संस्कृति बोध परियोजना अखिल भारतीय कार्यशाला का शुभारम्भ


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कुरुक्षेत्र, 26 जुलाई : विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान में तीन दिवसीय संस्कृति बोध परियोजना प्रश्न पत्र एवं प्रश्न मंच हेतु प्रश्न संच निर्माण की अखिल भारतीय कार्यशाला का शुभारम्भ हुआ। मंचासीन विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान के राष्ट्रीय सहसंगठन मंत्री श्रीराम आरावकर, संस्थान की अध्यक्षा डाॅ. ममता सचदेवा, सह सचिव डाॅ. पंकज शर्मा रहे। कार्यशाला में मुख्य रूप से सत्र 2025-26 में आयोजित होने वाली संस्कृति ज्ञान परीक्षा एवं अखिल भारतीय संस्कृति महोत्सव में आयोजित होने वाले संस्कृति ज्ञान प्रश्नमंच हेतु प्रश्न संच निर्माण किया जाना है। मंचासीन अतिथियों का परिचय कराते हुए संस्थान के निदेशक डाॅ. रामेन्द्र सिंह ने बताया कि अखिल भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा एवं संस्कृति ज्ञान प्रश्नमंच संस्कृति बोध परियोजना का आयाम है, जिसके प्रश्नपत्र निर्माण का कार्य प्रत्येक वर्ष किया जाता है। इस महत्वपूर्ण कार्य के लिए उन्होंने देशभर से आए 80 प्रतिभागियों का कुरुक्षेत्र की पवित्र भूमि पर आने पर स्वागत किया।
विद्या भारती के अखिल भारतीय सहसंगठन मंत्री श्रीराम आरावकर ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि संस्कृति बोध में संपूर्ण समाज जुड़ता है। संस्कृति ज्ञान परीक्षा संस्कृति बोध का ही आयाम है, जिसके लिए आप सब देशभर में महती कार्य कर रहे हैं। संस्कृति बोध का जो दायित्व हम सब निर्वहन कर रहे हैं, उसे बहुत तेजी से आगे बढ़ा सकते हैं। इसके लिए प्रत्येक वर्ष कम से कम 50 कर्मठ कार्यकर्ता साथ जोड़ने की आवश्यकता है। संस्कृति बोध का उद्देश्य अपनी मूल संस्कृति का अध्ययन होना है। उन्होंने कहा कि संस्कृति से हमारा जुड़ाव होना अत्यंत आवश्यक है। संस्कृति नष्ट होने पर राष्ट्र नष्ट होता है। संस्कृति बोध का विषय समाज का आंदोलन कैसे बन सकता है एवं हम अपने, परिवार जीवन में संस्कृति बोध को कितना ला रहे हैं, इस पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है।
संस्थान की अध्यक्षा डाॅ. ममता सचदेवा ने कहा कि संस्कृति बोधमाला पुस्तकों में भारतीय संस्कृति का समावेश है। यह आयोजन मात्र कार्यशाला न होकर संघ परम्परा से प्रेरित राष्ट्र निर्माण यात्रा का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है, जिसमें शिक्षा को संस्कारयुक्त, राष्ट्रनिष्ठ एवं भारतीय जीवन दृष्टि से ओतप्रोत बनाने का सतत् प्रयास है। उन्होंने कहा कि इस कार्यशाला में हम ऐसे प्रश्न तैयार करें तो केवल उत्तर नहीं वरन् चिंतन को जन्म दें, जो केवल जानकारी नहीं बोध का भी निर्माण करे। केवल परीक्षा के लिए ही नहीं बल्कि जीवन के लिए हो। जो भारत के वर्तमान, अतीत और दृश्य के प्रति जिम्मेदार नागरिक बनने के लिए हम सबको प्रेरित कर सके। जिसमें राष्ट्रीय भावना, राष्ट्रीय एकता और विविधता का समावेश हो। उन्होंने कहा कि जब एक विद्यार्थी अपनी जड़ों को जानता है तो अपनी संस्कृति से जुड़ता है। हम शिक्षकांे और आयोजकों पर महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है कि हम अपने बच्चों को इस तरह के संस्कार दें कि उनके मन-मस्तिष्क में संस्कारों के ऐसे बीज बोएं कि वे देश के अच्छे नागरिक बन सकें।
द्वितीय सत्र में संस्कृति बोध परियोजना के संयोजक दुर्ग सिंह राजपुरोहित ने प्रश्नपत्र एवं प्रश्न मंच हेतु समूह निर्माण किया एवं प्रश्नपत्र निर्माण सम्बन्धी किन-किन सावधानियों का ध्यान रखना है, इस पर आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। कार्यशाला में उत्तर क्षेत्र से अनिल कुलश्रेष्ठ, पश्चिमी उत्तर प्रदेश क्षेत्र से यशपाल सिंह, पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र से राजकुमार सिंह, उत्तर पूर्व क्षेत्र से विवेक नयन पांडे, राजस्थान क्षेत्र से रमेश शुक्ल, मध्य क्षेत्र से अम्बिका दत्त कुंडल सहित देशभर से 80 प्रतिभागी सहभागिता कर रहे हैं।
संस्कृति बोध परियोजना अखिल भारतीय कार्यशाला में मंचासीन विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान के राष्ट्रीय सहसंगठन मंत्री श्रीराम आरावकर, संस्थान की अध्यक्षा श्रीमती ममता सचदेवा, सह सचिव डाॅ. पंकज शर्मा।