पिता बच्चे को सभ्य व संस्कारी बनाने में अहम भूमिका निभाता है : डा. सी. बी. सिंह
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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कृषि वैज्ञानिक ने संस्कार कार्यक्रम में बताई अभिभावकों की भूमिका।
कुरुक्षेत्र, 8 नवम्बर : कहते है कि दुनिया में मां और बच्चे का रिश्ता सबसे बड़ा होता है। मां बच्चे को जन्म देती है, उसे बड़ा करती है। लेकिन एक पिता बच्चे को सभ्य बनाने के साथ ही उसके भविष्य को संवारने में अहम भूमिका निभाता है। यह विचार कुरुक्षेत्र में हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डा. सी. बी. सिंह ने श्री गुरु नानक देव जी के प्रकाशोत्सव के अवसर पर आयोजित संस्कार कार्यक्रम के अवसर पर कहे। उन्होंने बताया कि भारतीय संस्कृति एवं संस्कारों में संतों महापुरुषों का विशेष योगदान है। इस मौके पर अनेक विद्वान् भी मौजूद थे। इसी मौके पर डा. वी. एस. रघुवंशी को उनके जन्मदिन पर शुभकामनाएं भी दी गई। डा. रघुवंशी ऐसे वरिष्ठ शिक्षाविद हैं जिन से शिक्षा ग्रहण कर अनेकों विद्यार्थी डॉक्टर बन कर चिकित्सा के क्षेत्र में लोगों की सेवा कर रहे हैं। डा. रघुवंशी ने संस्कार कार्यक्रम के अवसर वरिष्ठ शिक्षाविदों एवं विद्वानों से आशीर्वाद लिया और उन्हें शुभकामनाएं देते हुए मिठाई से मुंह मीठा किया। उन्होंने कहा कि बच्चे के जीवन में पिता का रोल मां जितना ही है। पिता त्याग और समर्पण का उदाहरण है। एक पिता ही बच्चे को समाज की हर बुराई से बचाता है। पिता बच्चों की जरूरतों को पूरा करने के लिए खुद संघर्ष करते हैं। उनके भविष्य को संवारने के लिए दिशा निर्देशन करते हैं। डा. रघुवंशी ने कहा कि मां तो मातृत्व न्योछावर कर देती है लेकिन बच्चे को सही मार्ग दिखाने के लिए पिता को कठोर बनना पड़ता है। पिता अक्सर बच्चे के प्रति उस तरह का प्यार जता नहीं पाते, जैसे मां जताती हैं लेकिन बिना दिखाए या जताए जीवन भर की खुशियां बच्चे को देने का काम एक पिता ही कर सकता है।
शिक्षाविद डा. वी. एस. रघुवंशी को कृषि वैज्ञानिक डा. सी. बी. सिंह को मिठाई खिलाते हुए।