वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
लोहड़ी का पर्व शीत ऋतु की समाप्ति और बसंत के आगमन के अवसर पर मनाया जाता है।
कुरुक्षेत्र, 7 जनवरी : भारतीय संस्कृति एवं परम्पराओं के अनुसार त्यौहारों का ऋतुओं और समय परिवर्तन के साथ भी विशेष महत्व है। ऐसा ही त्यौहार है लोहड़ी का पर्व जो उत्तर भारत में विशेषकर पंजाब और हरियाणा में बड़े उत्साह से मनाया जाने वाला विशेष पर्व है। वेद ज्ञाताओं के अनुसार लोहड़ी पर्व विशेष महत्व माना जाता है।
अखिल भारतीय श्री मारकंडेश्वर जनसेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत जगन्नाथ पुरी ने श्रद्धालुओं को त्यौहारों के महत्व पर चर्चा करते हुए कहा कि लोहड़ी का त्यौहार शीत ऋतु की समाप्ति और बसंत के आगमन के उपलक्ष में मनाया जाता है। मान्यता अनुसार लोग शाम के समय आग जला कर उसके चारों ओर नाच गाकर लोहड़ी का त्यौहार मनाते हैं। इस आग में रेवड़ी, मूंगफली, खील, मक्की के दाने डाले जाने की परंपरा है। लोहड़ी के दिन तिल और गुड़ खाने और आपस में बांटने की परंपरा है। ये त्यौहार दुल्ला भट्टी और माता सती की कहानी से जुड़ा है। मान्यता है इस दिन ही प्रजापति दक्ष के यज्ञ में माता सती ने आत्मदाह किया था। इसके साथ ही इस दिन लोक नायक दुल्ला भट्टी, जिन्होंने मुगलों के आतंक से युवतियों की लाज बचाई थी। उनकी याद में आज भी लोहड़ी का पर्व मनाया जाता है।
महंत जगन्नाथ पुरी।