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कार्तिक महीने का हमारी धर्म संस्कृति में है विशेष महत्व : महंत जगन्नाथ पुरी।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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श्री मार्कंडेश्वर महादेव मंदिर में चल रहा है कार्तिक पूजन।
कुरुक्षेत्र, 20 अक्तूबर : मारकंडा नदी के तट पर श्री मार्कंडेश्वर महादेव मंदिर ठसका मीरां जी में अखिल भारतीय श्री मार्कंडेश्वर जनसेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत जगन्नाथ पुरी के सान्निध्य में संत महापुरुषों द्वारा नियमित कार्तिक पूजन चल रहा है। महंत जगन्नाथ पुरी ने बताया कि शरद पूर्णिमा के बाद से कार्तिक का महीना लग जाता है। इस महीने में भगवान विष्णु जल में निवास करते हैं, इसलिए इस महीने में सुबह सवेरे स्नान करने बहुत फल मिलता है। कार्तिक महीने में तुलसी पूजा का भी विशेष महत्व है। इस पूरे महीने में माता तुलसी के सामने दीपक जलाया जाता है। महंत जगन्नाथ पुरी ने बताया कि कार्तिक महीने की शुरुआत शरद पूर्णिमा से होती है और अंत कार्तिक पूर्णिमा या देव दीपावली से होता है। उन्होंने बताया कि इस महीने के बीच करवा चौथ, अहोई अष्टमी के बाद अब रमा एकादशी, गौवत्स द्वादशी, धनतेरस, रूप चतुर्दशी, दीवाली, गोवर्धन पूजा, भैया दूज, सौभाग्य पंचमी, छठ, गोपाष्टमी, आंवला नवमी, देव एकादशी, बैकुंठ चतुर्दशी, कार्तिक पूर्णिमा या देव दीपावली इत्यादि त्यौहारों को बड़े धूम-धाम से मनाया जाएगा। महंत जगन्नाथ पुरी ने बताया कि देव उठानी या प्रबोधिनी एकादशी 4 नवम्बर का भी विशेष महत्व होता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु चार महीने की निद्रा के पश्चात उठते हैं। इस दिन के बाद से सारे मांगलिक कार्य शुरू किए जाते हैं। उन्होंने बताया कि कार्तिक महीने का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है। इस महीने में दान, पूजा-पाठ तथा स्नान का बहुत महत्व होता है तथा इसे कार्तिक स्नान की संज्ञा दी जाती है। यह स्नान सूर्योदय से पूर्व किया जाता है। स्नान कर पूजा-पाठ को विशेष महत्व दिया जाता है। साथ ही देश की पवित्र नदियों में स्नान का खास महत्व होता है। महंत जगन्नाथ पुरी ने कहा कि दीपदान का भी परंपरा है। यह दीपदान मंदिरों, नदियों के अलावा आकाश में भी किया जाता है। यही नहीं ब्राह्मण भोज, गाय दान, तुलसी दान, आंवला दान तथा अन्न दान का भी महत्व होता है। महंत ने बताया कि कार्तिक महीने में तुलसी की पूजा का खास महत्व है। ऐसा माना जाता है कि तुलसी जी भगवान विष्णु की प्रिया हैं। तुलसी की पूजा कर भक्त भगवान विष्णु को भी प्रसन्न कर सकते हैं। इसलिए श्रद्धालु गण विशेष रूप से तुलसी की आराधना करते हैं। उन्होंने कहा कि इस महीने में स्नान के बाद तुलसी तथा सूर्य को जल अर्पित किया जाता है तथा पूजा-अर्चना की जाती है। यही नहीं तुलसी के पत्तों को खाया भी जाता है जिससे शरीर निरोगी रहता है। साथ ही तुलसी के पत्तों को चरणामृत बनाते समय भी डाला जाता है। यही नहीं तुलसी के पौधे का कार्तिक महीने में दान भी दिया जाता है। उन्होंने बताया कि तुलसी के पौधे के पास सुबह-शाम दीपक भी जलाया जाता है। अगर यह पौधा घर के बाहर होता है तो किसी भी प्रकार का रोग तथा व्याधि घर में प्रवेश नहीं कर पाते हैं। तुलसी पूजा अर्चना से न केवल घर के रोग, दुख दूर होते हैं बल्कि अर्थ, धर्म, काम तथा मोक्ष की भी प्राप्ति होती है।
महंत जगन्नाथ पुरी।