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हिंद महासागर व्यापार तथा आर्थिक विकास का महत्वपूर्ण केन्द्रः परमिता त्रिपाठी

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।

आईओआरए के साथ जुड़ाव विदेश नीति और विकास का एक महत्वपूर्ण पहलूः प्रो. सोमनाथ सचदेवा।
आईओआरए हिंद महासागर में समुद्री सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण: अनिल सूकलाल।
कुवि के अंतरराष्ट्रीय इंडो पैसिफिक केन्द्र द्वारा एक दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित।

कुरुक्षेत्र, 27 फरवरी : परमिता त्रिपाठी, संयुक्त सचिव, विदेश मंत्रालय, भारत सरकार ने कहा कि हिंद महासागर विश्व का तीसरा सबसे बड़ा महासागर है। यह न केवल जल एक महत्वपूर्ण स्त्रोत है बल्कि ऐतिहासिक काल से व्यापार तथा आर्थिक विकास का केन्द्र भी है। हिन्द महासागर पर प्रभावी नियन्त्रण के बिना कोई देश वैश्विक शक्ति का दर्जा प्राप्त नहीं कर सकता। वे गुरुवार को इंडियन कांउसिल ऑफ वर्ल्ड अफेयर्स (आईओआरए), नई दिल्ली तथा इंटनेशनल सेंटर फॉर इंडो पैसिफिक स्टडीज(आईसीआईपीएस) तथा अर्थशास्त्र विभाग के संयुक्त तत्वावधान में इंडिया एंड आईओआरएः पाथवेज़ अहेड विषय पर आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन में बतौर मुख्यातिथि बोल रही थी। उन्होंने कहा कि भारत ने क्षेत्रीय सहयोग के लिए हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (आईओआर-एआरसी) के संस्थापक सदस्य के रूप में इसे एक गतिशील और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण अंतर-सरकारी संगठन बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि आज का सम्मेलन भारतीय महासागर क्षेत्र के सदस्य देशों के बीच संवाद, समझ और सहयोग को बढ़ावा देने के हमारे प्रयासों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा। भारत का इंडियन कांउसिल ऑफ वर्ल्ड अफेयर्स (आईओआरए) के साथ जुड़ाव विदेश नीति और विकास का एक महत्वपूर्ण पहलू है और हम इस क्षेत्र के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय द्वारा अंतर्राष्ट्रीय इंडो पैसिफिक केन्द्र की स्थापना वर्ष 2022 में की गई थी और इस केन्द्र द्वारा अभी तक तीन अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन सफलतापूर्वक आयोजित किए जा चुके हैं जो अंतर्राष्ट्रीय संबंध मजबूत करने की दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
भारतीय विश्व मामले परिषद, नई दिल्ली की डॉ. प्रज्ञा पांडे ने कहा कि इस परिषद का उद्देश्य भारतीय एवं अंतर्राष्ट्रीय मामलों के अध्ययन को बढ़ावा देना तथा अध्ययन के माध्यम से अन्य देशों के साथ भारत के संबंधों को बढ़ावा देना है। प्रो. अनिल सूकलाल, उच्चायुक्त, दक्षिण अफ्रीका गणराज्य, भारत, नई दिल्ली ने कहा कि आईओआरए हिंद महासागर में समुद्री सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। कुवि के इंडो-पैसिफिक केन्द्र के निदेशक प्रो. वी.एन. अत्री ने गणमान्यों का स्वागत किया तथा सम्मेलन की रूपरेखा बताई।
अर्थशास्त्र विभाग के अध्यक्ष प्रो. दारा सिंह ने बताया कि इस सम्मेलन में पांच तकनीकी सत्र शामिल थे, जिनमें प्रो. एस.के. मोहंती, आरआईएस, नई दिल्ली, राजदूत संजय पांडा, राजदूत अनूप मुदगल, डॉ. इमादुल इस्लाम, एसआरएफ, महासागर नीति अनुसंधान संस्थान (ओपीआरआई), सासाकावा पीस फाउंडेशन टोक्यो जापान, वाइस एडमिरल, प्रदीप चौहान, महानिदेशक, राष्ट्रीय समुद्री फाउंडेशन, नई दिल्ली, राजदूत राजीव भाटिया, सुश्री आशिमा चतुर्वेदी, एनएससीएस, नई दिल्ली ने अपने व्याख्यान प्रस्तुत किए।
इस अवसर पर प्रो. दारा सिंह, प्रो. अशोक चौहान, प्रो. संजीव बंसल, प्रो. अनिल मित्तल, प्रो. संजीव शर्मा, प्रो. अमित लूदरी, प्रो. मनोज जोशी, प्रो. रीटा, लोक सम्पर्क विभाग के निदेशक प्रो. महासिंह पूनिया, उप-निदेशक डॉ. जिम्मी शर्मा, डॉ. हेमलता शर्मा, डॉ. अर्चना चौधरी, डॉ. कुशविन्द्र कौर, डॉ. किरण लाम्बा, डॉ. प्रिया शर्मा, डॉ. निधि बगरिया, डॉ. इशू गर्ग, डॉ. जितेन्द्र भारद्वाज, डॉ. राजन शर्मा सहित शिक्षक, शोधार्थी व विद्यार्थी मौजूद थे।

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