगढ़ गौरव सम्मान सहित अनेक पुरस्कारों से अलंकृत किया गया है।

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