राष्ट्रीय फाइलेरिया दिवस आज
जिले के सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर शिविर लगा कर होगी फाइलेरिया रोगियों की पहचान: जिला मलेरिया अधिकारी
*कन्नौज, जिला ब्यूरो
फाइलेरिया बीमारी गन्दे पानी,नालियो में पनपने वाले संक्रमित मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होती हैं। यदि सभी लोग फाइलेरिया की दवा का वर्ष में एक बार सेवन करें तो फाइलेरिया बीमारी को रोका जा सकता है। यह दवा एक तरह से टीका है जो कि एक वर्ष तक फायलेरिया के कृमि से सुरक्षा देती है यह कहना है जिला मलेरिया अधिकारी डा.हिलाल अहमद खान का।
उन्होंने बताया कि यह बीमारी क्यूलैक्स मच्छर के काटने से फैलती है, इस मच्छर के पनपने में मल, नालियों और गड्ढों का गंदा पानी मददगार होता है , इस मच्छर के लार्वा पानी में टेढ़े होकर तैरते रहते हैं। क्यूलैक्स मच्छर जब किसी व्यक्ति को काटता है तो वह फाइलेरिया के छोटे कृमि का लार्वा उसके अंदर पहुँचा देता है। संक्रमण पैदा करने वाले लार्वा के रुप में इनका विकास 10 से 15 दिनों के अंदर होता है। इस अवस्था में मच्छर बीमारी पैदा करने वाला होता है। इस तरह यह चक्र चलता रहता है।
जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि आज जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों शिविर लगा कर फाइलेरिया रोगियों की पहचान की जायेगी।
उन्होंने बताया कि जिले में 332 फाइलेरिया रोगी पंजीकृत है जिनमें 85रोगी हाइड्रोसील से ग्रसित है।
पाथ संस्था के प्रतिनिधि डा.शिवकांत ने बताया कि जब भी फाइलेरिया टीम घर आये तो उससे दवा खानी है। यह बीमारी एक बार हो जाने पर इसका कोई इलाज नहीं है।
उन्होंने बताया कि जिसको इस रोग की शिकायत हो उस पीड़ित मरीज को नियमित अपनी साफ़ सफाई करनी चाहिए। और अगर पैरों में सूजन है, तो पैरों के नीचे तकिया लगा कर रखें। पैरों को अधिक देर तक लटकाएं नहीं। हाइड्रोसील से ग्रसित मरीज भी फाइलेरिया के अंतर्गत आते हैं।यह बीमारी क्यूलेक्स मच्छर के काटने से फैलती है। मच्छर के पनपने में मल, नालियों और गड्ढों का गंदा पानी मददगार होता है। इस मच्छर के लार्वा पानी में टेढ़े होकर तैरते हैं। क्यूलेक्स मच्छर जब किसी व्यक्ति को काटता है तो वह फाइलेरिया के छोटे कृमि का लार्वा उसके अंदर पहुंचा देता है। संक्रमण पैदा करने वाले लार्वा के रूप में इनका विकास 10 से 15 दिनों के अंदर होता है। इस अवस्था में मच्छर बीमारी पैदा करने वाला होता है। इस तरह यह चक्र चलता रहता है।
फाइलेरिया के लक्षण
- एक या दोनों हाथ व पैरों में (ज़्यादातर पैरों में) सूजन
- कॅपकॅपी के साथ बुखार आना
- पुरूषों के अंडकोष में सूजन (हाइड्रोसिल) होना
- पैरों व हाथों की लसिका वाहिकाएं लाल हो जाती हैं|
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