कथा व्यास विनायक शास्त्री जी द्वारा एकता नगर में महा शिवपुराण कथा का भव्य समापन: 108 शिवलिंग स्थापना व भस्मधारण कथा ने भाव-विभोर किए श्रद्धालु

सर्व मंदिर केंद्रीय सभा फिरोजपुर द्वारा विक्रम संवत 2082 कैलेंडर को तैयार करने वाले विद्वान पंडितों को किया गया सम्मानित
(पंजाब) फिरोजपुर 31 अक्टूबर [कैलाश शर्मा जिला विशेष संवाददाता]=
स्वर्गीय रविकांत शर्मा की पुण्य स्मृति में एकता नगर में चल रही महा शिवपुराण कथा का शुक्रवार की संध्या को भव्य समापन हुआ। सतगुरु दीनदयाल महाराज के परम शिष्य कथाव्यास विनायक शास्त्री जी ने छठे दिन भगवान शिव के पशुपतिनाथ स्वरूप, अर्धनारीश्वर रूप तथा भस्मधारण की अद्भुत व्याख्या प्रस्तुत की। उनके प्रभावशाली प्रवचनों ने श्रद्धालुओं को भगवान शिव की लीलाओं और तत्त्वज्ञान से परिचित कराया।
इस अवसर पर कथा स्थल पर 108 शिवलिंगों की स्थापना की गई। इन शिवलिंगों को बर्फ, गाय के गोबर और मिट्टी से विशेष विधि-विधान के साथ तैयार किया गया था। कथा व्यास विनायक शास्त्री जी ने 108 शिवलिंगों की पौराणिक महत्ता और उनके प्रतीकात्मक अर्थ का विस्तारपूर्वक वर्णन किया। श्रद्धालुओं ने बेलपत्र, जल, दुग्ध और पुष्पों से इन शिवलिंगों का पूजन किया तथा ‘हर हर महादेव’ के जयकारों से पूरा परिसर शिवमय हो उठा।
    कथा के अंतिम दिन विनायक शास्त्री जी ने महाशिवपुराण के अंतिम प्रसंग का श्रवण कराते हुए कथा को विराम दिया। उन्होंने कहा कि शिवपुराण का सार है ‘‘भक्ति, सेवा और त्याग से ही शिव की कृपा प्राप्त होती है।’’
     कार्यक्रम के दौरान श्रद्धालुओं ने गंगा जल से अभिषेक, हवन और यज्ञ में भाग लेकर आध्यात्मिक आनंद का अनुभव किया। कथा के समापन पर भव्य भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में भक्तों ने प्रसाद ग्रहण किया।
     कथा आयोजन समिति ने इस अवसर पर कई विद्वान पंडितों और समाजसेवियों को सम्मानित किया। सम्मानित होने वालों में आचार्य पंडित अनिल शर्मा, पंडित विश्वनाथ त्रिपाठी, पंडित करण त्रिपाठी,पंडित अरुण पांडे, पंडित रमाकांत,  पंडित भूपेश शर्मा और पंडित राजेश मिश्रा सहित मठ मंदिर प्रमुख जिला फिरोजपुर पंडित कैलाश शर्मा का नाम प्रमुख रहा। सभी को शॉल, श्रीफल और सम्मान पत्र देकर अभिनंदित किया गया।
       नवदुर्गा शक्तिपीठ मंदिर गोल्डन एनक्लेव की ओर से कथा व्यास विनायक शास्त्री जी को विशेष रूप से सम्मानित किया गया। समिति के सदस्यों ने कहा कि उनके प्रवचनों ने लोगों के जीवन में अध्यात्म और धर्म के प्रति नई चेतना का संचार किया है। 
				 
					 
					


