हरियाणा: पाश्चात्य संस्कृति ने समाज विकास से युवाओं को भटकाया: जयभगवान सिंगला

पाश्चात्य संस्कृति ने समाज विकास से युवाओं को भटकाया: जयभगवान सिंगला।

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 9416191877

कुवि के यूआईईटी में ऑनलाइन इंडक्शन कार्यक्रम में युवाओं को किया प्रेरित।

कुरुक्षेत्र, 20 अक्टूबर : कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के यूआईईटी संस्थान के अंतर्गत चल रहे इंडक्शन कार्यक्रम कार्यक्रम में समाज में युवाओं की भूमिका विषय पर कुरुक्षेत्र प्रसिद्ध समाजसेवी व प्रेरणा वृद्ध आश्रम के संस्थापक जय भगवान सिंगला ने ऑनलाइन युवाओं को संबोधित करते हुए कहा भारतीय संस्कृति में संस्कारों की कमी नहीं थी अपने बुजुर्गों से विरासत में हमें संस्कार मिलते थे। उन्हीं से हमारी सभ्यता और संस्कृति की पहचान होती थी परिवारों का सहसंबंध था और एक दूसरे की जरूरतों को समझते थे परंतु जब से हमारे युवाओं में पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव पड़ा है तभी से परिवार भी टूटे हैं व समाज को नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि हमारे पुराने रीति रिवाज में सभी प्रकार की जातियों में धर्म के लोग आपस में मिलजुल कर रहते थे जिससे समाज का गठबंधन मजबूत रहता था पहले परिवार और समाज का टकराव घर की दीवार के अंदर रहता था आजकल यह टकराव सोशल मीडिया व कोर्ट में देखा जा सकता है जिसके कारण परिवार व समाज में बिखराव पैदा हुआ है।
उन्होंने कहा कि परिवार में पहले बड़े बूढ़ों का डर होता था और घर का कार्य करने से पहले उनसे राय ली जाती थी परंतु आज मोबाइल और इंटरनेट के कारण युवाओं ने अपने बुजुर्गों के पास बैठना बंद कर दिया है और ज्यादा से ज्यादा समय मोबाइल पर व्यस्त रहते हैं जिसके कारण हमारे सभ्यता और संस्कारों में कमी आई है जिसके कारण युवा समाज विकास से दूर नजर आते हैं। बुजुर्गों के निरादर के कारण आज हमें वृद्ध आश्रम खोलने पड़ रहे हैं जो समाज विकास  में लिए अच्छे संकेत नहीं हैं।
 कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के डीन इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी एवं यूआईईटी संस्थान के निदेशक प्रो. सुनील ढींगरा ने कहा कि पाश्चात्य संस्कृति के कारण आज के युवाओं ने प्रकृति का भी हनन किया है जिसके कारण पूरा वातावरण दूषित हो रहा है। प्रदूषित वातावरण के कारण उसी प्रकार की मानसिकता हो गई है आज अत्यधिक मोबाइल प्रयोग के कारण समाज की परिपक्वता भंग हो रही है जो समाज विकास में रुकावट है। उन्होंने कहा कि हमें कुदरत से मिले प्रेम को समाज विकास के साथ जोड़ना चाहिए। कुदरत ने हमें निस्वार्थ जीवन दिया है युवाओं को अपनी गुणवत्ता के साथ क्षमता को पहचान कर प्रकृति और हमारे संस्कारों के साथ जोड़ना होगा तभी युवाओं की समाज विकास में संपूर्ण भागीदारी मानी जाएगी।
कार्यक्रम की संयोजिका डॉ. अमिता मित्तल ने सभी मेहमानों का स्वागत किया और कहा कि बेहतर समाज विकास में युवाओं की भागीदारी जरूरी है। दूसरे सत्र में अरुण कौशिक ने छात्रों को आत्मविश्वास बढ़ाने के टिप्स दिए। जयपुर से डॉ. मुकेश चौधरी ने जयपुर से विद्यार्थियों के सफलता के लिए मूल मंत्र में समय प्रबंधन और मेहनत को अहम पहलू बताया। इस अवसर पर नेहा दुग्गल, हरनेक सैनी, सोनिया, ज्योति, दीप्ति चौधरी, रविंद्र चौधरी, शीशपाल, हरिकेश पपोसा रहे मौजूद रहे।

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