सफलता के लिए प्रसन्नता महत्वपूर्ण : डॉ. राज नेहरू

सफलता के लिए प्रसन्नता महत्वपूर्ण : डॉ. राज नेहरू।

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।

श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय में लीडरशिप एवं टीम बिल्डिंग पर कार्यक्रम आयोजित।
डॉ. शंकर गोएंका ने किया प्रसन्न रह कर लक्ष्यों की ओर केंद्रीय रहने के लिए प्रेरित।

पलवल : श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. राज नेहरू ने कहा कि जीवन में सफलता के लिए प्रसन्नता का महत्व है। प्रसन्न मनुष्य समाज एवं संस्थान को अपना सर्वश्रेष्ठ दे सकता है। वह बृहस्पतिवार को विश्वविद्यालय में लीडरशिप एवं टीम बिल्डिंग पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्यातिथि के रूप में बोल रहे थे। कुलपति डॉ. राज नेहरू ने विश्वविद्यालय के सभी शिक्षकों, अधिकारियों और कर्मचारियों को खुश रह कर मिशन के रूप में कार्य करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने जीवन के लक्ष्यों को इंगित करते हुए कहा कि लक्ष्यविहीन जीवन किसी काम का नहीं है। कुलपति डॉ. राज नेहरू ने सभी को वर्ष 2024 की बधाई देते हुए नए संकल्पों के साथ काम करने का आह्वान किया।
कुलसचिव प्रोफेसर ज्योति राणा ने कहा कि हम समाज को जो देते हैं, वही हमारे पास लौट कर आता है। इसलिए हमें समाज में श्रेष्ठताओं का समावेश करने के लिए दृढ़ता रखनी चाहिए। प्रोफेसर ज्योति राणा ने कहा कि शिक्षकों, अधिकारियों और कर्मचारियों के कल्याण के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन प्रतिबद्ध है। उन्होंने इस वर्ष में श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय को नए मुकाम पर ले जाने के लिए कटिबद्ध रहने का आह्वान किया।
वॉव फैक्टर्स इंडिया के प्रबंध निदेशक डॉ. शंकर गोएंका ने अपने विशेष सत्र के माध्यम से शिक्षकों, अधिकारियों और कर्मचारियों को प्रसन्न रह कर बेहतरीन परफॉर्मेंस के टिप्स दिए। उन्होंने कहा कि जीवन सरल है, लेकिन हम उसे उलझा देते हैं। हम जिस रचनात्मकता के साथ पैदा होते हैं, उसको उसी अनुपात में बरकरार रखना जरूरी है। डॉ. शंकर गोएंक ने अपने सत्र में उत्कृष्ट कार्य करने के गुर सिखाए और जीवन के लक्ष्यों पर केंद्रित होने की विधि भी बताई।
विश्वविद्यायल के योग शिक्षक डॉ. सोहन लाल ने योग के माध्यम से जीवन को संतुलित करने के गुर सिखाए और ध्यान की विधियों से स्वयं को संयमित रखने की विधियां बताई।
शिक्षा शास्त्र के अधिष्ठाता प्रोफेसर ऋषिपाल ने कार्यक्रम की प्रासंगिकता का उल्लेख करते हुए कहा कि हमें अपने प्रदर्शन को निखारने के लिए हमेशा सीखते रहना चाहिए।
इस अवसर पर अकादमिक अधिष्ठाता प्रोफेसर आर एस राठौड़, डीन प्रोफेसर ऋषिपाल, डीन प्रोफेसर आशीष श्रीवास्तव, डीन प्रोफेसर जॉय कुरियाकोजे, डीन प्रोफेसर सुरेश कुमार, प्रोफेसर ऊषा बत्रा, प्रोफेसर ए के वाटल, प्रोफेसर डीके गंजू, डॉ. सविता शर्मा, डॉ. संजय राठौर और डॉ. प्रीति भी मंच पर मौजूद रहे।
विभिन्न भाषाओं के गीतों ने सबको झूमाया।
नव्य समारोह में सांस्कृतिक तड़का भी अनोखे अंदाज में लगा। उप कुल सचिव चंचल भारद्वाज ने अंताक्षरी को होस्ट करके समां बांध दिया। मणिपुरी, भोजपुरी, राजस्थानी, कश्मीरी, जर्मन, हरियाणवी, पंजाबी और मलयालम के गीतों पर सब झूमते नजर आए। इस आयोजन ने यह साबित कर दिया कि संगीत की कोई भाषा नहीं होती। विभिन्न भाषाओं के गानों पर सब झूमते नजर आए। कुलपति डॉ. राज नेहरू ने भी कश्मीरी भजन गाकर सबको मोहित किया और कुल सचिव प्रोफेसर ज्योति राणा भी संगीतमय अंदाज में नजर आई।
डॉ. शंकर गोएंका को स्मृति चिन्ह प्रदान करते कुलपति डॉ. राज नेहरू एवं कुलसचिव प्रोफेसर ज्योति राणा।

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